हैती में शनिवार यानी 14 अगस्त को भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे। नेशनल सेंटर ऑफ सीस्मोलॉजी ने शनिवार को बताया कि हैती में भूकंप की तीव्रता काफी तेज थी, जिसके कारण कई इमारतों को काफी नुकसान पहुंचा था। भारतीय समय के मुताबिक हैती में शाम 5:59 बजे भूकंप आया था, जिसमें मरने वालों की संख्या बढ़कर 1300 हो गई है। हैती की नागरिक सुरक्षा एजेंसी ने घोषणा की है कि हैती में आए 7.2 तीव्रता के भीषण भूकंप से मरने वालों की संख्या बढ़कर 1300 हो गई है। हैती के सिविल प्रोटेक्शन सर्विस ने एक ट्वीट में कहा कि सूद में 1 हजार 054, निप्स में 122, ग्रैंड एन्से में 119 और नॉर्ड-ऑएस्ट में दो लोग मारे गए हैं।
जानकारी के मुताबिक हैती में भूकंप के बाद दिनभर और रात तक झटके महसूस किए जाते रहे। बेघर हो चुके लोग और वे लोग जिनके मकान ढहने के कगार पर हैं उन्होंने खुले आसमान के नीचे सड़कों पर रात बिताई। शहर तबाह हो चुके हैं और अस्पताल मरीजों से भर गए हैं। प्रधानमंत्री ने पूरे देश में एक महीने की आपात स्थिति की घोषणा की है और कहा है कि जब तक क्षति का आकलन नहीं हो जाता तब तक वह अंतरराष्ट्रीय मदद नहीं मांगेंगे।
PM ने की अपील
प्रधानमंत्री एरियल हेनरी ने कहा कि भूकंप के बाद 'बेहद गंभीर स्थिति' का सामना करने के लिए 'एक साथ काम करना' जरूरी है। उन्होंने कहा कि 'मैंने भूकंप पीड़ितों से मुलाकात की। डॉक्टर, बचाव दल और पैरामेडिक्स हवाई अड्डे से सहायता प्रदान करने के लिए पहुंच रहे हैं।' प्रधानमंत्री ने ट्विटर पर कहा कि 'यह एक कठोर और दुखद वास्तविकता है जिसका हमें साहस के साथ सामना करना चाहिए।' उन्होंने कहा कि विभिन्न टीमें 'पीड़ितों को सहायता देने' के लिए मैदान पर हैं और संकट से निपटने के लिए त्वरित कार्रवाई का आह्वान किया।
कोरोना, भूकंप और तूफान से हालात बदतर
बता दें कि हैती के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में 14 अगस्त को 7.2 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसका केंद्र पोर्ट-ओ-प्रिंस की राजधानी से लगभग 150 किमी दूर था। भूकंप आने से कई शहर पूरी तरह से तबाह हो चुके हैं और भूस्खलन होने से बचाव अभियान प्रभावित हो रहा है। कोरोना से पहले ही बुरी तरह प्रभावित हैती के लोगों की पीड़ा भूकंप के कारण और भी बढ़ गई है। संकट और भी बढ़ सकता है क्योंकि तूफान ग्रेस आज हैती पहुंच सकता है।
2010 में हुई थी 3 लाख मौत
आपदाग्रस्त इस कैरेबियाई देश में अक्सर भूकंप और चक्रवाती तूफान तबाही मचाते रहे हैं। 2018 में यहां 5.9 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें 12 से ज्यादा लोगों की जान गई थी। सबसे ज्यादा तबाही 2010 में हुई थी। 7.1 तीव्रता के इस भूकंप ने 3 लाख से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी।
भूकंप आने का कारण
पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं। नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं और डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है। दूसरे शब्दों में कहें तो पृथ्वी कई लेयर में बंटी होती है और जमीन के नीचे कई तरह की प्लेट होती है। ये प्लेट्स आपस में फंसी रहती हैं, लेकिन कभी-कभी ये प्लेट्स खिसक जाती है, जिस वजह से भूकंप आता है।
भोगौलिक हलचल के आधार पर जोन तय
कई बार इससे ज्यादा कंपन हो जाता है और इसकी तीव्रता बढ़ जाती है। भारत में धरती के भीतर की परतों में होने वाली भोगौलिक हलचल के आधार पर कुछ जोन तय किए गए हैं और कुछ जगह यह ज्यादा होती है तो कुछ जगह कम। इन संभावनाओं के आधार पर भारत को 5 जोन बांटा गया है, जो बताता है कि भारत में कहां सबसे ज्यादा भूकंप आने का खतरा रहता है। इसमें जोन-5 में सबसे ज्यादा भूकंप आने की संभावना रहती है और 4 में उससे कम, 3 उससे कम होती है।
भूकंप की तीव्रता मापने का पैमाना
भूंकप की जांच रिक्टर स्केल से होती है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है। रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है। भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से मापा जाता है। भूकंप के दौरान धरती के भीतर से जो ऊर्जा निकलती है, उसकी तीव्रता को इससे मापा जाता है। इसी तीव्रता से भूकंप के झटके की भयावहता का अंदाजा होता है।
भूकंप आने पर क्या करें
- आपको भूकंप के झटके जैसे ही महसूस हों, वैसे ही आप किसी मजबूत टेबल के नीचे बैठ जाएं और कस कर पकड़ लें।
- जब तक झटके जारी रहें या आप सुनिश्चित न कर लें कि आप सुरक्षित ढंग से बाहर निकल सकते हैं, तब तक एक ही जगह बैठे रहें।
- अगर आप ऊंची इमारत में रहते हैं तो खिड़की से दूर रहें।
- आप बिस्तर पर हैं तो वहीं रहें और उसे कसकर पकड़ लें। अपने सिर पर तकिया रख लें।
- आप बाहर हैं तो किसी खाली स्थान पर चले जाएं यानी बिल्डिंग, मकान, पेड़, बिजली के खंभों से दूर।