छत्तीसगढ़ के संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत के निर्देशानुसार संस्कृति विभाग प्रदेश में नये पुरास्थलों की खोज और उनके संरक्षण की दिशा में निरन्तर प्रयासरत है। इसी कड़ी में 02 अगस्त 2021 को संचालक संस्कृति एवं पुरातत्त्व विवेक आचार्य के मार्गदर्शन में उप संचालक डॉ. पी.सी. पारख के नेतृत्व में विभागीय कर्मचारियों प्रभात कुमार सिंह पर्यवेक्षक और प्रवीन तिर्की उत्खनन सहायक यहां पहुँचे थे।
महासमुंद जिला मुख्यालय से 10 किमी दूर ग्राम मोहंदी के निकट महादेव पठार में एक चित्रित षैलाश्रय स्थल (पेंन्टेड रॉक शेल्टर) की खोज की गई है। प्रभात सिंह ने बताया कि यहां पुरातत्त्वीय महत्व के शैलचित्र मिले हैं। इस स्थल के बारे में विभागीय अधिकारियों को सूचना कोमाखान निवासी विजय शर्मा (राज्यपाल पुरस्कृत शिक्षक) से प्राप्त हुई थी और स्थानीय सहयोग मोहंदी निवासी मोहित सेन से मिला।
दक्षिण-पश्चिममुखी शैलाश्रय की चौड़ाई 17 मीटर, गहराई 05 मीटर और ऊँचाई लगभग 02 मीटर है। इन शैलचित्रों में नृत्य करते मानव समूह, वानर, सूर्य और चन्द्रमा सहित ज्यामितीय आकृतियाँ लाल गेरूवे रंग से निर्मित हैं। यह महासमुंद जिलान्तर्गत अब तक ज्ञात पहला चित्रित शैलाश्रय है। यहाँ उपलब्ध शैलचित्रों के आधार पर इस क्षेत्र में मानव सभ्यता एवं संस्कृति की प्राचीनता मध्यपाषाण काल तक संभावित है। इन शैलचित्रों का विस्तृत अध्ययन किया जा रहा है।
बता दें कि महासमुंद जिले में सिरपुर और खल्लारी जैसे पुरातत्त्वीय दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल पहले से ही विद्यमान हैं। सिरपुर को प्राचीन छत्तीसगढ़ की राजधानी होने का भी गौरव प्राप्त है। बरतियाभाठा से महापाषाणीय स्थल ज्ञात हैं। इस क्रम में मोहंदी के निकट खोजा गया यह चित्रित शैलाश्रय स्थल महासमुंद जिले के इतिहास और पुरातत्त्व की दृष्टि से अब तक ज्ञात सबसे प्राचीन पुरास्थल माना जा सकता है।
इस शैलाश्रय स्थल के पास ही चम्पई माता और सिद्धेश्वर महादेव मंदिर समूह दलदली के पूजित स्थल विद्यमान हैं, जो स्थानीय लोगों के आस्था के केन्द्र भी है। विभाग द्वारा उक्त पुरास्थल को जिला प्रशासन एवं वन विभाग के सहयोग से सुरक्षित करने आवश्यक प्रयास किये जा रहे हैं।