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'कलाश्री' राष्ट्रीय सम्मान के लिए चुने गए महासमुंद के शोप आर्ट शिल्पी जयराम पटेल

महासमुंद। विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) द्वारा जयराम पटेल को कलाश्री सम्मान देने की घोषणा की गई है। संस्थान के रजत जयंती अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में विशेष उपलब्धि प्राप्त करने वाले व्यक्तियों को 4 सितंबर 2021 को सम्मानित किया जाएगा।  महासमुंद शहर निवासी शिक्षक जयराम पटेल पथिक को कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए यह सम्मान दिया जा रहा है। 


वकालत से शिक्षक तक का सफर                

वकालत की पढ़ाई पूरी करने के बाद जयराम पटेल ने महासमुंद के क्रिमिनल लायर (स्वर्गीय  के. एस. थिटे) और उनके सुपुत्र  प्रलय थिटे के सानिध्य में वकालत शुरु किया। 10 साल तक जिला न्यायालय महासमुद में अधिवक्ता के रुप में कार्य किया। कलाकार के कोमल हृदय में वकालत नहीं उतर पाया। उन्होंने वकालत छोड़ शिक्षक बनने की ठानी। वे शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कामरौद( विकासखंड बागबाहरा) में शिक्षक हैं। 


ऐसे शुरू हुई जयराम पटेल की कला यात्रा

24–25 साल पहले कॉलेज की पढ़ाई के दौरान की बात है। नहाने जाने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। हाथ में साबुन था। उसे किसी नुकीले चीज से कुरेदने लगे।यकायक उनके हाथों से साबुन में कलाकृति बनगई। उनके साथियों ने प्रोत्साहित किया। तब से आज तक साबुन में कलाकृति बनाते आ रहे हैं । अब तक वे सबुन से 500 से भी अधिक कलाकृति बना चुके हैं। जिनमें अनेक महापुरुषों की मूर्ति, देवी देवताओं की प्रतिमा, प्रसिद्ध स्थानों, मंदिरों का मॉडल आदि शामिल है।


बहुत कम लागत में हो जाती है कलाकारी 

 पटेल ने बताया कि सबुन की कलाकृति बनाने में किसी प्रकार विशेष औजार की आवश्यकता नहीं है। न ही बहुत ज्यादा खर्च होता है। कलाकृतियों को सहेज कर लंबे समय तक रखने के लिए कांच के डिब्बे में फ्रेम करना पड़ता है। कलाकृति बनाने के लिए उन्होंने कहीं से कोई प्रशिक्षण नही लिया। जब भी उनके मन मे कोई विचार आता है, उसे साबुन में उकेर देते हैं । 


एकलव्य की तरह सीख लिया साबुन आर्ट

साबुन से कलाकृति बनाते ना उन्होंने किसी को देखा और ना सुना। खुद से कलाकृतियों को बनाकर एकलव्य की तरह विद्या अर्जित कर आज राष्ट्रीय सम्मान के मुकाम तक पहुंच चुके हैं। इसलिए वे चाहते हैं कि लोग इसे जानें और सीखे भी । इसी उद्देश्य से राज्य के विभिन्न जिलों में उन्होंने इसकी प्रदर्शनी भी लगाई । भविष्य में इसे प्रदेश के बाहर विभिन्न राज्यों में प्रदर्शित करना चाहते हैं। उनके पास 300 से अधिक कलाकृतियां संग्रहित हैं। वे साबुन आर्ट में सर्वाधिक कलाकृति बनाने का रिकार्ड अपने नाम दर्ज कराकर महासमुंद व राज्य का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखवाना चाहते हैं।


कोरोना काल आपदा को अवसर में बदला

लॉकडाउन के दौर में बहुतों ने समय को रचनात्मक कार्य में लगाया। जो प्रिट- इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ-साथ शोसल मीडिया में देखने-सुनने को मिला । सकारात्मक सोच वाले कठिन दौर को भी यादगार बना देने में लगे हुए थे। समय का सदुपयोग कर कोई लेखन-पठन, तो कोई नाजुक रिश्तों को मजबूत बनाने में लगे हुए थे। ऐसे नाजुक समय में जयराम पटेल ने पहली बार लकड़ी पर भी कलाकारी शुरू किया। इस विपरीत परिस्थिति में समय का सदुपयोग करते हुए उन्होंने लकड़ी से आज तक 130 कलाकृतियां बना चुके हैं। जिसमें से 75 कलाकृतियाँ उनके पास संग्रहित हैं। शेष को भेंट कर चुके हैं। पटेल ने बताया कि वह अपनी कलाकृतियों को किसी को बेचते नहीं हैं। किसी को उपहार में दे देते अथवा खुद सहेज कर रखते हैं । उन्होंने कहा कि मेरे लिए मेरी कलाकृति अनमोल है जिन्हें मैं अपने बच्चों की तरह सम्हालता हूं । उसकी मोल नहीं है।


युवाओं के लिए खास संदेश

 कला से संस्कृति की रक्षा होती है । युवा वर्ग से समाज को बड़ी अपेक्षा होती है। वे चाहते हैं कि युवा वर्ग संस्कृति संरक्षण व परिवर्धन के क्षेत्र में भी अपना योगदान दें। कला एक साधना है जिसमें चित्त की एकाग्रता अनिवार्य होता है। युवा वर्ग अपने चंचल मनोवृति पर नियंत्रण कर कला में पारंगत होने पश्चात इसे आजीविका का साधन भी बना सकते हैं। बेरोजगारी के भय से मुक्त हो सकते हैं। कलाकार घर बैठे लाखों कमा रहे हैं। 



देते हैं निःशुल्क प्रशिक्षण

साबुन अथवा लकड़ी में कलाकारी करने के लिए आज तक उन्होंने कहीं से प्रशिक्षण नही लिया। पर अब उनका प्रयास रहता है कि समाज के प्रत्येक वर्ग को वे इस कला में प्रशिक्षण देकर निपुण करें। उन्होंने अपने विद्यालय तथा आस-पास के विद्यालयों में बच्चों के कौशल विकास पर बल देते हुए उन्हें इस कला में दक्ष करने का हर संभव प्रयास किया है। ग्रीष्म अवकाश में भी प्रशिक्षण शिविर लगाते हैं।  महासमुंद शहर में निशुल्क कार्यशाला का आयोजन कर लगभग 500 से अधिक बच्चों को इस कला से साक्षात्कार कराते हुए उन्हें प्रशिक्षण दिया है । विद्यालय तथा महाविद्यालय के एनएसएस कैंप में जाकर भी प्रशिक्षण देते हैं।  

इन स्थानों पर लगा चुके हैं प्रदर्शनी

  1. स्वामी विवेकानंद अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट माना रायपुर (छत्तीसगढ़)
  2.  दतिया, जिला सूरजपुर, छत्तीसगढ़ 
  3.  SCERT, रायपुर 
  4. सोमनी, राजनांदगांव 
  5.  शासकीय नवीन महाविद्यालय चिरको, जिला महासमुंद 
  6. शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय खट्टी, जिला महासमुंद

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