आनंदराम साहू
छत्तीसगढ़ शासन के लोक निर्माण, गृह मंत्री और महासमुन्द जिले के प्रभारी मंत्री ताम्रध्वज साहू का 30 जून 2021 को महासमुंद नगर आगमन हुआ। प्रभारी मंत्री बनने के बाद यह उनका पहला दौरा था। जगह-जगह भव्य स्वागत हुआ। शक्ति प्रदर्शन करने कोई लड्डू से तौले तो कोई केला से। कार्यकर्ताओं में उत्साह और नेताओं में भारी जोश देखकर मंत्री जी गदगद हो गए। उन्होंने स्वागत सत्कार के लिए आभार भी जताया। लेकिन, सबकुछ तब गुड़-गोबर हो गया। जब मंत्री जी दोपहर भोज के लिए सर्किट हाउस पहुंचे। यहां का नजारा चौकाने वाला था। पेश है
आंखों देखी खास रिपोर्ट-
पहला नजारा- सर्किट हाउस में अफसर पर भड़के नेता
मंत्री के सर्किट हाउस पहुंचते ही शहर कांग्रेस अध्यक्ष खिलावन बघेल पीडब्ल्यूडी के एक अफसर पर भड़क गए। उन्होंने कहा-कार्यकर्ता भूखे हैं। नेता गाली खा रहे हैं और अफसर यहां मलाई खा रहे हैं। इस पर एसडीओ दोनों हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाते नजर आए। सर्किट हाउस के प्रवेश द्वार पर यह नजारा बहुत से लोगों ने देखा। दरअसल, मंत्री जी के पहुंचने से पहले ही कथित तौर पर डेढ़-दो सौ नेता-कार्यकर्ताओं के लिए बनाया गया खाना खत्म हो गया था। जोशीला नारा लगाने वाले कार्यकर्ता भूख से तिलमिला रहे थे। तब नेताजी का भड़कना स्वभाविक है।
दूसरा नजारा - भोजन कक्ष के बाहर कमांडो की पहरेदारी
मंत्री जी भोजन करने के लिए जिले के चारों विधायक, कांग्रेस जिलाध्यक्ष, कलेक्टर-एसपी के साथ डाईनिंग रूम में प्रवेश किए। बाहर करीब सौ से डेढ़ सौ नेता-कार्यकर्ताओं की भीड़ थी। सभी भोजन व्यवस्था को लेकर एक-दूसरे का मुंह ताक रहे थे। इस बीच खाना खत्म होने की जानकारी मिली। इस पर युवा नेता पुष्कर चंद्राकर बिफर पड़े। कोई खाया ही नहीं है, तब खाना कैसे खत्म हो गया?
कार्यकर्ताओं की जोर-जोर की आवाज आने लगी। हो हल्ला होने से मंत्री जी के कान खड़े हो गए। माहौल बिगड़ता देखकर संसदीय सचिव विनोद चंद्राकर को हस्तक्षेप करना पड़ा। भोजन करने बैठने से पहले एक नहीं, दो नहीं तीन-तीन बार उन्हें भोजन कक्ष से बाहर आकर कार्यकर्ताओं को संभालना पड़ा। अंततः भोजन कक्ष के बाहर 7-8 कमांडो मंत्री जी के भोजन करते तक मुश्तैदी से डटे रहे। लोग उनसे भोजन करने का बार- बार आग्रह करते रहे, सुरक्षा में तैनात लोगों ने मंत्री जी के विश्राम कक्ष में जाने के बाद ही भोजन किया।
छुटभैया नेताओं की नहीं चल रही ?
सूत्रों का कहना है कि कुछ लोगों ने अफसरशाही हावी होने की शिकायत भी की। छुटभैया नेताओं की एक नहीं चलने को लेकर मंत्री जी के कान भरने का भी प्रयास हुआ। 71 बसंत देख चुके मंत्री जी भला कान के कच्चे कैसे हो सकते हैं? ऐसा कहकर अफसर खुद को तसल्ली देते नजर आए। अब देखना होगा कि 'मलाई' और 'भूख' के बीच संघर्ष का आने वाले समय में क्या परिणाम निकलता है।