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छत्तीसगढ़ में रेत माफिया सक्रिय, महासमुंद सांसद ने लोकसभा में उठाया मामला

नईदिल्ली/महासमुंद: महासमुंद लोकसभा क्षेत्र के सांसद चुन्नीलाल साहू ने छत्तीसगढ़ में रेत माफिया सक्रिय होने का मामला उठाया। उन्होंने रेत और पत्थर खनन में NGT के गाइडलाइंस का उल्लंघन किए जाने से पर्यावरण को हो रहे नुकसान पर चिंता जाहिर की। नियम-377 के तहत इस पर चर्चा होनी थी। लेकिन, विपक्ष के द्वारा सदन में शोर-शराबा के चलते सभापति ने व्यवस्था दी कि अपनी बात पटल पर लिखित में प्रस्तुत कर देवें। सांसद द्वारा सदन में इस संवेदनशील मामला को उठाने से रेत और खनन माफिया सकते में आ गए हैं। इस पर होने वाली अग्रिम कार्यवाही पर सबकी निगाहें टिकी हुई है।



संसद सदस्य साहू ने कहा है कि खनन के लिए एक निश्चित समयावधि नियत है। जिसका पालन नहीं किया जा रहा है। अवैध खनन से नदी-घाट को भारी क्षति पहुंचाई जा रही है।नियमों को ताक पर रखकर रेत और पत्थर ठेकेदार अवैध खनन कर रहे हैं। रेत माफिया चेन माउंटेन मशीन का उपयोग कर पर्यावरण संतुलन बिगाड़ रहे हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों की अवहेलना की जा रही है। इस अवैध कार्य पर रोक लगाने में विभागीय अधिकारी नाकाम हो गए हैं। ठेकेदार बेखौफ होकर नदियों से खनन और रेत का भंडारण करने में लगे हैं। 


 बन रहा पर्यावरण असंतुलन का कारण 


छत्तीसगढ़ की जीवनदायिनी महानदी, तंदुला सहित अन्य नदियों से बेहताशा रेत का खनन किया जा रहा है। यह पर्यावरण असंतुलन का कारण बन रहा है। अवैध खनन के साथ-साथ परिवहन वाहनों में ओवरलोडिंग की जा रही है, इससे ग्रामीण सड़कें जर्जर हो रही है। इस पर त्वरित नियंत्रण की आवश्यकता है। 


 ग्रामीण सड़कों की हो रही दुर्दशा 


बदहाल सड़कों के रखरखाव और अवैध खनन पर रोक के लिए ग्रामीण प्रतिनिधि शिकायत करते हैं तो खनन और रेत माफिया द्वारा उन पर जानलेवा हमला कराया जाता है। इस तरह की घटनाओं से अराजकता की स्थिति बन गई है। उन्होंने सवाल उठाया कि अवैध खनन और इस तरह की गम्भीर घटनाओं के पीछे किसका संरक्षण है? इसकी जांच होनी चाहिए। खनिज विभाग उदासीन रहा तो पर्यावरण को अपूरणीय क्षति होगी। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि मामले की उच्च स्तरीय जांच कराकर खनन माफिया पर नकेल कसने की दिशा में कार्यवाही की जाए।

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