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छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके के कार्यकाल का 2 साल पूरा

छत्तीसगढ़ में राज्यपाल अनुसुइया उइके के कार्यकाल का आज 2 साल पूरा हो गया है। इन दो सालों के दौरान छत्तीसगढ़ की जनता को यह महसूस हुआ कि राजधानी रायपुर में स्थित राजभवन हम सब आम जन के लिए खुला है। राज्य की संवैधानिक मुखिया की संवेदनशीलता और सहजता की चर्चा बस्तर के आदिवासियों से लेकर बलरामपुर जिले के गांव करकली के रहवासियों में भी होती है।



एक ओर जहां राज्यपाल उइके आदिवासियों के अधिकारों के संरक्षण की बात करती हैं। वहीं दूसरी ओर खुद संज्ञान लेकर मीडिया के जरिए प्राप्त समाचार से गांव करकली के एक दिव्यांग बेटी शशिप्रभा का इलाज कराने के लिए भी तत्पर रहती हैं। उनकी सहजता का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है, जब उन्होंने एक युवा कलाकार को उसके आग्रह पर मोबाइल फोन से 'सेल्फी' भी लेने दी।

 

जनता में जागरूकता लाने के लिए निर्देश 


विश्व की सबसे भयावह महामारी कोरोना के संक्रमण के दौरान उन्होंने आम जनता की सहायता के लिए भरसक प्रयास किए और समय-समय पर जनप्रतिनिधियों को इस संबंध में आवश्यक निर्देश भी दिए। कोरोना योद्धाओं की हमेशा हौसला अफजाई की और उस दौरान अन्यत्र जगहों पर फंसे हुए विद्यार्थियों, श्रमिकों को उनके घर वापस भेजने के लिए प्रयास किए। कुलाधिपति के नाते उन्होंने विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को कोरोना के संबंध में, विद्यार्थियों के जरिए जनता में जागरूकता लाने के लिए भी निर्देश दिए। विद्यार्थियों को इस दौरान भी शिक्षा मिलती रहे इसके भी उपाय करने के निर्देश दिए। 


पुनर्वास के लिए विशेष प्रयास करने का भरोसा


वे युवाओं को भी सकारात्मक रहने और लक्ष्य हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करने का आह्वान करती हैं। उनका मानना है कि मंजिल पाने के लिए पहले लक्ष्य निर्धारित करना आवश्यक है। दंतेवाड़ा बस्तर प्रवास के दौरान उन्होंने आत्मसमर्पित नक्सलियों से मिलकर उनके पुनर्वास के लिए विशेष प्रयास करने का भरोसा दिलाया था। साथ ही दंतेश्वरी महिला कमांडो से भी भेंटकर नक्सली उन्मूलन में उनकी भूमिका की सराहना की। दंतेवाड़ा के जावंगा स्थित सक्षम परिसर में दिव्यांग बच्चों से काफी सहजता से मिली।


कानूनों को और मजबूत करने की पक्षधर 


राज्यपाल उइके खुद काफी संघर्षों से इस मुकाम तक पहुंची हैं। एक महिला होने के नाते उन्होंने यह महसूस किया है कि छत्तीसगढ़ में महिलाओं का स्वसहायता समूह के जरिए आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण हो रहा है। वनवासी क्षेत्रों के रहवासियों को उनके वनोपजों और उत्पादों की मार्केटिंग सही तरीके से हो इस दिशा में भी उनका प्रयास रहता है। वे महिला सुरक्षा के लिए बनाए गए कानूनों को और मजबूत करने की पक्षधर रही हैं, ताकि सभी महिलाओं को न्याय मिल सके।


शासकीय सेवाओं में भर्ती के संबंध में निर्देश 


राज्यपाल उइके को इतने कम समय में ही छत्तीसगढ़ के लोगों से विशेष लगाव हो गया है। वे यहां के लोगों की सहजता और सरलता की कायल हैं। उन्हें छत्तीसगढ़ी बोली में भी खास मिठास लगती है। जनजातियों की संस्कृति, बोली-भाषा और नृत्य-संगीत को संरक्षित करने की भी आवश्यकता पर जोर देती रही हैं। अति पिछड़ी जनजाति के युवाओं की शासकीय सेवाओं में भर्ती के संबंध में उनके निर्देश पर कार्रवाई हुई। 


राज्यपाल की पहल से 2 नए ट्राइब्स इंडिया बिक्री केंद्र शुरू 


राज्यपाल ने बचपन से ही देखा है कि आदिवासी समाज प्रकृति प्रेमी होते हैं और प्रकृति के साथ संतुलन बनाकर ही हर कार्य करते हैं। वे आदिवासी युवाओं को समझाइश देती हैं कि उन्हें अपने समाज की संस्कृति, परंपराओं के गौरवशाली इतिहास पर गर्व करना चाहिए। आदिवासियों के हित की बात वे बस्तर से लेकर नई दिल्ली तक भी करती रही हैं। राष्ट्रपति भवन नई दिल्ली में आयोजित राज्यपालों के सम्मेलन में उन्होंने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क और बिजली की सुविधाओं के लिए अलग बजट का प्रावधान करने और सरगुजा और बस्तर में आदिवासी विश्वविद्यालय खोलने का आग्रह किया। उनकी पहल से ट्राईफेड द्वारा जगदलपुर में दो नए ट्राइब्स इंडिया बिक्री केंद्र शुरू हुए। 


राजभवन में अनेक नवाचार किए


उन्होंने तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों के बच्चों की लंबित छात्रवृत्ति जारी करने के संबंध में निर्देश दिए थे, जिस पर वन विभाग ने त्वरित कार्रवाई की। राज्यपाल उइके पर्यावरण संरक्षण और जल संरक्षण के प्रति भी विशेष जागरूक रहती हैं। उनके मुताबिक एक दिन पर्यावरण दिवस मनाने की औपचारिकता के बदले हर समय पर्यावरण हित में कार्य करना चाहिए। राज्यपाल का पद संभालने के बाद उन्होंने राजभवन में अनेक नवाचार किए। 


छात्र और उनके पालकों से मुलाकात


राजभवन के दरवाजे पर कोई भी व्यक्ति-प्रतिनिधिमंडल अगर न्याय की आस लेकर आता है उसे वे अंदर बुलाकर उनकी बातें सुनती हैं और समाधान का प्रयास भी करती हैं। फॉर्मेसी कॉलेज के विद्यार्थी हों या सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा के अभ्यर्थी या चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज के विद्यार्थी हों, सभी की समस्याओं को अभिभावक बतौर सुनती हैं और अधिकारियों को आवश्यक निर्देश भी तत्काल देती हैं, जिससे आगंतुक को भी आशा बंधती है। 


महिला दिवस पर सम्मान 


उन्होंने आम जनता द्वारा राज्यपाल को भेजे गए पत्रों पर कार्रवाई के लिए ई-समाधान वेबसाइट भी तैयार कराई, जिससे आवेदनों पत्रों की ट्रेकिंग और अद्यतन स्थिति की मॉनिटरिंग होती है। राजभवन में पहली बार यहां कार्य करने वाली महिलाओं को उत्कृष्ट कार्य करने के लिए महिला दिवस पर सम्मानित भी किया गया। यहां कार्यरत कर्मचारियों को विशेष अवसर पर दी जाने वाली अनुदान राशि उन्होंने फिर शुरू की और कर्मचारियों के पदोन्नति के लिए भी पहल की। वे इन दो सालों के कार्यकाल को संतुष्टि भरा मानती हैं और उसी सहजता और सरलता से छत्तीसगढ़ की जनता की भलाई के लिए हमेशा कार्य करना चाहती हैं।

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