कोरोना की दूसरी लहर भारत के लिए काफी घातक साबित हुई है। हालांकि धीरे-धीरे स्थित में सुधार हो रहा है। कोरोना महामारी ने कई लोगों की जिंदगी निगल ली है। वहीं कई लोगों को अकेला कर दिया। वहीं कोरोना की दूसरी लहर एक परिवार पर कहर बनकर टूटा है। कुछ इसी तरह कोरोना का शिकार मुंबई अंधेरी के चांदिवली इलाके में रहने वाला परिवार भी हुआ। रेशमा तेन्त्रिल चांदिवली के तुलिपिया सोयायटी में अपने पति शरद और 7 साल के बेटे गरुण और सास-ससुर के साथ रहती थी। कोरोना की चपेट में आने के बाद इसी साल के अप्रैल महीने में उनकी सास और ससुर की मौत हो गई। इसी बीच उनके पति शरद को भी कोरोना हुआ और लंबे इलाज के दौरान 23 मई को उन्होंने भी दम तोड़ दिया।
इस पूरी घटना के चलते रेशमा और उनका बेटा गरुण घर में अकेले पड़ गए थे। वहीं 21 जून को करीब ढाई बजे रात के करीब रेशमा ने अपने बेटे गरुण के साथ 12वीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली। जोन 10 के डीसीपी डॉक्टर महेश्वर रेड्डी ने बताया कि 'हमें उनके घर से एक सुसाइड नोट मिला, जिसमें उन्होंने बताया कि उनकी बिल्डिंग के 11वीं मंजिल पर रहने वाला शख्स उनको परेशान करता था। उनका कहना था कि रेशमा का लड़का खेलता है तो नीचे डिस्टर्बेंस होती है और इसी वजह से वो लोग इनकी बार-बार शिकायत करते थे। इस वजह से परेशान होकर मैं आत्महत्या कर रही हूं।'
रेशमा ने सोशल मीडिया के जरिए बयां किया था दर्द
रेशमा ने लिखा कि उनका पड़ोसी उनकी शिकायत पुलिस में और सोसाइटी को भी करता था। सोसायटी ने रेशमा और शिकायतकर्ता अयूब खान को यह मामला आपस में सुलझाने को कहा था। रेड्डी ने बताया कि रेशमा की सुसाइड नोट के आधार पर अयूब और उसके घर वालों के खिलाफ IPC की धारा 306 के तहत मामला दर्ज किया और अयूब को गिरफ्तार कर लिया गया है। जबकि बाकियों की गिरफ्तारी अब तक नहीं हो पाई है। साकीनाका के एक अधिकारी ने बताया कि फिलहाल रेशमा की डेड बॉडी अस्पताल में है और उनका भाई अभी कैलिफोर्निया में है। वो जैसे ही उनके पास आएंगे, नियमों के मुताबिक कानूनी प्रक्रिया पूरी कर वे रेशमा का शव उन्हें हैंडओवर कर देंगे।
पत्रकार रह चुकी थी रेशमा
बता दें कि अयूब खान एमिरेट्स एयरलाइंस में पायलट रह चुके हैं। रेशमा पत्रकार रह चुकी हैं और फिलहाल वो होम मेकर थीं। रेशमा के पति शरद एक ऑनलाइन ट्रेडिंग कंपनी में चीफ बिजनेज ऑफिसर थे। रेशमा अपने पति के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सकी थी। रेशमा ने लिखा है कि इतनी हिम्मत ही नहीं बची थी कि वो अंतिम संस्कार में जा सकें और उसी दिन यानी 30 मई को फेसबुक पर एक पोस्ट लिखा, जिसमें उन्होंने अपने दर्द को बयां किया था। पोस्ट में लिखा था कि 'मेरे लिए जीवन की शुरुआत जब मैं 33 साल की थी तब हुई, वो भी सितंबर के महीने में हो रही बरसाती शाम को हैदराबाद के एक बरिस्ता कैफे में। शरद अविश्वसनीय रूप से अच्छे दिख रहे थे।'
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रेशमा ने आगे लिखा 'उन्होंने मेरी तरफ देखा और तुरंत खड़े हो गए, मुस्कुराते हुए मानों उसे अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा हो। मेरी सांस मानों रुक सी गई। मुझे लगा कि एक लंबी और कठिन यात्रा के बाद एक जहाज आखिरकार बंदरगाह पर आ रहा है। उस दिन से वह मेरा घर बन गया। कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं कहां थी या मैं क्या कर रही थी, मैं सुरक्षित और खुश और शांति महसूस कर रही थी।' उन्होंने लिखा कि 'वह लाखों में एक था! महिलाओं पर उनके रूप और आवाज के प्रभाव, या उनकी बुद्धि की उत्सुकता से पूरी तरह अनजान था। स्वाभाविक रूप से विनम्र, वह अपने आस-पास के लोगों की तरह खुद का भी मजाक उड़ाने के लिए हमेशा तैयार रहता था। अगर वह आपकी तरफ होता हो और पूरी दुनिया आपके खिलाफ हो तब भी कोई फर्क नहीं पड़ता था।'
बार-बार शिकायत से परेशान थी रेशमा
10 अप्रैल को रेशमा इमारत में किराए के घर पर रहने आई थीं। इस दौरान वो अपने पति की मौत और उनके अंतिम संस्कार में न जा पाने की वजह से काफी डिरेशन में थीं। इसी बीच पड़ोसी द्वारा की जा रही बार-बार शिकायत से भी वो बहुत परेशान हो गई थीं।