कोरोना ने पूरी दुनिया में कहर बरपाया है। इसकी चपेट में आने से किसी न किसी ने अपने परिवार के खास सदस्य को खोया है। वहीं इस वायरस ने भारत में भी जमकर तांडव मचाया है। कोरोना की पहली और दूसरी लहर में लाखों लोगों ने अपनी जान गंवाई है। वहीं कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए खतरनाक बताया जा रहा है। इससे पहले दूसरी लहर में ही कोरोना ने कई बच्चों की जिंदगी से हंसी-खुशी छीन ली। कोरोना के कारण कई बच्चों के सिर से मां-बाप का साया उठ गया। वहीं कई बच्चे अनाथ हो गए। एक रिपोर्ट के मुताबिक 1 अप्रैल 2020 से लेकर साल 2021 के जून तक करीब 3621 बच्चे अनाथ हो गए हैं। जबकि 26,176 बच्चों के सिर से माता-पिता का साया छिन गया है।
सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इस संबंध जानकारी दी है। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अनाथ हुए बच्चों में जरूरी नहीं कि सभी के गार्जियन की मौत कोरोना से ही हुई हो कोई अन्य कारण भी हो सकते हैं। बाल संरक्षण आयोग की ओर से दायर हलफनामे के मुताबिक जिन 30,071 बच्चों को देखभाल और सुरक्षा की जरूरत है उनमें से 15,620 लड़के है, जबकि 14,447 लड़कियां और चार ट्रांसजेंडर शामिल हैं।
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आयोग के हलफनामे में सबसे बड़ी बात यह है कि 11,815 बच्चे 8-13 आयु वर्ग के हैं। जबकि 4-7 आयु वर्ग में 5,107 बच्चे शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के बाद राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से 'बाल स्वराज' पोर्टल पर आंकड़े अपलोड किए गए थे। अगर राज्यों के हिसाब से देखें तो महाराष्ट्र में 7,084 बच्चों को देखभाल और सुरक्षा की जरूरत है। वहीं दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश है। जहां 3172 बच्चे प्रभावित हुए हैं, जबकि राजस्थान में 2482 बच्चे शामिल हैं। आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा में 2438, मध्यप्रदेश में 2243 और केरल में 2002 बच्चों शामिल हैं।
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वहीं अनाथ हुए बच्चों की देख-रेख के लिए कई राज्य की सरकारों ने योजना बनाई है। जिसके तहत अनाथ बच्चों के रहने के लिए विशेष व्यवस्था और उनकी शिक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। वहीं राज्य सरकारों ने अनाथ बच्चों को हर महीने छात्रवृत्ति देने की भी घोषणा की है, जिससे बच्चों को जीवन जीने में कोई तकलीफ न हो और वे पढ़-लिख सके। बता दें कि कोरोना की दूसरी लहर की तरफ अभी कम होने लगी है। रोजाना आने वाले केस के साथ ही संक्रमण से होने वाली मौतों का आंकड़ा भी कम हुआ है।