नई दिल्ली। सेन्ट्रल विस्टा प्रोजेक्ट मामले में आज दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान सेंट्रल विस्टा के निर्माण कार्य पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता पर भी एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
कोर्ट के अनुसार यह एक प्रेरित याचिका है। यह एक जनहित याचिका नहीं थी। हाई कोर्ट ने यह भी तय कर दिया कि सेंट्रल विस्टा का काम आगे भी निरंतर जारी रहेगा।
बता दें कि याचिकाकर्ता ने कोरोना महामारी को आधार बनाकर इस प्रोजेक्ट पर रोक लगाने की मांग याचिका में की गई थी। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की बेंच ने इस याचिका खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया है।
केद्र सरकार ने दी ये दलील
केंद्र ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट मामले की दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा था कि परियोजना के निर्माण को रोकने की मांग करने वाली याचिका 'कानून की प्रक्रिया का सरासर दुरुपयोग है और परियोजना को रोकने के लिए एक और प्रयास है.' केंद्र ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि 19.04.2021 के डीडीएमए आदेश के अनुसार, कर्फ्यू के दौरान उन निर्माण कार्यों की अनुमति है जहां मजदूर निर्माण स्थल पर ही रहते हैं। सरकार ने इस दावे का भी खंडन किया कि सराय काले खा कैंप से श्रमिकों को रोज लाया जाता है। सेंट्रल विस्टा एवेन्यू में काम नवंबर 2021 तक पूरा होना है। केंद्र ने आगे कहा, 'परियोजना पर काम करने वाले श्रमिक सोशल डिस्टेंसिंग के साथ अन्य सभी कोविड नियमों का पालन कर रहे हैं।