कोरोना की दूसरी लहर के बीच सुदूर गांवों तक जांच और इलाज पहुंचाने की कवायद हो रही है। प्रशासन का शहरी क्षेत्र के साथ गांवों में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए पूरा फोकस है। कलेक्टर भीम सिंह के नेतृत्व में प्रशासन जहां एक ओर कोरोनामुक्त गांव की संख्या बढ़ाने के लिए अपनी पूरी प्रतिबद्धता और सुदृढ रणनीति के साथ काम कर रहा है। इसके लिए राजस्व विभाग, स्वास्थ्य विभाग और शिक्षा विभाग की संयुक्त टीम बनाकर गांव में बढ़ते संक्रमण के मामले आने से रोकने की दिशा में लगातार स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के साथ गाइडलाइन्स के पालन और जन जागरूकता कार्यक्रम के जरिए प्रयासरत हैं।
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इससे संक्रमण की रफ्तार कम करने में काफी मदद मिली है। वहीं कुछ ऐसे गांव भी हैं, जहां की लापरवाही से सामने आए दुष्परिणाम हम सभी के लिए एक बड़ा सबक है कि, शहरों के साथ विशेषकर गांवों में संक्रमण को रोकने के लिए सामूहिक अनुशासन के साथ आत्मानुशासन कितना जरूरी है। हर किसी को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। सभी को सजग और सतर्क रहना होगा। नहीं तो जिले के मोहनपुर और नवापारा मांड इन दो गांवों की लापरवाही की वजह से यहां जो परिणाम सामने आए हैं, वो ये समझाने के लिए काफी है कि ऐसी लापरवाही हमें कितनी भारी पड़ सकती है।
सामाजिक आयोजनों में भीड़ बनी वजह
पहला मामला है, लैलूंगा विकासखंड के लारीपानी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अंतर्गत आने वाले मोहनपुर ग्राम पंचायत का, मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी अनुसार यहां बीते 12 अप्रैल 2021 को एक दशकर्म कार्यक्रम हुआ था, जिसमें ओडिशा और जशपुर से काफी संख्या में लोग शामिल हुए थे। उसके दो दिन बाद उसी गांव में 14 अप्रैल 2021 को एक परिवार में सगाई समारोह हुआ। इसके बाद मोहनपुर में बड़ी संख्या में बुखार, खांसी, सर्दी के लक्षण आने लगे, जब मितानिनों ने ANM को सूचित किया की बुखार के केस दो दिन से ज्यादा आने लगे है तो ANM ने उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र लारीपानी में कोविड टेस्ट के लिए भेज दिया।
नियमों की अनदेखी बनी बड़ी वजह
तब 18 अप्रैल को कोविड पॉजिटिव के 3 मरीज मिले, उसके बाद फिर गांव में जितने भी बुखार, सर्दी, खांसी के मरीज थे सभी का कोविड टेस्ट किया गया। जिसके बाद से अब तक मोहनपुर में कोविड के 151 केस मिल चुके हैं। ये परिणाम सबक है कि कोरोना गाइडलाइन की अवहेलना और शादी ब्याह के आयोजनों में नियम खिलाफ भीड़ भयावह संक्रमण की वजह बन सकती है।
लापरवाही पड़ सकती है भारी
दूसरा मामला है, पुसौर विकासखंड के नावापारा माण्ड पोस्ट-पुटकापुरी तहसील का है, जिसके बारे में मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक यहां कोरोना संक्रमण के मामले अप्रैल महीने में बढ़ने लगे, जिसके कारणों का जब पता किया गया तो मालूम पड़ा कि नावापारा के नीचे बस्ती के लोगों के द्वारा रेत के खनन में मजदूरी का कार्य किया जा रहा था। वहां पर काम करने वाले लोगों द्वारा सामाजिक दूरी, मास्क नहीं पहनने और सैनिटाइजर का उपयोग नहीं करने संबंधित लापरवाही भयानक संक्रमण की वजह बनी।
युवा हो रहे ज्यादा पॉजिटिव
स्थानीय लोग बाहर से आने वाले ट्रैक्टर ड्राइवर्स से बिना मास्क लगाए और सामाजिक दूरी का पालन किए संपर्क में आए। अप्रैल महीने के मध्य में काम करने वाले मजदूरों और उनके परिवार के सदस्यों को सर्दी, बुखार के मामले सामने आने लगे। प्रशासन ने सर्दी, बुखार वाले लोगों के लिए नावापारा माण्ड में कोविड जांच का शिविर रखा। दिनांक 20 अप्रैल 2021 को कोविड टेस्ट किया गया, जिसमें 75 में 27 लोग पॉजिटिव आए। जिसमें से ज्यादातर युवा थे। दिनांक 23 अप्रैल 2021 को फिर कोविड टेस्ट किया, जिसमें 75 में 20 लोग पॉजिटिव आए।
लोगों की भीड़ से फैला संक्रमण
अप्रैल में कोविड टेस्ट में कुल मरीजों की संख्या 56 हो गई। गांव में सभी सर्दी, खांसी, बुखार की दवा वितरण और कोविड जांच की गई। गांव को कंटेनमेंट जोन बनाया गया और सभी लोगों को सामाजिक दूरी, मास्क और हाथ धोने रहने की सलाह दी गई। इन गांवों में इनकी छोटी-छोटी लापरवाही की वजह से अचानक बढ़ते हुए आंकड़े ये सबक देते है कि शादी ब्याह, व्यक्तिगत और सामूहिक, पारिवारिक आयोजनों के साथ कोरोना से बचाव के दिशा निर्देशों की अनदेखी करना, मास्क नहीं लगाना, सामाजिक दूरी का पालन नहीं करना जैसी लापरवाही और चूक, बड़े भयावह संक्रमण की वजह बन रही है। जिससे हमें सीख लेकर अपने इन अवांछित व्यवहार में सुधार लाते हुए कोरोना संक्रमण से बचाव के हर संभव उपाय को अपनाना होगा। तभी जिले में कोरोना संक्रमण में प्रभावी तरीके से काबू पाने में हम सफल होंगे।