औषधि प्रशासन विभाग को जानकारी दिए बिना दवा विक्रेता पोसा काजोल और अम्फोटेरिसिन-बी का वितरण नहीं कर सकेंगे। नियंत्रक, खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने थोक दवा विक्रेताओं को इसके लिए परिपत्र जारी किया है। वहीं निर्देश के उल्लंघन पर अनुज्ञप्ति निरस्तीकरण की कार्रवाई की जाएगी।
स्वास्थ्य सेवाएं प्रदाय करने में पूरे देश में छत्तीसगढ़ का दूसरा स्थान
छत्तीसगढ़ में ब्लैक फंगस के संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए खाद्य और औषधि प्रशासन विभाग ने सभी थोक दवा विक्रेताओं को इसके इलाज में उपयोग होने वाले पोसा काजोल और अम्फोटेरिसिन-बी के वितरण की जानकारी विभाग को देने के निर्देश दिए हैं। नियंत्रक, खाद्य और औषधि प्रशासन ने इस संबंध में सभी थोक औषधि विक्रेताओं को परिपत्र जारी किया है।
कोरोना की तीसरी लहर की चुनौतियों से निपटने की तैयारी , विशेष व्यवस्था पर जोर
विभाग ने परिपत्र में कहा है कि वर्तमान में छत्तीसगढ़ में ब्लैक फंगस का संक्रमण बढ़ रहा है। इसकी रोकथाम के लिए पोसा काजोल (Posaconazole) और अम्फोटेरिसिन-बी (Amphotericin-B) दवा का युक्तिसंगत वितरण अति आवश्यक है। इसके लिए प्रदेश के सभी अनुज्ञप्तिधारी थोक औषधि विक्रेताओं को निर्देशित किया जाता है कि वे इन दोनों दवाओं का वितरण खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग को जानकारी दिए बिना न करें। दवा विक्रेताओं द्वारा जानकारी नहीं दिए जाने पर औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम के तहत अनुज्ञप्ति निरस्तीकरण की कार्रवाई की जाएगी।
माइक्रोबायोलॉजिकल सर्विलांस के निर्देश
स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश के सभी शासकीय और निजी अस्पतालों में माइक्रोबायोलॉजिकल सर्विलांस के निर्देश दिए हैं। विभाग द्वारा इस संबंध में सोमवार को सभी शासकीय मेडिकल कॉलेजों के अधिष्ठाताओं, सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों और सिविल सर्जन-सह-अस्पताल अधीक्षकों को परिपत्र जारी कर विस्तृत दिशा-निर्देश दिए हैं। विभाग ने सभी अस्पतालों में माइक्रोबायोलॉजिकल सर्विलांस सुनिश्चित करते हुए हर हफ्ते इसका प्रतिवेदन राज्य सर्विलांस इकाई को भेजने कहा है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने ब्लैक फंगस को लेकर जारी की एडवाइजरी
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला ने सभी अधिष्ठाताओं, CMHO और सिविल सर्जन को भेजे परिपत्र में कहा है कि राज्य कोविड-19 संक्रमण की वैश्विक महामारी से प्रभावित है। पिछले कुछ दिनों में विभिन्न शासकीय और निजी अस्पतालों में कोरोना के इलाज के लिए भर्ती मरीजों में दूसरी तरह के संक्रमण जैसे फंगस, बैक्टीरिया से संक्रमित होने के प्रकरण संज्ञान में आए हैं। इस पर नियंत्रण के लिए सभी अस्पतालों का माइक्रोबायोलॉजिकल सर्विलांस जरूरी है।