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सुनो सरकार : कोई तो लें मध्यमवर्गीय परिवार और व्यापारियों की सुध


कोरोना काल में लॉकडाउन के चलते मध्यमवर्गीय परिवार परेशान हैं। और छोटे-मंझले वर्ग के व्यापारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस स्थिति में सभी की नजर राज्य व केंद्र सरकार पर राहत के लिए टिकी है। सरकार की ओर से किसी अच्छे आर्थिक पैकेज की घोषणा का इंतजार है। कोरोनो की दूसरी लहर बहुत भयानक है। परिवार के सदस्यों में अगर किसी को अस्पताल में भर्ती करने की स्थिति निर्मित हो गई तो 2 से 3 लाख रूपये तक खर्च हो रहा है । फिर भी न तो राज्य सरकार को मध्यमवर्गीय परिवारों से कोई सरोकार है और न ही केंद्र सरकार सुध ले रही है।





मध्ययमवर्गीय परिवारों की समस्याओं को लेकर भाजपा नेता देवेन्द्र चन्द्राकर, भाजपा पार्षद महेन्द जैन और समाजिक कार्यकर्ता निदान सेवा परिषद के सुरेश शुक्ला ने राज्यपाल के नाम ज्ञापन डिप्टी कलेक्टर सीमा ठाकुर को सौंपा ।






ज्ञापन में बताया गया है कि इस भयावह संकट की स्थिति में भी घर-परिवार की जिम्मेदारी आम आदमी बहुत संघर्ष के बीच निभा रहा है। अस्पताल व दवाई का खर्च ,घरेलू खर्च, होम लोन हो तो उसकी भी किश्त, कार ,बाईक ,कमर्शियल गाड़ियों का किश्त, भी समय मे अदा करना है। नही तो खाता एन.पी.ए और सिबिल रैंक भी कम हो जाएगा। जिसके चलते भविष्य में कोई भी बैंक लेन-देन में भारी परेशानी उठाना पड़ सकता है। बैंक खुलते ही ग्राहकों को किश्तों के लिये फोन भी आना चालू हो गया है।





युवा नेताओं ने केन्द्र सरकार से निवेदन किया है कि बैंको में मैनोटोरियम पीरियड व कम से कम 10 लाख तक के सी.सी खातों व अन्य ऋण में लग रहे ब्याज में छूट की घोषणा करने की अपेक्षा की है। मध्यमवर्गीय परिवार सभी छोटे मंझले व्यापारियों को कुछ राहत पैकेज दें।


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