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पहली बार आजाद भारत में मिलेगी किसी महिला को फांसी, प्रेमी के साथ मिलकर अपने पूरे परिवार को उतारा था मौत के घाट, पढ़िए पूरा मामला


भारत में आजतक किसी भी महिला को फांसी नहीं दी गई है। लेकिन जल्द ही ये इतिहास बदल सकता है। जी हां, आजाद भारत के इतिहास में बहुत जल्द पहली बार एक महिला (First women in India to be hanged) को फांसी दी जाएगी। मथुरा जेल में महिला को फांसी देने की तैयारी जेल प्रशासन ने शुरू कर दी है। यह फांसी अमरोहा की रहने वाली महिला शबनम को दी जा सकती है। उसने अप्रैल, 2008 में प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने ही 7 परिजनों की कुल्हाड़ी से काटकर हत्या कर दी थी।





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प्यार में बने रूकावट तो काट दिया अपने ही परिवार को





अमरोहा के हसनपुर कस्बे से सटे छोटे से गांव बावनखेड़ी में साल 2008 की 14-15 अप्रैल की दरमियानी रात का मंजर कोई नहीं भूला है। यहां शिक्षामित्र शबनम ने रात को अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने पिता मास्टर शौकत, मां हाशमी, भाई अनीस और राशिद, भाभी अंजुम और फुफेरी बहन राबिया का कुल्हाड़ी से वार कर कत्ल कर दिया था। भतीजे अर्श का गला घोंट दिया था।





2010 में सुनाई गई थी फांसी की सजा





इस मामले अमरोहा कोर्ट में दो साल तीन महीने तक सुनवाई चली थी। जिसके बाद 15 जुलाई 2010 को जिला जज एसएए हुसैनी ने शबनम और सलीम को तब तक फांसी के फंदे (First women in India to be hanged) पर लटकाया जाए तब तक उनका दम न निकल जाए का फैसला सुनाया।





कैसे मिले थे सबूत





शबनम और उसका प्रेमी शायद कभी जेल न पहुंचते लेकिन कुछ मामूली राज ने उनकी करनी की सजा दे दी। शबनम ने शादी नहीं की थी, लेकिन उसका बेटा था। वारदात में इस्तेमाल में सलीम के पास से कुल्हाड़ी मिली थी। दोनों के खून से सने कपड़े मिले थे। तीन सिम भी उनके पास से मिली थी, जिसपर अलग-अलग समय पर दोनों को वारदात को अंजाम देने की बात की थी। वारदात को अंजाम देने के बाद पकड़े जाने पर शबनम और सलीम ने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए थे। सर्विलांस से दोनों के बीच बातचीत का पता चला। फिर शबनम के पास दवा का खाली रैपर मिला था और फॉरेंसिक रिपोर्ट भी आई थी। शबनम की भाभी अंजुम के पिता ने लाल मोहम्मद ने कोर्ट में सलीम से उसके अवैध संबंध उजागर किए थे।





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कितनी सुनवाई हुई





शबनम-सलीम के केस में करीब 100 तारीखों तक जिरह चली। इसमें 27 महीने लगे, फैसले के दिन जज ने 29 गवाहों को बयान सुने। 14 जुलाई 2010 जज ने दोनों को दोषी करार दिया था। अगले दिन 15 जुलाई 2010 को जज एसएए हुसैनी ने सिर्फ 29 सेकेंड में दोनों को फांसी की सजा सुना दी। इस मामले में 29 लोगों से 649 सवाल पूछे गए। 160 पन्नों में फैसला लिखा गया। तीन जजों ने पूरे मामलों की सुनवाई की।





मथुरा जेल प्रशासन ने रस्सी का ऑर्डर दे दिया है। निर्भया कांड के दोषियों को फांसी पर लटकाने वाले पवन जल्लाद ने फांसी घर का जायजा भी लिया है। हालांकि फांसी की तारीख अभी तय नहीं की गई है। अगर शबनम को फांसी होती है तो यह आजाद भारत का पहला मामला होगा।





हालांकि दोषी शबनम ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। जहां से सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा है। इसके बाद शबनम-सलीम ने राष्ट्रपति को दया याचिका भेजी थी, लेकिन राष्ट्रपति भवन से उनकी याचिका को खारिज कर दिया है। आजादी के बाद शबनम पहली महिला कैदी होगी जिसे फांसी दी जाएगी। फिलहाल शबनम बरेली तो सलीम आगरा जेल में बंद है।





मथुरा में है एकलौता महिला फांसी घर





देश में सिर्फ मथुरा जेल का फांसी घर एकलौता जहां महिला (First women in India to be hanged) को फांसी दी जा सकती है। मथुरा जेल में 150 साल पहले महिला फांसीघर बनाया गया था। आजादी के बाद से अब तक यहां किसी भी महिला को फांसी पर नहीं लटकाया गया है। वरिष्ठ जेल अधीक्षक के मुताबिक अभी फांसी की तारीख तय नहीं है, लेकिन हमने तयारी शुरू कर दी है। डेथ वारंट जारी होते ही शबनम-सलीम को फांसी दे दी जाएगी। हालांकि सलीम को फांसी कहां दी जाएगी यह भी अभी तय नहीं है


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