Responsive Ad Slot

Latest

latest


 

छत्तीसगढ़ की सभी कोटवारी जमीनों की रजिस्ट्री रद्द होगी

Document Thumbnail

रायपुर . प्रदेशभर की हजारों एकड़ कोटवारी सेवा भूमि नियम विरुद्ध बेच दी गई है। अब शासन ने सभी कोटवारी जमीनों की रजिस्ट्री नोटिस भेजने के आदेश दिए हैं। जिला प्रशासन इसमें सिविल वाद दायर करेगा। ऐसी जितनी भी भूमि हैं वह फिर से सेवा भूमि में दर्ज की जाएंगी। कलेक्टरों ने इसके लिए सभी तहसीलदारों से कोटवारी भूमि की रिपोर्ट मांगी है। एक माह के भीतर यह जानकारी कलेक्टर को सौंपनी होंगी। शासन ने बेची गई भूमि की रजिस्ट्री और दस्तावेज जब्त करने के लिए कहा है। सरकारी सेवा के बदले 10-10 एकड जमीन प्राप्त करने वाले कोटवारों ने अपनी सैकडों एकड़ जमीन बेच दी है। पत्रिका ने अपनी खबरों के माध्यम से लगातार कोटवारी भूमि की खरीदी बिक्री को उजागर किया। इसके बाद राज्य शासन के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने एक आदेश जारी कर बिक्री की गई कोटवारी भूमि को पुन: कोटवारों के नाम पर 1 माह के भीतर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं।





अधिकारियों पर भी हो सकती है कार्रवाई





राजस्व विभाग के आलाधिकारियों ने बताया कि बिना जांच के ही इस तरह के प्रकरणों की रजिस्ट्री हो गई है। इसमें राजस्व अधिकारी भी जिम्मेदार हैं। उन पर भी विभागीय जांच की जाएगी। मामले में जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी।





अफसरों की नाक के नीचे कई सालों से चल रहा था आवास आवंटन घोटाला, 1 आरोपी गया जेल और 3 की तलाश तेज





ऊंचे दामों में बेच कर हो गए मालामाल





गांवों के कोटवारों को शासन ने करीब 10-10 एकड भूमि सन 2003 में सरकारी सेवा के बदले दी थी। इसके पहले 1950 के पूर्व मालगुजार से प्राप्त भूमि जमीन अहस्तांतरणीय कर दी गई थी। लेकिन कोटवारों ने इन जमीन कारोबारियों को ऊंचे दामो पर बेच दी है। राज्य शासन को इसकी जानकारी मिलने पर यह जमीन वापस लेने का फैसला किया है। इस लिहाज से शासन के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव ने सभी जिले के कलेक्टर व संभागायुक्तों को पत्र लिखकर कार्यवाही शुरू करने कहा है।





यह था आदेश





प्रदेश शासन ने 1950 के पूर्व मालगुजारों द्वारा कोटवारी के एवज में दी गई भूमि पर कोटवार को भू-स्वामी का हक नहीं दिया है। शासन ने कहा है कि भूमि स्वामी का अधिकार नहीं मिलने के बाद भी कोटवारों ने उस जमीन की बिक्री बिना कलेक्टर की अनुमति के कर दी है जबकि नियमत: इस जमीन का भूमि स्वामी का हक शासन ने नहीं दिया है। कोटवारों द्वारा विक्रय की गई भूमि संबंधी प्रकरणों का परीक्षण कर कोटवारो को प्रदान की गई भूमि के अभिलेख मे अहस्तातंरणीय शब्द दर्ज करने के निर्देश दिये हैं।





हाईकोर्ट के आदेश का हवाला





राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग मंत्रालय महानदी भवन रायपुर द्वारा पत्र क्रमांक एफ 10-11/2000/आप्र/पार्ट 2 पत्र प्रेषित करते हुए संदर्भित पत्र के संबंध में आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये हैं। बीते सप्ताह फिर से विभाग ने सभी जिलों को पत्र भेजा है। संदर्भित पत्र में उच्च न्यायालय द्वारा रिट याचिका क्रमांक 704/18-8-2018 में पारित आदेश द्वारा निर्देशित किया गया है कि कोटवारों को मालगुजारों द्वारा वर्ष 1950 के पूर्व प्रदान की गई भूमि और शासन से मिली भूमि पर भूमिस्वामी हक नहीं दिया जा सकता।


Don't Miss
© Media24Media | All Rights Reserved | Infowt Information Web Technologies.