26 जनवरी को राजधानी दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर रैली (Farmers' Tractor Rally) के दौरान हुई हिंसा के बाद अब कई किसान संगठनों ने आंदोलन से अपने पैर पीछे खींच लिए हैं। भारतीय किसान यूनियन (Bharatiya Kisan Union) के दो गुट कृषि कानूनों को लेकर चल रहे आंदोलन से अलग हो गए हैं। जिसके बाद दिल्ली-नोएडा के चिल्ला बॉर्डर (Farmer Protest Chilla Border)पर आंदोलन खत्म हो गया है। चिल्ला बॉर्डर का ये रास्ता 58 दिन से बंद था, जो अब खोल दिया गया है।
राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के अध्यक्ष वी एम सिंह ने कहा कि उनका संगठन मौजूदा आंदोलन से अलग हो रहा है, क्योंकि वे ऐसे विरोध प्रदर्शन में आगे नहीं बढ़ सकते, जिसमें कुछ लोगों की दिशा अलग है।
ट्रैक्टर परेड एक दुखद घटना(Farmer Protest Chilla Border)
वहीं, भारतीय किसान यूनियन (भानु) के अध्यक्ष ठाकुर भानु प्रताप सिंह ने भी बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टर परेड के दौरान जो कुछ भी हुआ उससे वह काफी दुखी हैं और उनकी यूनियन ने अपना प्रदर्शन खत्म कर दिया है।
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इन दोनों किसान संगठनों के आंदोलन खत्म करने पर किसान नेता दर्शन पाल सिंह ने कहा है, ''जिन किसान संगठनों ने कल की हिंसा के बाद अपना आंदोलन खत्म कर दिया है वह अच्छी बात नहीं है। कल की हिंसा के बाद किसान आंदोलन को झटका लगा है। हम आत्मचिंतन करेंगे। अब हमें लोगों को दोबारा से इकट्ठा करना पड़ेगा। कल जो हुआ उसकी हमने नैतिक ज़िम्मेदारी ली है।''
किसान नेताओं पर कसा दिल्ली पुलिस का शिकंजा
बता दें कि ट्रेक्टर मार्च में हुई हिंसा के बाद दिल्ली पुलिस ने किसान नेताओं पर शिकंजा कस दिया है। पुलिस ने हिंसा के मामले में अबतक 37 किसान नेताओं के खिलाफ केस दर्ज किया है। पुलिस ने किसान नेता दर्शन सिंह को नोटिस भेजकर तीन दिनों के अंदर जवाब मांगा है। साथ ही एफआईआर में पंजाबी एक्टर दीप सिंधू और लक्खा सिधाना का नाम भी जोड़ा गया है। दीप सिंधू ने ही लाल किले पर खालसा पंत का झंडा फहराया था।