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पाठ्यपुस्तक निगम में कागज खरीदी में 27 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भुगतान

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रायपुर। छत्तीसगढ़ और सेंट्रल इंडिया के प्रमुख सप्लायरों के कोटेशन से बड़ा खुलासा हुआ है। कोटेशन के मुताबिक 11 हजार टन किताबी कागज (Corruption in Book paper) के लिए इस साल 68900 की जगह 65990 रुपए प्रति टन की दर से कागज खरीदकर 3000 प्रति टन बचाने का जो दावा किया जा रहा है, उसके पीछे भी दोगुना फायदा छिपा हुआ है। दरअसल, पिछले साल जब 68900 रुपए की दर से कागज निगम ने खऱीदा था तो उस समय मार्केट रेट 58000 रुपए के आसपास था। यानि करीब 10000 रुपए प्रति टन का अंतर। लेकिन मार्केट सर्वे के अनुसार इस साल मार्केट रेट 45000 रुपए तक आ चुका है और ऐसे में निगम ने सीधा 20000 रुपए प्रति टन के अंतर के साथ 65900 रुपए प्रति टन की दर से कागज खरीद डाले हैं। अब इस बात को कोई भी समझ सकता है कि 11 हजार टन किताबी कागज के लिए 3 करोड़ का फायदा दिखाकर 20 करोड़ का भ्रष्टाचार किया गया है।





11 हजार टन कागज की हुई खरीदी
कुल 11 हजार टन किताबी कागज के लिए खरीदी की गयी है। 2.5 टन कागज विविध कार्यों के लिए भी इसी दर पर खरीदी की गयी है। इस हिसाब से करीब 27 करोड़ रूपए का अतिरिक्त भुगतान (Corruption in Book paper)किया गया है। पाठ्यपुस्तक निगम में कैसे पिछली बार भी मार्केट रेट से ज्यादा कीमत पर कागज खरीदा गया था।





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बीते साल हुआ था सर्वे, इस बार नहीं
पिछली बार भले ही खानापूर्ति के लिए ही सही, लेकिन मार्केट रेट का सर्वे कर कोटेशन मंगवाए भी गए थे, लेकिन इस बार वो भी नहीं किया गया। अब तक कार्रवाई के नाम पर कुछ बड़ा एक्शन देखने को नहीं मिला। इस पूरे खेल में मध्यप्रदेश के पेपर माफिया का नाम सामने आ रहा है, जिसे फायदा पहुंचाने के लिए पूरा खेल रचा गया है।





पापुनि का दावा
पाठ्यपुस्तक निगम का दावा है कि प्रिंटरों से काफी मोल-भाव करके टेंडर की दरों को कम करवाया है। इस बारे में खुद छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी का कहना है कि पिछले वर्ष कागज 68900 रुपए प्रति टन की रेट पर लिया गया था, इस वर्ष 65990 रुपए प्रति टन पर खरीदा जा रहा है।


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