हर साल 10 दिसंबर को दुनिया में 'अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस' (International Human Rights Day) मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने सबसे पहले 10 दिसंबर 1948 में मानवाधिकारों को अपनाने की घोषणा की थी, हालांकि आधिकारिक तौर पर इस दिन की घोषणा 10 दिसंबर 1950 में की गई। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है।
मानवाधिकार दिवस मनाने का उद्देश्य
संयुक्त राष्ट्र ने सभी देशों को 1950 में आमंत्रित किया, जिसके बाद असेंबली ने 423 (V) रेजोल्यूशन (Resolution) पास कर सभी देशों और संबंधित संगठनों को इस दिन को मनाने की सूचना जारी की थी। मानवाधिकार दिवस मनाने का उद्देश्य लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है।
राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर साधा निशान
वहीं मानवाधिकार दिवस के दिन पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर मोदी सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने लिखा है कि ' मोदी सरकार ग़रीबों के मौलिक अधिकार छीन रही है। ये मानवता के विरुद्ध अपराध है। देश के बेहतर भविष्य के लिए हमें हर वर्ग के अधिकारों का सम्मान करना ही होगा। #HumanRightsDay'
मानवाधिकार के तहत कोई भी इन अधिकारों से किसी को नहीं रख सकता वंचित
मानवाधिकार में स्वास्थ्य, आर्थिक सामाजिक, और शिक्षा का अधिकार भी शामिल हैं। मानवाधिकार वे मूलभूत अधिकार हैं, जिनसे मनुष्य को नस्ल, जाति, राष्ट्रीयता, धर्म, लिंग आदि के आधार पर प्रताड़ित नहीं किया जा सकता और उन्हें देने से वंचित नहीं किया जा सकता।
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इस साल मानवाधिकार दिवस की थीम है - 'फिर से बेहतर- मानव अधिकारों के लिए खड़े हो जाओ'। यह थीम कोविड-19 महामारी से निर्मित हुई स्थिति की वजह से रखी गई है। इस मौके पर यूएन महासचिव की तरफ से संदेश जारी किया गया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि कोरोना महामारी का मुकाबला करने के लिए प्रयासों, लैंगिक समानता, जनभागीदारी, जलवायु न्याय और टिकाऊ विकास में- मानवाधिकारों को केंद्रीय महत्व देने की आवश्यकता है।
क्यों मनाया जाता है मानवाधिकार दिवस
मानवाधिकार दिवस (Human Rights Day)मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने का है, इसीलिए हर साल 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है। मानवाधिकार में स्वास्थ्य, आर्थिक सामाजिक, और शिक्षा का अधिकार भी शामिल है। मानवाधिकार वे मूलभूत नैसर्गिक अधिकार हैं, जिनसे लोगों के बीच नस्ल, रंग, लिंग, भाषा, धर्म, राजनीतिक या अन्य विचार, राष्ट्रीयता या समाजिक उत्पत्ति, संपत्ति, जन्म आदि बातों के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता है। मानवाधिकार के तहत पूरी दुनिया के लोगों को बराबर अधिकार दिया गया हैं ।
भारत में मानवाधिकार की स्थिति
भारत में 28 सितंबर 1993 को मानवाधिकार कानून (Human rights law) अमल में आया । इसके बाद सरकार ने 12 अक्टूबर 1993 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन किया। बता दें कि मानवाधिकार आयोग राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्षेत्रों में भी काम करता है। इनमें मजदूरी, HIV एड्स, हेल्थ, बाल विवाह, महिला अधिकार जैसे अधिकार शामिल है।
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भारत में शिक्षा का अधिकार मानवाधिकार के तहत ही है। मानवाधिकार आयोग का काम ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करना है। हालांकि भारत में इसकी स्थिति दयनीय है। कई लोग ऐसे है जिन्हें मानवाधिकार के बारे में जानकारी ही नहीं है। मानव अधिकारों के मोर्चे पर अभी लंबी लड़ाई लड़नी पड़ेगी।
कुछ प्रमुख मानवाधिकार-
- जीवन का अधिकार
- शिक्षा का अधिकार
- कानून का अधिकार
- सोच और धर्म की स्वतंत्रता
- दासता से स्वतंत्रता
- अत्याचार से स्वतंत्रता
- उचित परीक्षण का अधिकार
- बोलने की स्वतंत्रता
- आंदोलन की स्वतंत्रता
- नागरिक और राजनीतिक अधिकार
- सामाजिक अधिकार