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स्वास्थ्य मंत्री ने की विभागीय काम-काज की समीक्षा, कोरोना की संभावित तीसरी लहर के लिए पूरी तैयारी करने के दिए निर्देश

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स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री TS सिंहदेव ने प्रदेश में कोरोना संक्रमण और वैक्सीनेशन की स्थिति की समीक्षा की और अधिकारियों को कोरोना की संभावित तीसरी लहर से बचाव और इलाज के लिए सभी आवश्यक तैयारियां सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। मंत्री सिंहदेव ने अपने निवास कार्यालय में विभागीय काम-काज की समीक्षा की। उन्होंने बैठक में राजधानी रायपुर सहित अन्य जगहों में फैल रहे डेंगू के प्रकरणों की रोकथाम और बचाव के लिए जल ठहराव, गंदगी के प्रति लोगों में जन-जागरूकता अभियान चलाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि डेंगू से पीड़ित मरीजों का एलिजा टेस्ट किया जाए। प्रभावित इलाकों के अस्पतालों में डेंगू के इलाज के लिए पर्याप्त मात्रा में दवाइयों की उपलब्धता का विशेष ध्यान रखा जाए। 


स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव ने प्रदेश में कोरोना संक्रमण की संभावित तीसरी लहर के मद्देनजर की जा रही तैयारियों की विस्तार से जानकारी ली।  साथ ही ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की उपलब्धता के साथ ही संक्रमण की रोकथाम के लिए बेहतर प्रबंधन के लिए सभी आवश्यक तैयारी रखने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि अस्पताल में उपलब्ध सभी उपकरणों की साफ-सफाई और रख-रखाव पर ध्यान दिया जाए। बैठक में वायरोलॉजी, हमर लैब की स्थापना और आयुष्मान-डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना के उचित क्रियान्वयन के संबंध में भी आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। मंत्री सिंहदेव ने कहा कि वैक्सीनेशन की पहले डोज के साथ-साथ दूसरा डोज लगाना जरूरी है। 


इन मुद्दों पर हुई चर्चा

मंत्री सिंहदेव ने कहा कि वैक्सीन की कमी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार से समन्वय कर पर्याप्त वैक्सीन की सप्लाई के लिए मांग की जाए। उन्होंने वैक्सीन का पहला डोज लगा चुके लोगों में इम्यूनिटी बना रहे इसलिए निर्धारित समय-सीमा में दूसरे डोज लगाने पर भी जोर दिया। बैठक में स्वास्थ्य मंत्री  सिंहदेव ने नए चिकित्सा महाविद्यालयों कांकेर, कोरबा और महासमुंद में सभी जरूरी आवश्यक व्यवस्था करने के साथ ही इन महाविद्यालयों में स्वशासी समिति का गठन करने के निर्देश दिए। उन्होंने इन महाविद्यालयों में नेशनल मेडिकल कांउसिल के निरीक्षण और शैक्षणिक स्टॉफ भर्ती के संबंध में चर्चा की। 

सैंपल जांच के लिए ब्लड टेस्ट केंद्र

मंत्री ने बताया कि विभाग में डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टॉफ के रिक्त पदों की भर्ती के लिए वित्त विभाग से स्वीकृति मिल गई है, जल्द ही इन पदों की भर्ती विभागीय और एजेंसियों के माध्यम से किया जाएगा। बैठक में सिंहदेव ने बताया कि विभाग द्वारा ऐसा सिस्टम तैयार किया जा रहा है कि आगामी छह माह में प्रदेश के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में निशुल्क खून जांच हो। प्राथमिक और उप स्वास्थ्य केंद्रों में ही खून जांच कराने वालों का सैंपल लिया जाएगा और विभाग के माध्यम से वाहनों द्वारा सैंपल जांच के लिए ब्लड टेस्ट केंद्रों में पहुंचाया जाएगा। 

ऑनलाइन भेज दी जाएगी रिपोर्ट 

जांच के बाद उसकी रिपोर्ट ऑनलाइन भेज दी जाएगी। इसके अलावा मरीजों के OPD पर्ची में डॉक्टरों द्वारा लिखी गई सभी दवाइयां भी निशुल्क उपलब्ध कराने की तैयारी की जा रही है। उन्होंने प्रदेश के दुर्गम और दूरस्थ अंचलों में भी आवश्यकता के अनुरूप ब्लड बैंकों की स्थापना करने अधिकारियों को निर्देश दिए। बैठक में स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला, सचिव शहला निगार,  विशेष सचिव सी.आर. प्रसन्ना, संचालक स्वास्थ्य सेवाएं नीरज बंसोड़, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला, छत्तीसगढ़ मेडिकल कॉपोरेशन के प्रबंध संचालक कार्तिकेय गोयल, संचालक चिकित्सा शिक्षा डॉ. विष्णु दत्त सहित मेडिकल कॉलेज कांकेर, कोरबा और महासमुंद के अधिष्ठाता उपस्थित थे। 

कोरोना की तीसरी लहर को लेकर तैयारी, बच्चों के लिए की गई खास व्यवस्था

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दुर्ग कलेक्टर सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने तीसरी लहर आने की दशा में प्रशासन द्वारा की जा रही रोकथाम की तैयारियों को लेकर इसके टास्क फोर्स की अहम बैठक ली। बैठक में टास्क फोर्स के सभी अधिकारियों से उन्होंने पूछा कि आपको जो दायित्व दिए गए हैं उसके लिए आपने अब तक क्या-क्या तैयारी कर ली है। आपको किस तरह से अतिरिक्त संसाधन चाहिए और क्या बेहतर किया जा सकता है। अधिकारियों ने अब तक की तैयारियां बताईं जो इस प्रकार है।





400 बेड का ऑक्सीजन सिलेंडर युक्त सेटअप तैयार





सबसे पहले सेंट्रल सेटअप सीसीएम में जहां पर्याप्त अधोसंरचना के साथ प्रभावी रिस्पांस करेगी स्पेशलिस्ट की टीम कलेक्टर ने कहा कि कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सीसीएम में बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है, ताकि एक ही जगह प्रभावी रूप से अधिकांश पेशेंट के इलाज की उचित व्यवस्था और मानिटरिंग हो सके। अधिकारियों ने बताया कि यहां 400 बेड का ऑक्सीजन सिलेंडर युक्त सेटअप तैयार है। अगर बच्चे भी गंभीर रूप से संक्रमण का शिकार होते हैं तो इसके लिए भी 100 बेड की व्यवस्था की गई है। इसमें 25 बेड ICU के, 25 बेड HDU के और 50 बेड सामान्य ऑक्सीजन युक्त बेड हैं।





वैक्सीनेशन से कोई खतरा नहीं, यह पूरी तरह सुरक्षित, तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए जरुरी





ब्लॉक मुख्यालयों को भी किया जा रहा मजबूत ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था और केयर की विशेष व्यवस्था के लिए ब्लॉक मुख्यालयों, पीएचसी और सीएचसी को भी मजबूत किया जा रहा है। ब्लॉक मुख्यालयों में 20 बेड अस्पताल के लिए काम हो रहा है। पीएचसी लेवल पर भी 5 सिलेंडर रखे जाएंगे। एक महीने से 18 साल के बच्चों का इलाज सीसीएम, 1 महीने से कम आयु के बच्चे रखे जाएंगे।





1 महीने से 18 साल तक के बच्चों का इलाज





जिला अस्पताल के एसएनसीयू में बच्चों के संक्रमण का शिकार होने पर शिशुरोग विशेषज्ञों की पूरी टीम को इनके मुताबिक वेंटीलेंटर, एचएफएनसी मशीनों के साथ सीसीएम में रखा जाएगा। यहां 1 महीने से 18 साल तक के बच्चों का इलाज हो सकेगा। एक महीने से कम आयु के बच्चों का इलाज जिला अस्पताल के एसएनसीयू में होगा।





कोविड केयर पर बनेगा 3 पेज का स्टडी मटेरियल





कलेक्टर ने शिशुरोग विशेषज्ञ मल्होत्रा को बच्चों की ऑनलाइन क्लास में कोविड केयर के बारे में जागरूक करने तीन पेज का स्टडी मटेरियल बनाने को कहा है। इसे पढ़ाया जाएगा और इस पर बच्चों का टेस्ट भी लिया जाएगा। कलेक्टर ने कहा कि बच्चों को सुरक्षा के प्रति जागरूक करना बेहद अहम है इस दिशा में ऑनलाइन क्लासेस विशेष सहायक हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी कक्षाएं होने से बच्चे स्वयं कोविड के लक्षण होने पर बता सकेंगे, जिससे उनका त्वरित इलाज शुरू हो सकेगा।





एम्स की टेक्निकल टीम ने किया दौरा, दिए सुझाव





सीसीएम में बेहतर इलाज के लिए अधोसंरचना संबंधी मुकम्मल व्यवस्था के संबंध में सुझाव देने एम्स की टेक्निकल टीम ने यहां का दौरा किया। इसके मुताबिक ऑक्सीजन सप्लाई की स्थिति प्रभावी बनाए रखने सहित अन्य महत्वपूर्ण बातों पर टीम ने सुझाव दिया।ौ


वैक्सीनेशन से कोई खतरा नहीं, यह पूरी तरह सुरक्षित, तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए जरुरी

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बलौदाबाजार। कोरोना वैक्सीन से किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं है, बल्कि इसके माध्यम से शरीर स्वयं ही अपने भीतर कोरोना के खिलाफ एक रक्षा तंत्र विकसित कर लेता है I कोरोना की तीसरी लहर की आशंका में यह वैक्सीनेशन बचाव का आसान, सुलभ और सुरक्षित तरीका साबित होगा I





मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ खेमराज सोनवानी ने आम जन के मन में वैक्सीन को लेकर चल कई प्रकार की भ्रांतियों का निराकरण करते हुए बताया की वैक्सीन लगने के बाद किसी-किसी को हल्का बुखार या बदन में दर्द ,थकान , सर दर्द एक सामान्य बात है। इसमें घबराने की आवश्यकता नहीं है I इसके उपचार के लिए टीके लगवाने के साथ ही दवाई दी जाती है।





सीएमएचओ ने बताया कि कई लोग इस भ्रान्ति में हैं कि कोरोना वैक्सीन से स्त्री पुरुष में बाँझपन या नपुंसकता आती है जो पूरी तरह से गलत है I अभी तक जिले में कोई ऐसा मामला नहीं है। जिसमें वैक्सीन लगने के बाद किसी को इस प्रकार की कोई समस्या आई हो I





जहाँ तक वैक्सीन के बाद मृत्यु हो जाने की बात है तो सीएमएचओ ने इस पर बताया की अब तक जिले में कोरोना से 509 लोगों की मृत्यु हो चुकी है इनमें से 508 को भी वैक्सीन नहीं लगा था I





जिले में अब तक 1.94 लाख 45 वर्ष से अधिक और 30229 अठ्ठारह साल से अधिक आयु वर्ग को वैक्सीन की प्रथम डोज लगाई जा चुकी है। अर्थात अब तक लगभग 2.25 लाख लोगों को वैक्सीन लग चुकी है और वह सभी स्वस्थ हैं उनको किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं है I वैक्सीन लगने के 12 दिन बाद भाटापारा शहर में जो एक 54 वर्षीय व्यक्ति की मृत्यु की जानकारी सामने आई थी उस पर सी एम एच ओ ने कहा की मरीज पूर्व से ही शुगर और हाई ब्लड प्रेशर से ग्रस्त था। ऐसे में समझा जा सकता है कि, यह कोमारबिडीटी का प्रकरण था जिस कारण मृत्यु हुई I





डॉ खेमराज सोनवानी ने यह भी बताया की वर्तमान में गर्भवती महिला के अतिरिक्त सभी को वैक्सीन लगाई जा रही हैं जिनमें शिशुवती महिलाएं भी नए नियम के अनुसार अब सम्मिलित हो चुकी हैं जो पूर्व में नहीं थीं I वैक्सीनेशन से पूर्व केन्द्रों पर एंटीजन टेस्ट की भी व्यवस्था की गई है I





उन्होंने आम जनता से यह अपील की है कि वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है एवं कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए सभी को समय पर वैक्सीन लगवा लेना चाहिए। इसके माध्यम से स्वयं के अतिरिक्त परिवार को भी सुरक्षा प्राप्त होगी एवं कोरोना के प्रसार को भी रोका जा सकेगा I


तीन महीने बाद कोरोना की तीसरी लहर संभावित, एक साल और बरते सावधानी- एक्सपर्ट

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कोरोना की दूसरी लहर का संक्रमण अब काफी हद तक नियंत्रित हो चुका है। फिर भी सभी विशेषज्ञ व डॉक्टर्स लगातार सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं। साथ ही तीसरी लहर को लेकर चेतावनी जारी कर रहे हैं। इसके अलावा कोर्ट ने भी केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि हम तीसरी लहर से ज्यादा दूर नहीं हैं। इस बीच विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि तीन महीने बाद देश में तीसरी लहर दस्तक दे सकती है।





एक्सपर्ट्स - 1 साल और सावधान रहने की जरूरत





मेडिकल एक्सपर्ट्स के रॉयटर्स पोल के अनुसार, अक्तूबर तक भारत में कोरोना की तीसरी लहर आने की संभावना जताई जा रही है। वहीं इस पोल के अनुसार लोगों को एक वर्ष और सावधान रहने की आवश्यकता है। इस पोल में दुनियाभर के 40 स्वास्थ्य विशेषज्ञ, डॉक्टरों, वैज्ञानिकों, वायरोलॉजिस्ट, महामारी विज्ञानियों और प्रोफेसरों को शामिल किया गया। इनसे 3 से 17 जून के बीच प्रतिक्रिया ली गई।





सर्वे के अनुसार 85 फीसदी से अधिक यानी 24 में से 21 ने कहा कि तीसरी लहर अक्तूबर तक आएगी। इनमें से तीन ने अगस्त की शुरुआत और 12 ने सितंबर में इसके आने की संभावना जताई। बाकी तीन ने नवंबर से फरवरी के बीच इसके आने की बात कही।





70 फीसदी से ज्यादा विशेषज्ञों यानी 34 में से 24 ने कहा कि तीसरी लहर को दूसरी की तुलना में बेहतर ढंग से काबू किया जाएगा। मौजूदा लहर कहीं ज्यादा जानलेवा साबित हुई। इस दौरान स्वास्थ्य व्यस्था में काफी कमी देखने को मिली। पहली लहर के मुकाबले यह ज्यादा लंबी भी रही है। ऐसे में सरकार दूसरी लहर के भयावाह अनुभवों के मद्देनजर संभावित तीसरी लहर के प्रकोप से बचने के लिए तमाम तरह के सुरक्षा उपायों को बढ़ाने में जुटी है। वहीं तेजी से टीकाकरण अभियान को आगे बढ़ाने पर जोर दे रही है।





तीसरी लहर पर ज्यादा नियंत्रण होगा





वहीं अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने कोरोना की तीसरी लहर को लेकर कहा है कि नई लहर पर ज्यादा नियंत्रण होगा। इसके आने तक काफी लोगों का वैक्सीनेशन हो चुका होगा। दूसरी लहर से भी कुछ हद तक प्राकृतिक प्रतिरक्षा मिलेगी।





हालांकि बच्चों और 18 साल से कम उम्र के बच्चों पर संभावित तीसरी लहर के प्रभाव पर विशेषज्ञों की राय अलग-अलग दिख रही है। 40 में से 26 विशेषज्ञों ने कहा कि बच्चों को सबसे अधिक खतरा होगा, वहीं शेष 14 ने कहा कि ऐसा नहीं होगा।


कोरोना की तीसरी लहर की चुनौतियों से निपटने की तैयारी , विशेष व्यवस्था पर जोर

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स्वास्थ्य टी.एस. सिंहदेव ने बुधवार को वरिष्ठ विभागीय अधिकारियों और प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों के विशेषज्ञों से कोरोना संक्रमितों के पोस्ट कोविड मैनेजमेंट पर विचार-विमर्श किया। उन्होंने कोरोना की संभावित तीसरी लहर की चुनौतियों से निपटने के लिए पुख्ता तैयारी के निर्देश दिए। उन्होंने मेडिकल कॉलेजों के विशेषज्ञों से गर्भवती महिलाओं और बच्चों के इलाज के लिए विशेष व्यवस्था बनाने कहा।









स्वास्थ्य मंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंस से रायपुर एम्स और प्रदेश के सभी नौ शासकीय मेडिकल कॉलेजों के अधिष्ठाताओं और विशेषज्ञों से चर्चा कर कोविड-19 के इलाज के बाद मरीजों को आ रही शारीरिक तकलीफों और इससे उत्पन्न स्थिति की समीक्षा करने कहा। साथ ही इसके बेहतर प्रबंधन के निर्देश दिए। उन्होंने सभी मेडिकल कॉलेजों के विशेषज्ञों से कहा कि वे वर्तमान परिस्थितियों, कोविड मरीजों के इलाज और रिकवरी संबंधी तथ्यों और आंकड़ों का विश्लेषण कर बेहतर व्यवस्था बनाने के लिए अपने सुझाव स्वास्थ्य विभाग को भेजें।





छत्तीसगढ़ में कोरोना के 9,121 नए मरीजों की पुष्टि, 195 मरीजों की हुई मौत





मंत्री सिंहदेव ने कोविड-19 के इलाज संबंधी आंकड़ों और प्रोटोकॉल का अध्ययन कर इसके इलाज से जुड़ी भ्रांतियों और अफवाहों को दूर करने कहा। उन्होंने सभी मेडिकल कॉलेजों से पोस्ट कोविड मैनेजमेंट के लिए आवश्यक तैयारियों और संसाधनों की जानकारी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि कोविड-19 की दूसरी लहर के संबंध में आम धारणा है कि इससे युवा सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। पर अगर हम पहली और दूसरी लहर के आंकड़ों को देखें तो इससे प्रभावितों का पैटर्न लगभग एक जैसा है।





दूसरी लहर पहली की तुलना में ज्यादा खतरनाक





भले ही अलग-अलग आयु वर्ग के कोरोना संक्रमितों की संख्या दूसरी लहर में पहली लहर की तुलना में अधिक है। कोरोना मरीजों के इलाज में दवाईयों के उपयोग को लेकर भी अनेक भ्रांतियां हैं। कई दवाईयों का अनावश्यक बहुत ज्यादा उपयोग भी देखने में आया है। इनके दुष्प्रभाव भी मरीजों में दिख रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला ने बैठक में कहा कि कोरोना संक्रमितों के इलाज से जुड़े तथ्यों और आंकड़ों का गहराई से विश्लेषण जरूरी है।





कोविड मैनेजमेंट की व्यवस्था बेहतर करने के निर्देश





उन्होंने सभी मेडिकल कॉलेजों से कहा कि वे वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए पोस्ट कोविड मैनेजमेंट की अपनी व्यवस्थाओं को बेहतर करें। कोरोना से ठीक हुए लोगों की पोस्ट कोविड मैनेजमेंट के साथ इलाज और दवाईयों के उपयोग का मेडिकल ऑडिट किया जाना चाहिए। उन्होंने इसके लिए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के साथ मिलकर मेडिकल ऑडिट टीम बनाने का सुझाव दिया।





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डॉ. शुक्ला ने कहा कि कोरोना के इलाज में उपयोग की जा रही बहुत सी दवाईयां अभी प्रयोगात्मक (Experimental Drugs) स्तर पर हैं। इनका अनावश्यक उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने मेडिकल कॉलेजों के अधिष्ठाताओं से अपने विशेषज्ञों को निर्देशित करने कहा कि वे मेडिकल जानकारी के आधार पर ही दवाईयां प्रिस्काइब करें।





रायपुर एम्स के निदेशक ने दी जानकारी





रायपुर एम्स के निदेशक डॉ. नितिन एम. नागरकर ने कहा कि कोविड-19 के प्रबंधन में प्रोटोकॉल का पालन जरूरी है। दवाईयों के दुष्प्रभाव और इसके प्रयोगात्मक चरण को देखते हुए इनका बहुत सावधानी से उपयोग किया जाना चाहिए। लंबे समय तक चलने वाले वायरस संक्रमण में नए-नए स्ट्रेन आते रहते हैं और इनके अनुरूप प्रोटोकॉल में बदलाव करना पड़ता है। गंभीर मरीजों के इलाज में वेंटिलेटर और ICU की भूमिका को देखते हुए पर्याप्त संख्या में वहां काम करने वाले दक्ष और प्रशिक्षित मेडिकल स्टॉफ जरूरी है।





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वीडियो कॉन्फ्रेंस में सभी मेडिकल कॉलेजों के विशेषज्ञों ने कोरोना मरीजों के इलाज, संक्रमित गर्भवती महिलाओं, बच्चों के इलाज, आईसीयू और वेंटिलेटर के उपयोग के संबंध में महत्वपूर्ण सुझाव दिए। स्वास्थ्य सेवाओं के संचालक नीरज बंसोड़, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला, चिकित्सा शिक्षा विभाग के संचालक डॉ. आर.के. सिंह, एम्स के डॉ. अजॉय बेहरा, रायपुर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. विष्णु दत्त ने चर्चा में हिस्सा लिया।





चर्चा में इन डॉक्टरों ने लिया हिस्सा





इसी तरह सिम्स बिलासपुर की डीन डॉ. तृप्ति नागरिया, जगदलपुर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. यू.एस. पैकरा, राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज की डीन डॉ. रेणुका गहिने, रायगढ़ मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. पी.एम. लूका, अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. आर. मूर्ति, कोरबा मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. वाई.के. बड़गैंया, महासमुंद मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. पी.के. निगम और कांकेर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. एम.एल. गर्ग ने भी अपने-अपने संस्थानों के विशेषज्ञ डॉक्टरों के साथ चर्चा में हिस्सा लिया।


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