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भक्तिन माता राजिम के आदर्श सभी समाजों के लिए अनुकरणीय: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

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 रायपुर : राजिम शैव और वैष्णव परंपरा का संगम स्थल है। राजिम के इस पवित्र स्थल में ही भगवान श्रीराम ने कुलेश्वर महादेव की स्थापना कर उनकी पूजा-अर्चना की थी। सोन्ढूर, पैरी और महानदी के त्रिवेणी संगम के कारण यह क्षेत्र पूरे देश में प्रसिद्ध है। राजिम नगरी छत्तीसगढ़ का प्रयागराज के रूप में प्रसिद्ध है। यहां से प्रवाहित होने वाली महानदी पापमोचिनी गंगा कहलाती है। राजिम भक्तिन माता के नाम पर ही राजिम का नाम हुआ है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने आज राजिम में साहू समाज द्वारा आयोजित भक्तिन माता राजिम जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए यह बात कही।


मुख्यमंत्री साय ने कहा कि यह हम सबके लिए गौरव की बात है कि हम आज उस भूमि में एकत्रित हुए हैं जहां भगवान श्रीराम ने माता सीता के साथ अपने चरण रखे। माता सीता ने यहां महादेव की पूजा अर्चना की और रेत से ही कुलेश्वर महादेव को स्थापित किया। उन्होंने कहा कि राजिम भक्तिन माता ने जिस त्याग और तपस्या का उदाहरण प्रस्तुत किया, उसकी स्मृति साहू समाज संजोये हुए है। राजिम भक्तिन माता की जयंती से सामाजिक एकजुटता को बढ़ावा मिलता है। साथ ही उनके आदर्शाें पर चलने की प्रेरणा मिलती है। समाज के एकजुट होने से प्रदेश और देश को भी मजबूती मिलती है। उन्होंने इस अवसर पर राजिम में भक्तिन माता की भव्य कांस्य प्रतिमा की स्थापना के लिए 5 करोड़ रूपए की घोषणा की।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि साहू समाज प्रगतिशील समाज है। यह समाज खेती किसानी के साथ-साथ व्यापार, उद्योग जगत में आगे बढ़ रहा है। साहू समाज अपनी विरासत को भी संजोये हुए हैं। उन्होंने कहा कि सबका साथ, सबका विकास सबका विश्वास और सबका प्रयास की नीति लेकर 140 करोड़ भारतीयों को अपना परिवार मानकर उनके हित में 18-18 घंटे काम करने वाले देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी आपके समाज का गौरव हैं।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के समय राजिम में भव्य कुंभ कल्प की शुरूआत हुई थी। पूर्ववर्ती सरकार ने इसकी गरिमा कम कर दी थी। हमारी सरकार ने राजिम कुंभ कल्प की गरिमा को पुनर्स्थापित किया है। पिछले साल राजिम कुंभ में देश भर से संत समागम हुआ। हम इस साल भी हम भव्य राजिम कुंभ कल्प का आयोजन करने जा रहे है।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि कार्यक्रम में बड़ी संख्या में माताओं और बहनों की उपस्थिति है। हमने महतारी वंदन योजना से महिला सशक्तिकरण की दिशा में काम किया है। अभी हाल ही में इस योजना की ग्यारहवीं किश्त माता-बहनों के खाते में हस्तांतरित की गई है। पहली तारीख को माताओं-बहनों के मोबाइल में इस योजना की राशि जाती है और उनका चेहरा खिल जाता है। इससे उन्हें अपने बजट को व्यवस्थित करने में मदद मिलती है। जब भी मैं इस बारे में उनसे चर्चा करता हूँ वे बहुत खुश हो कर बताती हैं कि इस योजना से उनके जीवन में कितना बदलाव आया। सही मायने में तब लगता है कि हम अटल जी के सुशासन का सपना छत्तीसगढ़ में साकार कर रहे हैं।

उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि उन्होंने अमेरिका प्रवास के दौरान देखा कि किस तरह विदेशों में भी साहू समाज के बच्चे छत्तीसगढ़ का परचम लहरा रहे हैं। अपनी कर्मठता और संकल्पशक्ति से साहू समाज के लोग देश-दुनिया में समाज का नाम उंचा कर रहे हैं। केन्द्रीय राज्य मंत्री श्री तोखन साहू ने बताया कि भक्त माता करमा के नाम पर डाक टिकट जारी होना हम सब के लिए गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि करमा माता ने अपना जीवन समाज को समर्पित किया, उनके विचारों और आदर्शाे से समाज का विकास हो सके इसलिए जरुरी है कि हम सभी उन विचारों को आत्मसात करें।

मुख्यमंत्री ने की माता राजिम एवं भगवान श्री राजीव लोचन की पूजा-अर्चना

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राजिम पहुंचकर भगवान राजीव लोचन मंदिर में भक्तिन माता राजिम एवं भगवान राजीव लोचन की विधि विधान से पूजा अर्चना की और प्रदेशवासियों की खुशहाली और सुख समृद्धि की कामना की। इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री अरुण साव, केंद्रीय राज्य मंत्री श्री तोखन साहू, सांसद श्रीमती रूपकुमारी चौधरी, विधायक सर्वश्री मोतीलाल साहू, रोहित साहू, ईश्वर साहू, संदीप साहू सहित अनेक जनप्रतिनिधिगण और बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

छत्तीसगढ़ के कण कण में बसी हुई है भगवान श्रीराम की स्मृतियां : मुख्यमंत्री विष्णुदेव

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 रायपुर : हमारी सरकार लगातार लोगों की सुख-समृद्धि के लिए काम कर रही है। 3100 रुपए प्रति क्विंटल में धान खरीदी, 21 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदी से किसानों में समृद्धि आई है। महतारी वंदन योजना के माध्यम से हर महीने 70 लाख माताओं-बहनों को एक हजार रुपए प्रति महीने की किश्त हम दे रहे हैं। देश के प्रमुख तीर्थस्थलों की यात्रा के लिए हम लोग मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन यात्रा योजना आरंभ करने जा रहे हैं। इस योजना के माध्यम से भी यात्रियों को निःशुल्क तीर्थ यात्रा का अवसर मिलेगा। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिले के ग्राम टिमरलगा में आयोजित पर्वतदान (अन्न) एवं अश्वमेध यज्ञ महोत्सव को संबोधित करते हुए यह बात कही।


मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने ग्राम टिमरलगा में पर्वतदान एवं अश्वमेध यज्ञ महोत्सव को संबोधित करते हुए कहा कि जब भी बड़े धार्मिक आयोजन होते हैं, आसपास का पूरा क्षेत्र भक्ति के रंग में सराबोर हो जाता है।छत्तीसगढ़ भगवान श्रीराम का ननिहाल है। यह वो धरती है जहां भगवान श्रीराम ने अपने वनवास का अधिकतम समय बिताया। छत्तीसगढ़ की पावन धरती में शिवरीनारायण में माँ शबरी ने प्रभु श्रीराम को जूठे बेर खिलाये थे। हमारी छत्तीसगढ़ की भूमि बहुत पवित्र भूमि है। हमारे यहां वाल्मीकि जी का आश्रम तुरतुरिया में है।वाल्मीकि आश्रम ही वह भूमि है जहां लव और कुश ने अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को पकड़ा था। छत्तीसगढ़ के कण कण में भगवान श्रीराम की स्मृतियां बसी हुई हैं। प्रभु श्रीराम की स्मृतियों को सहेजने के लिए हम लगातार कार्य कर रहे हैं।


मुख्यमंत्री साय ने कहा कि हम प्रदेश की पांच शक्तिपीठों को जोड़ने के लिए भी हम कार्य कर रहे हैं। हम लोगों ने त्रिवेणी संगम की नगरी राजिम में भी कुंभ मेले का पुनः आयोजन शुरू किया। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने ग्राम टिमरलगा के माध्यमिक स्कूल का हाईस्कूल में उन्नयन, मां नाथल दाई को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने सौंदर्यीकरण, ग्राम टिमरलगा के उपस्वास्थ्य केंद्र के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में उन्नयन की घोषणा की। इस अवसर पर रायगढ़ सांसद राधेश्याम राठिया, केरा बाई मनहर,शमशेर सिंह, पुष्पा देवी सिंह सहित अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

शिवालय की नगरी आरंग, जहाँ कभी स्थापित थे 107 शिवलिंग, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार त्रेता युग में भगवान श्रीराम और द्वापर में श्रीकृष्ण का आरंग आगमन हुआ

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 भुनेश्वर साहू.


आरंग । मंदिरों और शिवालयों की नगरी आरंग, आज भी कई रहस्यों को अपने गर्भ में समेटे हुए है। मान्यता है कि यहां त्रेता युग में भगवान श्रीराम और द्वापर में श्रीकृष्ण का आगमन हुआ । यह विश्व का एकमात्र स्थान है जहां दोनों युगों में अवतरित भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण का आगमन हुआ।जन आस्थानुसार प्राचीन काल में इस नगर में 107 शिवलिंग स्थापित थे। प्रायः हर किसी के जुबान से सुनने को मिलता है कि एक शिवलिंग कम होने के कारण आरंग को शिव काशी का दर्जा नहीं मिल सका। आज भी नगर के चारों दिशाओं में अनेक स्वयंभू शिवलिंग विराजमान है। यही कारण है कि इस नगर को शिवालयों की नगरी भी कहा जाता है। वैसे तो साल भर शिवालयों में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। पर विशेष रूप से महाशिवरात्रि और श्रावण मास में नगर के समस्त शिवालयों व देवालयों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है।


स्वप्न में आए महादेव, मोरध्वज महोत्सव की बनी रूपरेखा

नगर के इतिहास में रूचि रखने वाले स्वयंसेवी सामाजिक संगठन पीपला वेलफेयर फाउंडेशन के संयोजक महेन्द्र पटेल बताते हैं कि गत वर्ष राजा मोरध्वज महोत्सव के दरम्यान बाबा बागेश्वरनाथ महादेव ने लोधी स्कूल पारा निवासी समाजसेवी रमेश देवांगन को स्वप्न देकर कहा था कि राजा मोरध्वज कृष्ण भक्त के साथ साथ शिव भक्त भी थे। स्वप्न में मोरध्वज महोत्सव का आदेश हुआ, जिसे फलीभूत करने पीपला फाउंडेशन ने पुरजोर प्रयास किया। आरंग नगरी पौराणिक काल से ही शिवालयों की नगरी है। इसलिए यहाँ महाशिवरात्रि पर्व का विशेष महत्व है।

नगर के इन स्थानों में विराजमान हैं 44 प्राचीन शिवलिंग

- पंचमेश्वर (पंचमुखी) महादेव परिसर में 6, ठाकुरदिया तालाब किनारे 2, डमौवा तालाब किनारे 2, जोबेश्वर महादेव 1, नगर का सबसे विशाल भुनेश्वर महादेव 1, बलदेश्वर 1, झलमला तालाब किनारे 2, जलसेन तालाब किनारे ज्ञानेश्वर महादेव 2, सोनीपारा सब्जी मार्केट 1, रानीसागर तालाब त्रिलोकी महादेव 4, जलसेन तालाब किनारे बागेश्वर पारा 1, बाबा बागेश्वर महादेव 1, राजराजेश्वर मछली चौंक 1, भुरेश्वर 1, झंझनेश्वर 1, झंझनेश्वर से संलग्न 1, वटेश्वर (चंपेश्वर) महादेव 1, नवातालाब 1, अंधियारखोप तालाब 1, गुढियारी पारा नटकेश्वर 1, नकटी तालाब किनारे जागेश्वर 1, बस स्टेंड के पीछे उमा-महेश्वर 1, कुमारेश्वर 1, कुमारेश्वर के सामने 1महामाया तालाब किनारे अर्धनारेश्वर 1, केंवसी तालाब किनारे 2, भंडारी तालाब किनारे 2,
भूरेबाबा बेनीडीह खार 1, रायदेवता आरंग बैहार 1, नकटी तालाब में डूबा 1 शिवलिंग।

निज निवास में स्थापित प्राचीन शिवलिंग

देवांगन निवास बड़े नकटी तालाब किनारे 1, मनबोध साहू ब्लाक कालोनी निवास 1, रमेश साहू ब्लाक कालोनी 1, बडगुडी पारा रामेश्वर सोनी निवास 1, गोस्वामी निवास ब्राह्मण पारा 1, शेखर जलक्षत्री झंझना मंदिर समीप 1,
नगर के बाहर - श्याम घाट राटाकाट 1, निसदा 1, बैहार में 1 मिलाकर 9 शिवलिंग ज्ञात हैं। इस प्रकार 53 शिवलिंग वर्तमान में जन आस्था के केंद्र में हैं।

इसके अलावा नगर के अनेक शिवलिंग ऐसे हैं जिन्हें श्रद्धालुओं द्वारा बीस तीस वर्ष पहले व वर्तमान में स्थापित किया गया है। जो धार्मिक आस्था का केन्द्र है।

अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा से पहले बसना से पिथौरा तक भगवान श्रीराम के झण्डों के साथ कार रैली

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 बसना। अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाली श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले बसना विधायक डॉ.सम्पत अग्रवाल के बड़े सुपुत्र एवं नगर पंचायत बसना उपाध्यक्ष सुमित अग्रवाल के नेतृत्व में बसना से लेकर पिथौरा तक 387 गाड़ियों का कार रैली निकाली गई।


हिंदू समुदाय के लोगों ने भगवान की तस्वीर वाले झण्डे लेकर सर्वप्रथम बसना के हाई स्कूल मैदान में भगवान श्रीराम जी की जयकारे व पूजा अर्चना के पश्चात कार रैली खेमडा रोड बायपास होते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग से सरायपाली बायपास से पुनः नगर प्रवेश कर कबीर चौक व मुख्य चौक शहीद वीर नारायण सिंह चौक होते जनपद चौक से रायपुर बायपास से भगतदेवरी एवं सांकरा पहुंचा जहां हजारों रामभक्तों ने भगवान श्रीराम जी की पूजा अर्चना कर जय श्री राम जय जय श्री राम के जयकारे लगाते कार रैली का भव्य स्वागत किया व रैली में शामिल हुए।


बड़े ही उत्साह एवं उमंग से कार रैली पिथौरा नगर के लिए रवाना हुआ। इस दौरान बसना से पिथौरा तक पुरा राष्ट्रीय राजमार्ग जय श्री राम जय जय श्री राम के जयकारों से गूंज उठा।कार रैली के पिथौरा नगर पहुंचने पर नगरवासियों के द्वारा श्रीराम जी की पूजन कर पुष्पवर्षा करते रैली का भव्य स्वागत किया गया। समस्त नगरवासियों ने कार रैली के साथ नगर भ्रमण किया। इस दौरान बसना एवं पिथौरा नगर में जगह जगह कार रैली का स्वागत किया।

इस भव्य कार रैली में प्रदेश कार्यसमिति सदस्य स्वप्निल तिवारी,विधायक प्रतिनिधि अभिमन्यु जायसवाल,विधायक प्रतिनिधि विक्की सलुजा, पार्षद शीत गुप्ता,विकास वाधवा, निर्मलदास,कामेश बंजारा, आकाश सिन्हा, बसंत पटेल, मोहित पटेल, शिवकिशोर साहू, अश्वनी प्रधान,संतोष अग्रवाल, आनंद मित्तल, मुकेश अग्रवाल, रीतेश अग्रवाल, हरजिंदर सिंह,सुवर्धन प्रधान, त्रिलोचन भोई, सुजीत महाराज,कमलेश डड़सेना,जतिन ठक्कर, कोमल मोहंती,किरण पटेल, नरेन्द्र बोरे, छबिलाल रात्रे,राधेश्याम नायक, विजय चौधरी, सन्नी रोहिल्ला सहित हजारों की संख्या में रामभक्त शामिल हुए।

रानी पद्मावती संगठन की बैठक में हुई चर्चा , राम और श्याम की नगरी रही है आरंग : रानू

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 आरंग। सोमवार को आरंग की रानी पद्मावती महिला संगठन की महिलाओं ने बैठक रखा। जिसमें विभिन्न मुद्दों पर चर्चा परिचर्चा की गई। साथ ही रविवार को आरंग में निकली अक्षत कलश यात्रा पर समीक्षा करते हुए संगठन के अध्यक्षा रानू ध्रुव ने कहा आरंग बहुत ही प्राचीन और धार्मिक-पावन नगरी रही है। यहां त्रेता में वनवास काल में भगवान श्रीराम और द्वापर में महादानी राजा मोरध्वज की परीक्षा लेने भगवान श्रीकृष्ण का आगमन  हुआ था।


इस मायने से यह नगर व समस्त नगरवासी बहुत ही सौभाग्य शाली है।जो एक ऐसे नगरी में निवास करते है। जहां भगवान श्रीराम और श्याम का आगमन हुआ हो। बैठक में अन्य महिलाओं ने भी  बारी बारी से अपने अपने विचार रखते हुए संगठन की आगामी कार्य योजना पर बात रखी। ज्ञात हो कि रविवार को अक्षत कलशयात्रा में रानी पद्मावती संगठन की महिलाओं व पीपला वेलफेयर फाउंडेशन ने साथ मिलकर बढ़ चढ़कर भाग लिया था।इस मौके पर बड़ी संख्या में रानी पद्मावती महिला संगठन की महिलाओं और पीपला फाउंडेशन के सदस्यों की उपस्थिति रही।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उपस्थिति में तीन दिवसीय माता कौशल्या महोत्सव समापन

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रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भगवान श्रीराम के ननिहाल और माता कौशल्या की नगरी चंदखुरी में  तीन दिवसीय माता कौशल्या महोत्सव का आज समापन किया। माता कौशल्या महोत्सव को महिला सशक्तिकरण की थीम पर मनाया गया। आस्था और भक्ति से ओतप्रोत इस महोत्सव में छत्तीसगढ़ सहित देश के ख्याति प्राप्त कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मंचन भी किया गया।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने माता कौशल्या की जन्मभूमि चंदखुरी के वैभव को विश्व पटल पर स्थापित करने, प्रदेश की कला, संस्कृति एवं पर्यटन को बढ़ावा देने, महिला सशक्तिकरण, कार्यशील कलाकारों के संरक्षण, संवर्धन एवं कला दलों के सतत् विकास हेतु इस वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर माता कौशल्या महोत्सव मनाने की घोषणा की थी।

पर्यटन कैफे का हुआ उद्घाटन

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने माता कौशल्या महोत्सव के समापन अवसर पर मंदिर परिसर में स्थित पर्यटन विभाग द्वारा तैयार टूरिज्म कैफे का भी उद्घाटन किया। 

पयर्टन कैफे शुरू होने से अब यहां आने वाले श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों को छत्तीसगढ़ी व्यंजन सहित मिलेट्स से तैयार किए गए खाद्य उत्पाद उपलब्ध होंगे। इस कैफे के शुरू होने से श्रद्धालुओं को छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का लुत्फ उठाने का मौका मिलेगा और पर्यटक भी छत्तीसगढ़ी व्यंजनों से रूबरू हो सकेंगे.

महिला स्व-सहायता समूह की स्टॉलों दिखी छत्तीसगढ़ी संस्कृति की झलक

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देशानुसार महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से राज्य सरकार लगातार काम कर कर रही है। मेला, उत्सवों एवं अन्य प्रदर्शनी आदि कार्यक्रमों के अवसर पर महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा उत्पादित वस्तुओं के विक्रय एवं प्रचार-प्रसार हेतु उनको बाजार भी उपलब्ध कराया जा रहा है। माता कौशल्या महोत्सव के मौके पर भी महिला स्व-सहायता द्वारा उत्पादित वस्तुओं को विक्रय के लिए विशेष तौर पर नौ स्टॉल तैयार किए गए थे। महिलाओं द्वारा संचालित इन स्टालों में छत्तीसगढ़ी संस्कृति की झलक देखने को मिली।

श्रीराम का ननिहाल छत्तीसगढ़ बनेगा विश्व पर्यटन के आकर्षण का केंद्र, बढ़ेगा पर्यटन रोजगार

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छत्तीसगढ़ में भगवान श्रीराम के वनवास काल से जुड़े स्थलों को विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए शुरू की गई राम वन गमन पर्यटन परिपथ में पग-पग पर भगवान श्रीराम के दर्शन होंगे। छत्तीसगढ़ भगवान श्रीराम के ननिहाल के रूप में सम्पूर्ण विश्व में अपनी अलग पहचान रखता है, वनवास काल का ज्यादा समय भगवान श्रीराम ने यहां व्यतीत किया था, यहां के ऋषि आश्रम, प्रकृति के मध्य वनवास काटा, इसलिए यहां की जनश्रुतियों, लोककथाओं, आम जनजीवन में भगवान श्रीराम रचे-बसे हैं। 


जनमान्यताओं के सम्मान में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की संकल्पना पर छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल द्वारा भगवान श्रीराम के ननिहाल प्राचीन दक्षिण कौशल वर्तमान छत्तीसगढ़ में राम वन गमन पर्यटन परिपथ के रूप में प्राचीनतम महत्व के स्थलों को वैश्विक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। वनवास प्रवास के दौरान श्रीराम ने छत्तीसगढ़ में लम्बा समय बिताया है, मान्यता है कि श्रीराम के साथ सीता और लक्ष्मण ने 10 साल छत्तीसगढ़ में बिताए थे। जिन जगहों पर भगवान राम आए थे, ऐसे 75 स्थानों को चिन्हांकित कर वैश्विक पर्यटन के अनुरूप विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है। 

रामायण काल का वातावरण

पहले चरण में कोरिया से सुकमा तक 2260 किमी की लंबाई तक 9 जगहों को रामायणकाल के वातावरण के अनुकूल विकसित करने का कार्य जारी है। कोरिया जिले से सुकमा तक कदम-कदम पर भगवान श्रीराम के दर्शन होंगे और उनसे जुड़ी महत्व की कथाएं देखने और सुनने को मिलेंगी। राम वन गमन पर्यटन परिपथ परियोजना में सीतामढ़ी हरचौका (कोरिया), रामगढ़ (सरगुजा), शिवरीनारायण (जांजगीर-चांपा), तुरतुरिया (बलौदाबाजार), चंदखुरी (रायपुर), राजिम (गरियाबंद), सिहावा सप्तऋषि आश्रम (धमतरी), जगदलपुर (बस्तर) और रामाराम (सुकमा) का 133 करोड़ 55 लाख रुपए की लागत से पर्यटन की दृष्टि से विकास का कार्य किया जा रहा है।

बारसूर में ट्राइबल कॉटेज

पहले चरण के चयनित क्षेत्रों में चंदखुरी और राजिम में पर्यटन दृष्टिकोण से सर्वसुविधायुक्त निर्माण कार्य होंगे। रामाराम में पर्यटकों के रुकने की व्यवस्था और परिपथ निर्माण किया जाएगा। सिहावा में यात्रियों के ठहरने के लिए समरसता भवन, ऋषि आश्रम जीर्णोद्धार का कार्य होगा। मधुबन धाम में पेयजल सुविधा, गार्डन निर्माण, तालाब सौंदर्यीकरण, शौचालय, विश्रामगृह, महानदी में स्टॉप डेम सहित वहां अंडरग्राउंड नाली निर्माण का कार्य होगा। इसी तर्ज पर तुरतुरिया में कॉटेज बनाए जाएंगे, महानदी पर वाटरफ्रंट डेवलपमेंट और कॉटेज विकसित होंगे, शिवरीनारायण में राम की प्रतिमा के साथ चारों तरफ भव्य द्वार बनेगा, बस्तर और दंतेवाड़ा के गीदम में जटायु द्वार, बारसूर में ट्राइबल कॉटेज बनाया जा रहा है।

ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा

इन जगहों में पेयजल सुविधा, गार्डन निर्माण, तालाब सौंदर्यीकरण, शौचालय, विश्रामगृह, सातधारा पैगोड़ा का निर्माण किया जा रहा है। इस पर्यटन परिपथ के माध्यम से राज्य में न सिर्फ ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि पर्यटन के नए वैश्विक अवसर बढ़ेंगे। पर्यटन में रोजगार के अवसर बढ़ने के साथ ही यह ग्रामीण अर्थव्यवथा को स्वावलंबी और मजबूत बनाएगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 7 अक्टूबर को यानी आज नवरात्रि के शुभ अवसर पर राम वन गमन पर्यटन परिपथ का चंदखुरी के स्थित प्राचीन माता कौशल्या मंदिर में एक भव्य समारोह में अधिकारिक तौर पर शुभारंभ करेंगे।

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