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CG NEWS : कोयला खदान विवाद में बेकाबू भीड़ - महिला TI पर पथराव, पुलिस वाहनों में आग

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 रायगढ़। तमनार क्षेत्र में जिंदल समूह को कोल ब्लॉक आवंटन के विरोध में चल रहे धरने को हटाने आई पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच शनिवार को हिंसक झड़प हो गई। विवाद के दौरान थानेदार (TI) कमला पुसांग पर पथराव में गंभीर चोटें आईं, जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की एक जीप और जिंदल समूह की एक बस में आगज़नी की, जिससे इलाके में अफरा-तफ़री मच गई।


घटना के बाद थाना और आसपास के क्षेत्रों में तनावपूर्ण शांति व्याप्त है। प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पास के थानों से अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया है।

क्या हुआ?

पुलिस सूत्रों के अनुसार, तमनार में पिछले लगभग 15 दिनों से ग्रामीण जिंदल समूह को प्रस्तावित कोल ब्लॉक आवंटन के विरुद्ध धरना दे रहे थे। उनका कहना है कि परियोजना से पर्यावरण को भारी नुकसान, जंगलों की कटाई और व्यापक स्तर पर विस्थापन का खतरा है। वे मांग कर रहे थे कि इस परियोजना से संबंधित जनसुनवाई को रद्द किया जाए।

शनिवार को धरना स्थल सीएचपी चौक पर पुलिस जब धरना हटाने पहुंची, तो पहले धक्का-मुक्की हुई। इसी दौरान एक सड़क दुर्घटना में एक ग्रामीण के घायल होने की खबर ने माहौल को और तनावपूर्ण बना दिया।

आक्रोशित ग्रामीणों ने इसके बाद पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिसमें कमला पुसांग गंभीर रूप से घायल हो गईं।

हिंसा और आगजनी

  • प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की एक जीप में आग लगा दी।
  • जिंदल समूह की एक बस में भी आगज़नी और तोड़फोड़ की गई।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, एक ट्रक चालक को भी ग्रामीणों ने पकड़कर पीटा, जिसे बाद में पुलिस ने मुक्त कराया।

प्रशासन और पुलिस की प्रतिक्रिया

प्रशासन ने इलाके में अतिरिक्त पुलिसबल तैनात कर स्थिति को शांत करने का प्रयास शुरू कर दिया है। पुलिस का कहना है कि कानून-व्यवस्था बनाए रखना जरूरी था, लेकिन हालात अचानक बिगड़ गए। पथराव और आगजनी में शामिल लोगों की पहचान की जा रही है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

ग्रामीणों की बात

ग्रामीणों का दावा है कि वे शांतिपूर्ण ढंग से धरना दे रहे थे, लेकिन पुलिस द्वारा जबरन हटाने का प्रयास झड़प को भड़काने वाला मुख्य कारण रहा। उनका कहना है कि कोल ब्लॉक परियोजना से जलस्रोत, जमीन और जंगल प्रभावित होंगे और इससे सैकड़ों परिवारों का विस्थापन होगा। इसी आशंका के चलते वे जनसुनवाई का विरोध कर रहे हैं।

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