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कर्तव्य पथ पर दिव्य कला मेला 2025 का भव्य आयोजन, समावेशी और सशक्त भारत का संदेश

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 “हमारे दिव्यांग भाई-बहन हमसे अलग नहीं हैं, बल्कि समाज में हमारे साथी हैं। कोई भी राष्ट्र तब तक वास्तविक प्रगति नहीं कर सकता, जब तक वह अपने किसी भी नागरिक को पीछे छोड़ दे।”

इन प्रेरक और संवेदनशील शब्दों के साथ दिल्ली की माननीय मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कर्तव्य पथ, नई दिल्ली में आयोजित दिव्य कला मेला 2025 (दिल्ली संस्करण) को संबोधित करते हुए एक समावेशी और भावनात्मक संदेश दिया। उन्होंने पुनः रेखांकित किया कि सच्ची राष्ट्रीय प्रगति सामूहिक उत्थान में निहित है।

मुख्यमंत्री ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में सुगम्य भारत अभियान, कौशल विकास कार्यक्रम, छात्रवृत्तियाँ, रोजगार मेले और दिव्य कला मेला जैसे समावेशी मंच दिव्यांगजनों को सम्मान, अवसर और समान भागीदारी सुनिश्चित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वास्तविक परिवर्तन के लिए साहस और सामूहिक सोच की आवश्यकता होती है, जहाँ समाज व्यक्तिगत हितों से ऊपर उठकर सभी के कल्याण के लिए एक साथ आगे बढ़े। उन्होंने मंत्रालय, माननीय केंद्रीय मंत्री और अधिकारियों के सतत प्रयासों की सराहना करते हुए विश्वास व्यक्त किया कि दिल्ली मेले में भाग लेने वाले दिव्यांगजन आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता और सफलता के साथ लौटेंगे।

कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए माननीय केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने कहा कि किसी भी सशक्त राष्ट्र की पहचान इस बात से होती है कि वह अपने प्रत्येक नागरिक को गरिमा, समानता और अवसर प्रदान करने के लिए कितना प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि “सक्षम भारत, समर्थ भारत” का सपना तभी साकार हो सकता है, जब दिव्यांगजन को राष्ट्र निर्माण में समान भागीदार के रूप में स्वीकार किया जाए। उन्होंने दिव्यांग समुदाय के साथ प्रधानमंत्री के गहरे भावनात्मक जुड़ाव और निरंतर समर्थन का भी उल्लेख किया।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि “सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास” के मंत्र से प्रेरित होकर मोदी सरकार ने वर्ष 2014 से अब तक देशभर में 32 लाख से अधिक दिव्यांगजनों को सहायक उपकरण और सहायक साधन उपलब्ध कराए हैं। उन्होंने जोर दिया कि मंत्रालय आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक सभी आयामों में दिव्यांगजनों को सशक्त बनाने के लिए निरंतर कार्य कर रहा है, जिनकी भूमिका 2047 तक विकसित भारत के निर्माण में निर्णायक होगी। उन्होंने दिव्य कला मेला और दिव्य कला शक्ति को “दिव्यांगता में क्षमता का उत्सव” बताते हुए कहा कि यह मंच दिव्यांग कलाकारों, उद्यमियों और प्रस्तुतकर्ताओं को आत्मविश्वास और गर्व के साथ अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने का अवसर देता है।

दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (DEPwD) की सचिव वी. विद्या‍वती ने कहा कि दिव्य कला मेला अब एक राष्ट्रीय सशक्तिकरण आंदोलन बन चुका है। उन्होंने जानकारी दी कि वर्ष 2022 से अब तक आयोजित 27 मेलों के माध्यम से 20 करोड़ रुपये से अधिक की बिक्री, 18 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण के जरिए लगभग 1,000 दिव्यांग उद्यमियों को सहायता तथा 310 दिव्यांगजनों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है। उन्होंने शिक्षा, कौशल, सुगम्यता, सहायक प्रौद्योगिकी और आजीविका के माध्यम से एक सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई।

कार्यक्रम में अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए  ऋचा शंकर, उप महानिदेशक (DDG) ने दिव्य कला मेले को केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि देशभर के दिव्यांगजनों के आत्मविश्वास, क्षमता और सृजनात्मकता का उत्सव बताया। उन्होंने दिव्यांग कलाकारों, उद्यमियों और सहयोगी संस्थाओं के प्रति आभार व्यक्त किया, जिनके समर्पण से यह मेला राष्ट्रीय स्तर का प्रेरणास्रोत मंच बना है।

दिसंबर 2022 में आरंभ होने के बाद से दिव्य कला मेला ने दिव्यांगजनों की उद्यमिता, दृश्यता और मुख्यधारा में भागीदारी को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। एडीआईपी योजना के तहत 2014 से अब तक 32 लाख से अधिक दिव्यांगजनों को सहायक उपकरण प्रदान किए गए हैं, जबकि 934 दिव्यांगजनों को 18.05 करोड़ रुपये के ऋण से सूक्ष्म उद्यमों के विस्तार में सहायता मिली है। इसके अतिरिक्त, मेलों के साथ आयोजित रोजगार मेलों के माध्यम से 310 दिव्यांगजनों को नौकरी प्राप्त हुई है।

कर्तव्य पथ पर चल रहा दिव्य कला मेला 2025 दिव्यांगजनों की दृढ़ता, कलात्मकता और उद्यमशीलता को समर्पित एक जीवंत प्रतीक है। हस्तशिल्प, गृह सज्जा, वस्त्र और रचनात्मक उत्पादों की प्रदर्शनी के साथ-साथ दिव्य कला शक्ति के अंतर्गत देशभर के दिव्यांग कलाकारों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर रही हैं। “वोकल फॉर लोकल” की भावना के अनुरूप यह मेला नागरिकों से दिव्यांग उद्यमिता और रचनात्मकता को समर्थन देने का आह्वान करता है।

सरकार, समाज और नागरिकों के सामूहिक संकल्प के साथ, दिव्य कला मेला 2025 का यह संस्करण एक संवेदनशील, सशक्त और समावेशी भारत के निर्माण की दिशा में एक और सशक्त कदम है, जहाँ प्रत्येक दिव्यांग व्यक्ति को सम्मान, पहचान और आगे बढ़ने के समान अवसर प्राप्त हों।

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