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काल्मिकिया, रूस में भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों का प्रदर्शन भारत-रूस के बीच आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करेगा: जम्मू-कश्मीर राज्यपाल

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प्रतिष्ठित गेडेन शेडडुप चोइकोर्लिंग मठ, जिसे लोकप्रिय रूप से “गोल्डन अबोड ऑफ शक्यमुनि बुद्ध” कहा जाता है, में श्रद्धा भाव से अवशेषों का दर्शन करने के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन काल्मिक लोगों के लिए विश्वास की ऐतिहासिक घर वापसी का प्रतीक है। यह भारत और रूस के बीच आध्यात्मिक मित्रता का पुल है और भगवान बुद्ध की शिक्षाओं के एकजुट करने वाले प्रभाव को दर्शाता है।

मनोज सिन्हा ने पवित्र अवशेषों के समक्ष “खटक” अर्पित किया और मंदिर में दीप प्रज्वलित किया। उन्होंने बकुला रिनपोछे के समक्ष प्रार्थना की और खटक अर्पित किया। इसके अलावा, मनोज सिन्हा ने कश्मीरी शॉल शाजिन लामा को भेंट की और उनके आशीर्वाद प्राप्त किए।

जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल मनोज सिन्हा शुक्रवार को भारत वापस पवित्र अवशेषों को लाने के लिए रूस पहुँचे।मनोज सिन्हा भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं, जिनका स्वागत काल्मिकिया सरकार के पहले उपाध्यक्ष त्सेरेनोव एर्दनी निकोलायेविच, उपाध्यक्ष जाम्बिनोव ओचिर व्लादिमिरोविच और भारत के उप-दूत निखिलेश गिरी ने किया। यह प्रतिनिधिमंडल 19 अक्टूबर 2025 को पवित्र अवशेषों को भारत लाएगा।

इससे पहले, मनोज सिन्हा ने काल्मिकिया के लिए प्रस्थान की घोषणा करते हुए कहा कि वे भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों को वापस लाने वाले प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे। X (पूर्व ट्विटर) पर उनके कार्यालय ने पोस्ट किया, “काल्मिकिया, रूस के लिए प्रस्थान कर रहा हूँ, जहाँ मैं सप्ताह भर के प्रदर्शन के बाद भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों को वापस लाने वाले प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करूंगा। मैं इस पवित्र अवसर के लिए प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी का धन्यवाद करता हूँ। ‘ओम ममो बुद्धाय’।

भारत से लाए गए भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों के प्रदर्शन ने रूस के काल्मिकिया गणराज्य में अभूतपूर्व आध्यात्मिक उत्साह उत्पन्न किया है। अब तक नब्बे हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने इन अवशेषों के दर्शन किए।

ये पवित्र अवशेष, जिन्हें भारत का राष्ट्रीय खजाना माना जाता है, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या के नेतृत्व में उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल द्वारा काल्मिकिया की राजधानी एलिस्टा लाए गए। इस प्रतिनिधिमंडल में वरिष्ठ भारतीय भिक्षु भी शामिल हैं, जो काल्मिकिया की बौद्ध बहुल जनसंख्या के लिए विशेष धार्मिक अनुष्ठान और आशीर्वाद प्रदान कर रहे हैं।

रूसी गणराज्य में इस प्रकार का पहला ऐतिहासिक प्रदर्शन भारत और रूस के बीच गहरे सभ्यतागत संबंधों को दर्शाता है। यह आयोजन लद्दाख के 19वें कुशोक बकुला रिनपोछे की अमर विरासत को भी जीवित करता है, जिन्होंने मंगोलिया में बौद्ध धर्म के पुनरुद्धार और रूस के काल्मिकिया, बुरयातिया तथा तूवा जैसे क्षेत्रों में बुद्ध धर्म के प्रति नई रुचि जगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

यह कार्यक्रम भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के BTI प्रभाग, अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध महासंघ (IBC), राष्ट्रीय संग्रहालय और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) के सहयोग से आयोजित किया गया है। पवित्र अवशेषों का यह प्रदर्शन 18 अक्टूबर 2025 तक एलिस्टा में जारी रहेगा।


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