प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश ने राष्ट्र के नाम संबोधन में देशवासियों को नवरात्र और जीएसटी सुधारों को लेकर शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि जीएसटी बचत उत्सव में आपकी बचत बढ़ेगी और आप अपनी पसंद की चीजों को और ज्यादा आसानी से खरीद पाएंगे।
मोदी ने कहा कि मुझे खुशी है कि दुकानदार भाई-बहन जीएसटी सुधार को लेकर उत्साह में है। वे इसके फायदों को ग्राहकों को पहुंचाने में जुटे हैं। हम नागरिक देवो भवः के मंत्र के साथ आगे बढ़ रहे हैं। अगर हम इनकम टैक्स में छूट और जीएसटी में छूट को जोड़ दें तो एक साल में जो निर्णय हुए हैं, उससे देश के लोगों को 2.5 लाख करोड़ से ज्यादा की बचत होगी। इसलिए यह बचत उत्सव बन रहा है।
मोदी ने कहा कि पिछले 11 साल में देश में 25 करोड़ लोगों ने गरीबी को हराया है। गरीबी को परास्त किया है और गरीबी से बाहर निकलकर एक बहुत बड़ा समूह नियो मिडिल क्लास के तौर पर बड़ी भूमिका अदा कर रहा है।
इस क्लास की अपनी महत्वाकांक्षाएं और सपने हैं। इस साल सरकार ने 12 लाख तक की इनकम को टैक्स मुक्त कर उपहार दिया और जब 12 लाख तक वेतन पर टैक्स शून्य हो जाए तो मध्यमवर्ग को तो काफी सुविधा हो जाती है। अब गरीब की बारी है. नियो मिडिल क्लास की बारी है। अब इन्हें डबल बोनांजा मिल रहा है।
जीएसटी कम होने से देश के नागरिकों के लिए अपने सपने पूरे करना और आसान होगा। घर बनाना, स्कूटर-कार खरीदना हो, इन सब पर अब कम खर्च करना होगा। अब आपका घूमना भी सस्ता होगा, क्योंकि होटल के कमरों पर भी जीएसटी कम कर दिया गया है।
मोदी ने कहा कि जब आपने हमें 2014 में मौका दिया तो हमने जीएसटी को अपनी प्राथमिकता बनाया। हमने हर राज्यों की हर शंका का निवारण किया। हर सवाल का समाधान खोजा। सभी राज्यों को साथ लेकर आजाद भारत का इतना बड़ा टैक्स सुधार संभव हो पाया। ये केंद्र और राज्यों के प्रयासों का नतीजा था कि देश दर्जनों टैक्स के जाल से मुक्त हो गया। अब पूरे देश के लिए एक जैसी व्यवस्था बनी है। वन नेशन, वन टैक्स का सपना साकार हुआ। साथियों रिफॉर्म एक अनवरत चलने वाली प्रक्रिया होती है। जब समय बदलता है, देश की जरूरत बदलती है तो नेक्सट जेन रिफॉर्म्स भी उतने ही आवश्यक होते हैं।
वर्तमान जरूरतों और भविष्य को देखते हुए जीएसटी के नए सुधार लागू हो रहे हैं। अब सिर्फ 5 फीसदी और 18 फीसदी के ही टैक्स स्लैब रहेंगे। यानी रोजमर्रा के इस्तेमाल की ज्यादा सस्ती हो जाएंगे। खाने-पीने का सामान, दवाइयां, ब्रश-पेस्ट, बीमा। ऐसे ज्यादातर सामान पर या तो टैक्स शून्य होगा या 5 फीसदी टैक्स होगा। जिन सामानों पर पहले 12 फीसदी टैक्स लगता था, उनमें से करीब 99 फीसदी चीजें अब पांच फीसदी टैक्स के दायरे में हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अलग-अलग जगहों पर माल भेजना हो तो पता नहीं कितने चेक पोस्ट पार करने पड़ते थे, कितने फॉर्म भरने पड़ते थे। हर जगह टैक्स के अलग-अलग नियम थे। जब 2014 में देश ने मुझे प्रधानमंत्री पद का दायित्व सौंपा था, तब एक विदेशी अखबार में एक दिलचस्प उदाहरण छपा था। उसमें एक कंपनी की मुश्किलों का जिक्र था। उस कंपनी ने कहा था कि अगर उसे बंगलूरू से 570 किलोमीटर दूर हैदराबाद अपना सामान भेजना हो तो वो इतना कठिन था कि उन्होंने सोचा और कहा कि वो पसंद करती थी कंपनी कि पहले अपना सामान बंगलूरू से यूरोप भेजें और फिर वही सामान यूरोप से हैदराबाद भेजें। साथियों टैक्स और टोल के जंजाल से ये तबके हालात थे। और मैं आपको सिर्फ एक पुराना उदाहरण याद दिला रहा हूं। तब लाखों कंपनियों और देशवासियों को अलग-अलग तरह के टैक्स के जाल की वजह से रोज परेशानी होती थी। सामान को एक शहर से दूरे शहर पहुंचने के बीच जो खर्च बढ़ता था, वो खर्च भी गरीब को उठाना पड़ता था। वो खर्च ग्राहकों को उठाना पड़ता था। देश को इस से निकालना जरूरी था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के हर परिवार की खुशियां बढ़ेंगी। मैं देश के कोटि-कोटि परिवारजनों को नेक्सट जेन जीएसटी रिफॉर्म्स की बधाई देता हूं, शुभकामनाएं देता हूं। ये बदलाव भारत की ग्रोथ स्टोरी को आगे बढ़ाएंगे। कारोबार को और आसान बनाएंगे। निवेश को और आकर्षक बनाएंगे और हर राज्य को विकास की दौड़ में बराबरी का साथी बनाएंगे। साथियों जब साल 2017 में जीएसटी रिफॉर्म्स की तरफ कदम बढ़ाया था, तब नया इतिहास रचने की शुरुआत हुई थी। आप सभी लोगों को देश के व्यापारी, अलग-अलग टैक्स के जाल में उलझे हुए थे। एंट्री टैक्स, सेल्स टैक्स, एक्साइज, वैट, सर्विस टैक्स न जाने भांति-भांति के दर्जनों टैक्स देश में थे।
मोदी ने कहा कि अब हमें आत्मनिर्भरता के मंत्र के साथ आगे बढ़ना होगा। जो देश के लोगों की जरूरत है, जो हम देश में बना सकते हैं, वो हमे देश में ही बनाना चाहिए। जीएसटी की दरें कम होने से नियम और प्रक्रियाएं और आसान बनने से हमारे एमएसएमई, हमारे लघु, कुटीर उद्योगों को बहुत फायदा होगा। उनकी बिक्री बढ़ेगी और टैक्स भी कम देना पड़ेगा। यानी उनको भी डबल फायदा होगा। इसलिए आज मेरी एमएसएमई से, चाहे लघु हों या सूक्ष्म या कुटीर, आप सबसे बहुत अपेक्षाएं हैं। आपको भी पता है कि जब भारत समृद्धि के शिखर पर था, तब अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार हमारे लघु-कुटीर उद्योग थे। भारत की मैन्युफैक्चरिंग और क्वालिटी बेहतर होती थी। हमें उस गौरव को वापस पाना है। जो हमारे उद्योग बनाएं वो दुनिया में उत्तम से उत्तम हों। जो हम बनाएं वो दुनिया में बेस्ट के पैरामीटर को पार करने वाला हो। हमारे उत्पाद दुनिया में भारत का गौरव बढ़ाएं।
राष्ट्र के नाम संबोधन में उन्होंने आगे कहा कि आज जाने-अनजाने में हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में बहुत सी विदेशी चीजें जुड़ गई हैं। हमारी जेब में कंघी देशी है कि विदेशी है, हमें पता ही नहीं। अब हमें इससे मुक्ति पानी होगी। हमें वो चीजें खरीदनी होंगी जो भारत में बनी हो, जिसमें हमारे देश के बेटे-बेटियों का पसीना हो, हमें देश के घरों को स्वदेशी का प्रतीक बनाना है। गर्व से कहो कि मैं स्वदेशी खरीदता हूं, मैं स्वदेशी सामान की बिक्री भी करता हूं। ये हर भारतीय का मिजाज बनना चाहिए। जब ये होगा तो भारत तेजी से विकसित होगा।