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कौन से कुत्ते खतरनाक? कोर्ट ने बताई पहचान की प्रक्रिया

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 Supreme Court Stray Dogs: सुप्रीम कोर्ट ने आवारा और विशेष रूप से पागल या हिंसक कुत्तों से निपटने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि ऐसे कुत्तों की नसबंदी, कृमिनाशक और टीकाकरण के बाद उन्हें उसी क्षेत्र में छोड़ा जाए। हालांकि, अगर कोई कुत्ता पागल या खतरनाक प्रवृत्ति का पाया जाता है, तो उसे वापस नहीं छोड़ा जाएगा।


पहचान कैसे होगी?

भारत में पागल या हिंसक कुत्तों की पहचान वैधानिक प्रावधानों, नगरपालिका नियमों और स्थानीय प्रशासन के दिशानिर्देशों के तहत की जाती है।
पशु जन्म नियंत्रण (ABC) नियम के अनुसार संदिग्ध रेबीज वाले कुत्तों को चिन्हित कर अलग करना और निगरानी में रखना संभव है।

पशु चिकित्सा विशेषज्ञ और अधिकारी ऐसे कुत्तों की पहचान निम्न लक्षणों से करते हैं:

बिना कारण आक्रामक व्यवहार
भौंकने में कठिनाई या आवाज़ में बदलाव
लार का अधिक टपकना या मुंह से झाग आना
लड़खड़ाना या असामान्य चलना
आसपास को न पहचान पाना
जबड़े का ढीला पड़ जाना
आंखों में खालीपन या भ्रम

जांच और निगरानी प्रक्रिया

अगर किसी कुत्ते में रेबीज के लक्षण दिखते हैं, तो उसकी जांच एक विशेष पैनल करता है। इस पैनल में स्थानीय प्रशासन द्वारा नियुक्त पशु चिकित्सक और पशु कल्याण संगठन का प्रतिनिधि शामिल होता है।

पैनल के संदेह पर कुत्ते को 10 दिनों तक निगरानी में रखा जाता है।
इस दौरान अगर वह रेबीज से संक्रमित है, तो संभव है कि उसकी मृत्यु हो जाए।

सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ऐसे कुत्तों को भी हिंसक श्रेणी में शामिल किया जा सकता है, जो बार-बार काटने की घटनाओं में शामिल हों या लगातार असामान्य आक्रामकता दिखाएँ। कोर्ट ने साफ किया कि किसी भी व्यक्ति या संस्था को अधिकारियों के काम में हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं होगी ताकि वे बिना किसी बाधा के अपने कर्तव्य निभा सकें।

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