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रंगा रेड्डी बना भारत का सबसे अमीर जिला, प्रति व्यक्ति आय ₹9.46 लाख, रायपुर समेत कई जिलों से बहुत आगे

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 हैदराबाद/नई दिल्ली : तेलंगाना का रंगा रेड्डी ज़िला आज पूरे देश का केंद्र बिंदु बना हुआ है। हाल ही में जारी नवीनतम आर्थिक आँकड़ों के अनुसार, इस ज़िले की प्रति व्यक्ति आय ₹9 लाख 46 हजार दर्ज की गई है, जो देश के किसी भी ज़िले की तुलना में सबसे ज़्यादा है। यह उपलब्धि न केवल तेलंगाना बल्कि पूरे भारत के विकास परिदृश्य में एक बड़ी मिसाल के रूप में देखी जा रही है। खास बात यह है कि रंगा रेड्डी का यह स्तर कई बड़े और पुराने औद्योगिक केंद्रों को पीछे छोड़ रहा है। वहीं छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की प्रति व्यक्ति आय सिर्फ़ ₹1 लाख 80 हजार आंकी गई है, जो इस तेज़ अंतर को साफ़ दर्शाती है।


लोकेशन और कनेक्टिविटी बनीं सबसे बड़ी ताकत

रंगा रेड्डी ज़िले की यह सफलता आकस्मिक नहीं है। इस ज़िले की भौगोलिक स्थिति और मज़बूत कनेक्टिविटी ने यहाँ निवेश और उद्यमिता के अवसरों को लगातार आकर्षित किया है।

रंगा रेड्डी ज़िला हैदराबाद के नज़दीक स्थित है और यहाँ से शहर का एयरोस्पेस, आईटी और औद्योगिक विस्तार तेज़ी से हुआ है।

विजाग, बेंगलुरु और मुंबई जैसे बड़े शहरों की ओर जाने वाले राजमार्गों और रेल नेटवर्क के कारण यह क्षेत्र लॉजिस्टिक के लिहाज़ से बेहद सुविधाजनक है।

राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (शम्शाबाद) भी इसी ज़िले में आता है, जिसकी वजह से आयात-निर्यात और विदेशी कंपनियों के लिए यहाँ पहुंचना आसान है।

टेक पार्कों और आईटी सेक्टर का योगदान

हैदराबाद को देश का आईटी हब कहा जाता है, और इसका लाभ रंगा रेड्डी को भरपूर मिला है।

साइबराबाद और गाचीबौली जैसे टेक-पार्क और आईटी ज़ोन का बड़ा हिस्सा इसी ज़िले की सीमा से सटा हुआ है।

विश्व की दिग्गज कंपनियाँ—गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, अमेज़न, फेसबुक, डेलॉयट जैसी संस्थाओं के कैंपस यहाँ मौजूद हैं।

केवल आईटी ही नहीं, बल्कि बिज़नेस प्रोसेस मैनेजमेंट (बीपीएम), स्टार्टअप्स और इनोवेशन हब के रूप में भी यह इलाका चमक रहा है।

सरकार और निजी क्षेत्र के बीच लगातार सहयोग से यहाँ लाखों रोजगार उत्पन्न हुए हैं।

फार्मा क्लस्टर और लाइफ़ साइंसेज़ हब

आईटी के अलावा, फार्मा और बायोटेक्नोलॉजी ने भी रंगा रेड्डी जिले को शीर्ष स्थान पर पहुँचाने में बड़ी भूमिका निभाई है।

हैदराबाद और रंगा रेड्डी को मिलाकर "भारत की फ़ार्मा कैपिटल" कहा जाने लगा है।

यहाँ 1500 से ज़्यादा फार्मा कंपनियाँ और रिसर्च यूनिट्स कार्यरत हैं।

हाजीरा और जीनोमिक्स सहित आधुनिक मेडिसिन रिसर्च लैब्स ने इस क्षेत्र में निवेश को
आकर्षित किया है।

कोविड-19 महामारी के दौरान वैक्सीन उत्पादन में इस क्षेत्र ने वैश्विक स्तर पर योगदान दिया। इससे न केवल आय, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय पहचान भी बढ़ी।

टैलेंट पूल और मानव संसाधन

रंगा रेड्डी के विकास की एक अहम वजह है यहाँ का मज़बूत ह्यूमन रिसोर्स बेस।

ज़िले और आसपास के क्षेत्रों में उच्च शिक्षा संस्थानों का जाल फैला हुआ है—आईआईटी हैदराबाद, आईआईएम संकाय केंद्र, एनआईटी, मेडिकल और फार्मा कॉलेज, इंजीनियरिंग संस्थान और बिज़नेस स्कूल।

बड़ी संख्या में दक्ष इंजीनियर्स, आईटी प्रोफेशनल्स और शोधकर्ता यहीं से निकलते हैं, जिन्हें स्थानीय उद्योगों और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों में तुरंत अवसर मिल जाता है।

स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम्स और राज्य सरकार की ‘टास्क’ जैसी योजनाओं ने युवाओं को रोजगार योग्य बनाया है।

उद्योग-व्यापार के लिए उदार नीतियाँ

तेलंगाना सरकार ने बीते दशक में ‘टी-हब’, ‘टी-वर्क्स’, और ‘स्टार्टअप इंडिया’ जैसी पहलों के साथ निवेशकों को न केवल आकर्षित किया बल्कि उन्हें ठहरने का भरोसा भी दिया।

एकल खिड़की अनुमति प्रणाली ने लाइसेंस और निवेश प्रक्रिया को तेज़ बनाया है।

बिजली और बुनियादी ढाँचे की उपलब्धता पर विशेष ध्यान दिया गया।

नतीजतन घरेलू व विदेशी दोनों तरह के निवेशकों ने रंगा रेड्डी को प्राथमिकता दी।

रायपुर और अन्य जिलों में धीमी रफ्तार

जहाँ रंगा रेड्डी की प्रति व्यक्ति आय तेजी से बढ़कर 9.46 लाख तक पहुँच गई, वहीं छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की प्रति व्यक्ति आय सिर्फ ₹1.80 लाख है।

उद्योग और व्यापार केंद्र होने के बावजूद रायपुर अभी भी भारी उद्योगों और स्टील संयंत्रों तक सीमित है।

सेवाक्षेत्र और आईटी की कमी से यहाँ आर्थिक विविधता सीमित रही है।

स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे सामाजिक संकेतक भी अपेक्षित स्तर तक नहीं पहुँच पाए हैं, जिसके कारण स्थानीय प्रतिभा का पलायन निरंतर जारी है।

नतीजतन प्रति व्यक्ति आय में अंतराल और भी गहरा हो गया है।

विशेषज्ञों की राय

आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि रंगा रेड्डी का मॉडल भारत के अन्य हिस्सों के लिए प्रेरणास्रोत हो सकता है।

दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के पूर्व प्रोफ़ेसर बताते हैं कि “रंगा रेड्डी में आईटी और फार्मा जैसे उच्च मूल्य वाले क्षेत्रों पर आधारित अर्थव्यवस्था बनी है, जबकि रायपुर जैसे जिलों में अब भी परंपरागत उद्योगों पर अधिक निर्भरता है।”

प्रबंधन विशेषज्ञ कहते हैं कि “टैलेंट को रोकना और रोजगार के पर्याप्त अवसर देना ही किसी क्षेत्र की प्रति व्यक्ति आय को ऊँचाई पर ले जा सकता है।”

आने वाली चुनौतियाँ

हालाँकि रंगा रेड्डी के आगे का रास्ता पूरी तरह आसान नहीं है। तेजी से शहरीकरण और औद्योगीकरण ने पर्यावरणीय दबाव बढ़ा दिया है। जल संकट, वायु प्रदूषण और यातायात जाम गंभीर चिंता का विषय बन चुके हैं। किफायती आवास और ग्रामीण इलाकों की समावेशी वृद्धि अगली बड़ी चुनौतियाँ होंगी।

तेलंगाना का रंगा रेड्डी रोल मॉडल

तेलंगाना का रंगा रेड्डी ज़िला आज पूरे देश के लिए उदाहरण प्रस्तुत करता है कि किस तरह सही लोकेशन, सटीक सरकारी नीतियाँ, मज़बूत शिक्षा ढाँचा और विविध औद्योगिक क्लस्टर किसी क्षेत्र को दशकों में देश की आर्थिक अग्रिम पंक्ति में ला सकते हैं।

दूसरी ओर रायपुर और अन्य कई जिलों का अनुभव यह बताता है कि केवल औद्योगिक ढांचा या खनिज संसाधन ही किसी स्थान को समृद्ध नहीं बना सकते, बल्कि सेवाक्षेत्र और नवाचार-प्रधान उद्योगों को अपनाना आवश्यक है। इसलिए, रंगा रेड्डी की कहानी केवल एक ज़िले की नहीं, बल्कि भारत की संभावनाओं का आईना है, जिसे सही दिशा और नीति से पूरे देश में दोहराया जा सकता है।

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