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गुरुपूर्णिमा पर जैन समाज में भक्ति और श्रद्धा का उमंग

महासमुंद। जैन समाज ने गुरुपूर्णिमा का पर्व अत्यंत श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया। यह आयोजन पूज्य मुनिश्री विवेकसागर जी मसा एवं शासनरत्नसागर जी मसा की पावन निश्रा में संपन्न हुआ। धर्मसभा में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए शासनरत्नसागर जी मसा ने कहा, “सम्यक् ज्ञान, सम्यक् दर्शन एवं सम्यक् चारित्र ही मोक्ष प्राप्ति का सच्चा मार्ग है। यदि जीवन में सच्चे गुरु, देव और धर्म मिल जाएं तो ज्ञान का प्रकाश स्वयं प्रकट हो जाता है।”


गुरुदेव ने यह भी कहा कि यदि व्यक्ति गुरु का हाथ थाम ले तो जीवन की हर मंजिल सहज हो जाती है। उन्होंने प्रेरणास्पद वाणी में कहा, “स्व का कल्याण करना है तो दूसरों का भला करना सीखो, क्योंकि जैसा बीज बोओगे, वैसा ही फल मिलेगा।”

इस अवसर पर विविध भक्ति कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। हेमंत झाबक, उदित बरडिया और यतन मगन बहु मंडल ने भावपूर्ण भजनों की प्रस्तुति दी, वहीं यशस्वी चोपड़ा एवं भक्ति गोलछा ने गुरु के प्रति अपने श्रद्धाभाव व्यक्त किए। श्रीमती तोषी लुनिया के निर्देशन में "आज का सच" नामक एक नाट्य मंचन हुआ, जिसमें राशि बोथरा, साक्षी बरडिया, श्वेता पींचा, रीना चौरडिया और श्रेया पींचा ने भाग लिया।

कार्यक्रम में एक विशेष क्षण वह था जब नेहा लुनिया द्वारा रचित “भगवान महावीर स्वामी के चौदह स्वप्नों” पर आधारित पुस्तिका का विमोचन पूज्य विवेकसागर जी मसा के करकमलों से हुआ। कार्यक्रम का कुशल संचालन कुशल चोपड़ा ने किया। आयोजन की जानकारी जैन श्री संघ महासमुंद के सचिव सीए रितेश गोलछा एवं श्रीमती ललिता बरडिया द्वारा दी गई।

उपाध्यायद्वय महेंद्रसागर जी और मनीषसागर जी मसा का दीक्षा दिवस भी मनाया गया

धीरज गोलछा ने जानकारी दी कि गुरुपूर्णिमा के शुभ दिन ही आज से 24 वर्ष पूर्व उपाध्याय भगवंत पूज्य महेंद्रसागर जी एवं मनीषसागर जी मसा ने सांसारिक जीवन का त्याग कर दीक्षा ग्रहण की थी। इस पुण्य अवसर पर जैन समाज महासमुंद द्वारा दोनों गुरुओं की तस्वीरों पर अक्षत एवं चंदन अर्पित कर गुरुपूजन किया गया और उनके उत्तम स्वास्थ्य की मंगलकामना की गई।

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