महासमुंद। राज्य के शिक्षा क्षेत्र में ऐतिहासिक रूप से चर्चित कोकड़ी सरकारी स्कूल के समर्पित शिक्षक गेंदलाल कोकड़िया ने ‘युक्तियुक्तकरण’ प्रक्रिया को शिक्षा विभाग का सर्वोत्तम और साहसिक निर्णय बताया है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय बिना किसी राजनीतिक प्रभाव और पूरी पारदर्शिता के साथ हुआ, जिससे दूरस्थ और उपेक्षित गांवों के विद्यार्थियों के साथ न्याय हुआ है।
कोकड़िया, जो कि न तो कभी हड़ताल में शामिल होते हैं और न ही स्कूल बंद करते हैं, ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह पहली बार है जब किसी सरकार ने ईमानदारी और नीयत के साथ शिक्षा व्यवस्था में सुधार का साहसिक प्रयास किया है।
उन्होंने कहा कि वर्षों से कुछ सरकारी स्कूलों में शिक्षक आवश्यकता से अधिक तैनात थे, जबकि ग्रामीण और दूरदराज़ के क्षेत्रों में एकल शिक्षक व्यवस्था से बच्चे वंचित हो रहे थे। युक्तियुक्तकरण से शहरी स्कूलों में अतिरिक्त शिक्षकों को जरूरतमंद गांवों में स्थानांतरित किया गया, जिससे शैक्षणिक असमानता को दूर करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है।
बंद स्कूलों को लेकर भी किया समर्थन
कोकड़िया ने छात्रविहीन या न्यूनतम दर्ज संख्या वाले स्कूलों को मर्ज करने के निर्णय को भी सही ठहराया। उन्होंने कहा कि ये निर्णय जनता के पैसों के सही उपयोग के लिए आवश्यक हैं। जिन स्कूलों में बच्चे ही नहीं हैं, उन्हें चालू रखने का कोई औचित्य नहीं है।
हड़तालों पर लिया स्पष्ट रुख
पक्ष-विपक्ष से ऊपर उठकर सुधारों का समर्थन जरूरी
गेंदलाल कोकड़िया ने कहा कि किसी भी सरकार द्वारा लिए गए बच्चों और शिक्षा के हित में लिए गए फैसलों का समर्थन राजनीतिक विचारधाराओं से ऊपर उठकर करना चाहिए, ताकि बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाया जा सके।