कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय (MoA&FW) द्वारा शुक्रवार को नई दिल्ली में आयोजित “नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन एग्री स्टैक : डेटा से डिलीवरी तक” में आधुनिक तकनीक, खासकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित नवाचारों और राज्यों की सफलता की कहानियों पर प्रमुखता से प्रकाश डाला गया।
सम्मेलन का एक बड़ा आकर्षण एग्री स्टैक डेटा पर आधारित गूगल जेमिनी से विकसित एक AI चैटबॉट रहा, जो किसानों के सवालों का कई भाषाओं में उत्तर देने में सक्षम है। इसके अलावा मंत्रालय द्वारा फसल पहचान, सर्वेयर की पहचान के लिए फेस ऑथेंटिकेशन और बैकएंड सिस्टम को ऑप्टिमाइज करने के लिए भी AI टूल्स का परीक्षण किया जा रहा है। मुख्य ज्ञान अधिकारी और सलाहकार (CKO&A) ने “डिजिटली वेरीफायबल क्रेडेंशियल (DVC)” या “किसान पहचान पत्र” की जानकारी दी, जो किसानों को अपनी जमीन और फसल से संबंधित प्रमाणित जानकारी तैयार करने और DigiLocker से जोड़ने की सुविधा देता है। यह DVC जमीन में बदलाव होने पर अपने आप अपडेट हो जाता है।
सम्मेलन में एकीकृत शिकायत निवारण पोर्टल भी लॉन्च किया गया, जिसमें ओटीपी लॉगिन, मल्टीलैंगुअल सपोर्ट और ऑडियो अपलोड जैसी सुविधाएं दी गई हैं। अब किसान अपने प्रतिनिधि को सेवा लेने या शिकायत दर्ज करने की अनुमति भी दे सकते हैं। इससे जमीन से जुड़ी शिकायतों का समाधान अब अधिक सरल और सुलभ हो गया है।
“Insights from States on Agri Stack Usage” नामक विशेष सत्र में महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक ने अपने-अपने अनुभव साझा किए। महाराष्ट्र ने राज्यभर में फार्मर रजिस्ट्री में हो रहे नामांकन और Mahavistaar AI नामक AI-आधारित सलाह तंत्र के लिए केंद्र सरकार से डेटा प्रोविजनिंग इंजन (DPE) हेतु सहयोग मांगा। वहीं उत्तर प्रदेश ने बताया कि उसने 2024 की एमएसपी ई-प्रोक्योरमेंट प्रणाली में एग्री स्टैक का एकीकरण सफलतापूर्वक किया है, हालांकि डिजिटल फसल सर्वेक्षण (DCS) के क्रियान्वयन में कुछ चुनौतियां सामने आई हैं। कर्नाटक ने अपनी FRUITS प्रणाली को बैंकों से जोड़ने, आपदा राहत कार्यों में एग्री स्टैक के उपयोग और मृदा स्वास्थ्य कार्ड के माध्यम से किसानों को व्यक्तिगत सलाह देने जैसी कई नवाचार प्रस्तुत किए।