रायपुर : बीजापुर जिले के उसुर विकासखंड के करेगुट्टा पहाड़ी की तलहटी में स्थित गांव से उठी एक माँ की करुणा और कृतज्ञता भाव विभोर करने वाला है।ग़लगम में आयोजित सुशासन तिहार में प्रधानमंत्री आवास की चाबी पाकर 62 वर्षीय शम्मी दुर्गम भावुक हो उठीं।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से चाबी लेते हुए उन्होंने स्नेहभरे हाथों से उनके गाल को छुआ, फिर अपने होंठों से उस हाथ को लगाया—जैसे कोई माँ अपने बेटे को आशीर्वाद दे रही हो। यह दृश्य केवल एक पक्का घर मिलने की ख़ुशी नहीं, बल्कि शासन पर एक माँ का वात्सल्यपूर्ण विश्वास था।
पुराने जमाने में दादी-नानी जिस मया-दुलार के साथ अपने बच्चों की ठुड्डी का हाथ से चुम्बन लेती थीं, उसी तरह से बुजुर्ग माता की प्रतिक्रिया से मुख्यमंत्री विष्णु देव साय भी भाव विभोर हो गए। उन्होंने दोनों हाथ जोड़कर इस स्नेह के लिए कृतज्ञता ज्ञापित किया। यह नजारा जिसने भी देखा, मुख्यमंत्री की सहजता और सरलता के कायल हो गए।
कच्चे मकान से पक्के घर तक
एक माँ की ज़िंदगी में लौटी गरिमा और सुकून
पक्का घर की चाबी पाकर शम्मी दुर्गम भावुक हो उठीं। उन्होंने मुख्यमंत्री जी के गालों को स्नेहपूर्वक स्पर्श करते हुए कहा कि वर्षों तक कच्चे मकान में रहना उनके लिए बेहद कठिन था—हर मौसम में कीड़े-मकोड़ों और जहरीले जीवों का डर बना रहता था। उन्होंने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को भावुकता से बार-बार धन्यवाद देते हुए कहा – अब मेरे जीवन में सुकून है, और मेरे बच्चों के सिर पर एक स्थायी छत है।
जीवनभर के संघर्षों का पुरस्कार
श्रीमती दुर्गम ने बताया कि उनके पति की मृत्यु 15 वर्ष पूर्व बीमारी के चलते हो गई थी, तब से उन्होंने अकेले ही अपने दो बच्चों का लालन-पालन किया और कृषि कार्य कर किसी तरह जीवनयापन किया। जब उन्हें सुरक्षित, मजबूत और सम्मानजनक आवास प्राप्त हुआ है, तो यह केवल एक मकान नहीं बल्कि उनके जीवनभर के संघर्षों का पुरस्कार है। यह एक ऐसी छत है, जिसमें सिर्फ ईंट और सीमेंट नहीं, बल्कि सम्मान, सुरक्षा और आत्मसम्मान की नींव जुड़ी है। शम्मी दुर्गम इस बात की गवाह है कि सरकार की योजनाएं जब सही हाथों तक पहुँचती हैं, तो वे केवल इमारत नहीं, भरोसे और उम्मीद का घर बन जाती हैं।