रायपुर/दंतेवाड़ा। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आज बस्तर संभाग के अत्यंत दुर्गम और आदिवासी बहुल ग्राम मुलेर का दौरा किया। यह गांव दंतेवाड़ा जिले की सीमा पर स्थित अंतिम गांवों में से एक है, जहां ‘नियद नेल्लानार’ योजना के तहत तेजी से समावेशी विकास हो रहा है।
मुख्यमंत्री का ग्रामीणों ने पारंपरिक महुआ-माला और गौर मुकुट पहनाकर आत्मीय स्वागत किया। उनके साथ मुख्य सचिव अमिताभ जैन, प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह और डीजीपी अरुण देव गौतम भी मौजूद रहे। इस दौरान इमली के पेड़ के नीचे चौपाल लगाकर मुख्यमंत्री ने ग्रामीणों से सीधा संवाद किया, समस्याएं सुनीं और मौके पर ही कई घोषणाएं कीं।
घोषणाओं में अंदल कोसम माता मंदिर के लिए ₹4 लाख, उप-स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना, नाहाड़ी तक सड़क निर्माण और पारा को जोड़ने पुलिया-सीसी सड़क निर्माण के लिए ₹5 लाख की स्वीकृति शामिल है। साथ ही, वनाधिकार पत्र, आधार और आयुष्मान कार्ड बनाने के लिए शिविर आयोजित करने की घोषणा भी की गई।
मुख्यमंत्री ने राशन दुकान, आंगनबाड़ी और अन्य सुविधाओं का निरीक्षण किया तथा बच्चों को चॉकलेट वितरित कर उनका उत्साह बढ़ाया। इस मौके पर उन्होंने 10वीं बोर्ड परीक्षा में प्रदेश में 9वां स्थान पाने वाली छात्रा रमशिला नाग को सम्मानित भी किया।
ग्राम मुलेर: सुदूर बस्तर में बदलते विकास की तस्वीर
ग्राम पंचायत मुलेर, जो बड़े बचेली विधानसभा क्षेत्र में आता है, जिला मुख्यालय से करीब 90 किमी दूर है और पूरी तरह माड़िया जनजाति बहुल है। यहां 112 परिवारों के 474 लोग निवास करते हैं। दो आंगनबाड़ी, छह महिला स्व-सहायता समूह, सौर ऊर्जा से होम लाइटिंग, और महतारी वंदन योजना के तहत महिलाओं को आर्थिक संबल जैसी योजनाओं ने गांव को आत्मनिर्भरता की राह पर अग्रसर किया है।
लक्ष्मी स्व-सहायता समूह को डीएमएफ मद से ट्रैक्टर दिया गया है, जिससे कृषि कार्यों के साथ आयवर्धन भी हो रहा है। राशन की नियमित आपूर्ति और योजनाओं की प्रभावी क्रियान्वयन ने मुलेर को आदिवासी अंचलों में एक आदर्श ग्राम का स्वरूप दिया है।