रायपुर। छत्तीसगढ़ कोयला लेवी घोटाले में गिरफ्तार निलंबित IAS अधिकारी रानू साहू, पूर्व उप सचिव सौम्या चौरसिया, और वरिष्ठ IAS अधिकारी समीर विश्नोई शनिवार सुबह रिहा हो गए है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा सभी आरोपियों को अंतरिम जमानत दिए जाने के बाद शुक्रवार को जमानती प्रक्रिया पूरी कर ली गई।
इस बहुचर्चित घोटाले में आरोपी सूर्यकांत तिवारी, सौम्या चौरसिया, समीर विश्नोई, रानू साहू सहित अन्य को जस्टिस सूर्यकांत और दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने अंतरिम राहत प्रदान की। कोर्ट ने आदेश दिया कि सभी आरोपी अगली सूचना तक छत्तीसगढ़ राज्य से बाहर रहेंगे और जांच एजेंसियों को पूरा सहयोग देंगे।
ये हैं जमानत की शर्तें
कोयला घोटाला: क्या है मामला?
प्रवर्तन निदेशालय (ED) का आरोप है कि छत्तीसगढ़ में कोयले के संचालन और परिवहन से जुड़े कार्यों में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ है। करीब 570 करोड़ रुपए के इस घोटाले में ऑनलाइन परमिट को ऑफलाइन करने, अवैध वसूली और सिंडिकेट के ज़रिए धन उगाही जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं। इस पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड कोयला व्यापारी सूर्यकांत तिवारी को माना जा रहा है।
तत्कालीन खनिज विभाग के संचालक समीर विश्नोई ने 15 जुलाई 2020 को एक आदेश जारी किया था, जिसके तहत ऑनलाइन परमिट सिस्टम को बंद कर दिया गया और उसके स्थान पर ऑफलाइन प्रणाली लागू की गई। इससे कोयला व्यापारियों से सीधे वसूली का रास्ता खुला। व्यापारी प्रति टन 25 रुपए की अवैध वसूली करते थे, जिसके बाद ही उन्हें परिवहन पास मिलता था।
DMF घोटाला: खनिज निधि में भारी गड़बड़ी
ED और राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) की संयुक्त जांच में डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड (DMF) से संबंधित अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। आरोप है कि टेंडर प्रक्रिया में भारी कमीशनखोरी (25-40%) और फर्जी कंपनियों के ज़रिए करोड़ों रुपये का घोटाला किया गया।
यह आरोप विशेष रूप से रानू साहू पर लगे हैं, जब वे रायगढ़ और कोरबा की कलेक्टर थीं। कहा गया कि उन्होंने खनन परियोजनाओं में अनुचित ठेके दिए और ठेकेदारों से मोटी रिश्वत ली।
ईडी की जांच में खुलासा हुआ कि रिश्वत को वैध दिखाने के लिए इसे “अकोमोडेशन एंट्री” के रूप में दर्ज किया गया। साथ ही तलाशी के दौरान 76.50 लाख कैश, 8 बैंक अकाउंट (35 लाख) और कई फर्जी दस्तावेज व डिजिटल डिवाइस बरामद किए गए।