Pahalgam Attack : पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने कड़े कदम उठाए हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण निर्णय है सिंधु जल संधि को स्थगित करना। पाकिस्तान की कृषि, पेयजल और ऊर्जा उत्पादन बड़े पैमाने पर इसी जल व्यवस्था पर आधारित है। अब तक दोनों देशों के बीच तीन युद्ध होने के बावजूद भारत इस संधि को बनाए रखे हुए था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने सिंधु जल समझौते को रोकने समेत कुल पांच प्रमुख निर्णय लागू किए हैं। इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्पष्ट संकेत गया है कि भारत और पाकिस्तान के आपसी संबंधों में अब आतंकवाद के लिए कोई जगह नहीं है।
क्या है कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS)?
यह भारत की सबसे उच्च स्तरीय सुरक्षा नीति निर्धारण समिति है। इसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं, जबकि रक्षा मंत्री, गृह मंत्री, वित्त मंत्री और विदेश मंत्री इसके सदस्य होते हैं।
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 नागरिकों की मौत के बाद, 23 अप्रैल को पीएम आवास पर CCS की बैठक हुई। लगभग ढाई घंटे चली इस मीटिंग में पांच ठोस फैसले लिए गए:
1. सिंधु जल संधि अस्थायी रूप से निलंबित
जब तक पाकिस्तान सीमा पार से आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता, भारत ने सिंधु जल समझौते को रोकने का निर्णय लिया है।
इसका असर:
- पाकिस्तान की 90% कृषि भूमि, लगभग 4.7 करोड़ एकड़, सिंधु नदी प्रणाली से सिंचित होती है।
- कृषि पाकिस्तान की राष्ट्रीय आय में 23% हिस्सेदारी रखती है और 68% ग्रामीण आबादी इसी पर निर्भर है।
- मंगल और तारबेला जैसे हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट्स को जल आपूर्ति न होने से बिजली उत्पादन में 30% से 50% तक की गिरावट संभव है।
- उद्योग, रोजगार और अर्थव्यवस्था की हालत और खराब हो सकती है।
2. अटारी-वाघा सीमा मार्ग को बंद किया गया
भारत ने अटारी-वाघा बॉर्डर को तात्कालिक प्रभाव से बंद कर दिया है। जो लोग कानूनी रूप से इस मार्ग से भारत में प्रवेश कर चुके हैं, उन्हें 1 मई से पहले वापस लौटना होगा।
प्रभाव:
- यह भारत और पाकिस्तान के बीच एकमात्र मान्यता प्राप्त भूमि व्यापार मार्ग है।
- 2023-24 में इस मार्ग से 3,886 करोड़ रुपये का व्यापार हुआ था।
- भारत से पाकिस्तान और अफगानिस्तान में सोयाबीन, मांस, सब्जियां, मिर्च और प्लास्टिक सामग्री भेजी जाती है।
- पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भारत में खजूर, जड़ी-बूटियां, सेंधा नमक और कांच जैसे उत्पाद आते हैं।
- मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए भारत आने वाले पाकिस्तानी नागरिकों को भी परेशानी होगी। पिछले साल 71,500 लोगों ने इस मार्ग का उपयोग किया था।
3. SAARC वीजा छूट योजना पर रोक
इस योजना के अंतर्गत 24 वर्गों के लोग, जैसे राजनेता, व्यापारी, पत्रकार आदि बिना वीजा यात्रा कर सकते थे। अब यह सुविधा समाप्त कर दी गई है।
प्रभाव:
- पहले से जारी वीजा रद्द कर दिए गए हैं।
- जो पाकिस्तानी नागरिक पहले से भारत में हैं, उन्हें 48 घंटे के भीतर देश छोड़ना होगा।
4. सैन्य सलाहकारों की वापसी
दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में तैनात डिफेंस और सैन्य अधिकारियों को 'पर्सोना नॉन ग्राटा' घोषित कर भारत छोड़ने का आदेश दिया गया है।
परिणाम
- अब इन पदों को खत्म माना जाएगा। भारत भी अपने सैन्य सलाहकारों को इस्लामाबाद से वापस बुलाएगा।
- इससे दोनों देशों के बीच सैन्य संवाद और इंटेलिजेंस साझा करने की प्रक्रिया समाप्त हो जाएगी।
- आपसी सूचनाओं की कमी से गलतफहमियों और तनाव की संभावना बढ़ जाएगी।
- किसी भी छोटे टकराव के बड़े संघर्ष में बदलने का खतरा बढ़ जाएगा।
5. उच्चायोग में स्टाफ घटाया जाएगा
भारत और पाकिस्तान के उच्चायोगों में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या घटाकर 30 कर दी जाएगी। यह निर्णय 1 मई 2025 से लागू होगा।
इसका असर:
- भारत-पाक रिश्ते न्यूनतम स्तर पर पहुंच गए हैं।
- वीजा, व्यापार, मेडिकल सहायता और शैक्षणिक गतिविधियों पर असर पड़ेगा।
- पाकिस्तान के नागरिकों के लिए भारत आना और भी मुश्किल हो जाएगा।