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मां चंद्रघंटा का आशीर्वाद: चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन की खास पूजा और भोग

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Chaitra Navratri : आज, यानी मंगलवार 1 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन है. नवरात्रि के तीसरे दिन देवी दुर्गा के चंद्रघंटा रूप की पूजा की जाती है. मां चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसी कारण से इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है. इनके शरीर का रंग सोने की तरह चमकीला है, मां के दस हाथ हैं, जिनमें अलग-अलग अस्त्र और शस्त्र होते हैं. वहीं, मां चंद्रघंटा का वाहन सिंह है. मान्यता है कि मां चंद्रघंटा की सच्ची निष्ठा से पूजा-अर्चना करने से जीवन में शांति, समृद्धि और मानसिक संतुलन आता है. ऐसे में आइए जानते हैं मां चंद्रघंटा की पूजा विधि, भोग, मंत्र, शुभ रंग और कथा.


मां चंद्रघंटा की पूजा विधि

  1. स्नान और तैयारी: सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। स्वच्छ वस्त्र धारण करें, अधिमानतः पीले या लाल रंग के, जो मां को प्रिय हैं।
  2. पूजा स्थल की सफाई: पूजा स्थल को साफ करें और मां चंद्रघंटा की मूर्ति या तस्वीर को लाल या पीले वस्त्र पर स्थापित करें।
  3. कलश पूजा: यदि नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की गई है, तो कलश की पूजा करें।
  4. अर्पण: मां को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं। फिर अक्षत (चावल), कुमकुम, सिंदूर, लाल चंदन, फूल (विशेष रूप से लाल गुलाब या कमल), और माला अर्पित करें।
  5. दीप और धूप: घी का दीपक और धूप जलाएं। शंख और घंटी बजाना भी शुभ माना जाता है।
  6. मंत्र जाप: मां के मंत्रों का जाप करें (नीचे दिए गए हैं) और दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
  7. भोग: मां को उनका प्रिय भोग अर्पित करें (विवरण नीचे)।
  8. आरती: अंत में मां चंद्रघंटा की आरती करें और क्षमा प्रार्थना करें।

मां चंद्रघंटा के मंत्र

  1. प्रधान मंत्र:
    ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः
    (इस मंत्र का 108 बार जाप करना शुभ माना जाता है।)
  2. बीज मंत्र:
    ऐं श्रीं शक्तयै नमः
  3. स्तोत्र मंत्र:
    पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
    प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता।।
  4. ध्यान मंत्र:
    वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम्।
    सिंहारूढा चंद्रघंटा यशस्वनीम्॥

मां चंद्रघंटा का प्रिय भोग

मां चंद्रघंटा को दूध और दूध से बनी मिठाइयां अत्यंत प्रिय हैं। नवरात्रि के तीसरे दिन उन्हें निम्नलिखित भोग लगाए जा सकते हैं:

  • केसर की खीर: दूध, चावल, केसर और मेवों से बनी खीर मां को विशेष रूप से पसंद है।
  • दूध की मिठाई: जैसे पेड़ा, बर्फी या रसगुल्ला।
  • शहद: शहद का भोग लगाने से घर में सुख-शांति बनी रहती है।
  • पंचामृत: दूध, दही, घी, शहद और मिश्री का मिश्रण।
    भोग अर्पित करने के बाद इसे प्रसाद के रूप में बांटें और जरूरतमंदों को दान करें।

मां चंद्रघंटा का स्वरूप और महत्व

मां चंद्रघंटा के दस हाथ हैं, जिनमें वे त्रिशूल, गदा, तलवार, कमंडल, कमल, धनुष, बाण और माला धारण करती हैं। उनका वाहन सिंह है और शरीर स्वर्ण की तरह चमकीला है। माना जाता है कि मां ने राक्षसों का संहार करने के लिए यह रूप धारण किया था। उनकी घंटे की प्रचंड ध्वनि दुष्ट शक्तियों को भयभीत करती है। उनकी पूजा से:

  • भक्तों को भय से मुक्ति मिलती है।
  • आत्मविश्वास और पराक्रम में वृद्धि होती है।
  • मंगल ग्रह के दोष दूर होते हैं।
  • सौम्यता और विनम्रता का विकास होता है।

शुभ रंग और अन्य टिप्स

  • प्रिय रंग: मां चंद्रघंटा को लाल और पीला रंग प्रिय है। पूजा के दौरान इन रंगों के वस्त्र पहनना शुभ होता है।
  • फूल: लाल गुलाब, कमल या गेंदे के फूल अर्पित करें।
  • दान: दूध, सफेद मिठाई या लाल वस्त्र का दान करें।

इस विधि से मां चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में शांति व समृद्धि आती है। जय मां चंद्रघंटा!

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