महासमुंद, छत्तीसगढ़ : महासमुंद जिले में बालिकाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल विकास, खेल, अधिकारों, समानता एवं सामाजिक सहभागिता को मजबूत करने के उद्देश्य से निदान सेवा परिषद द्वारा ‘दुर्गा’ (Development of Urban and Rural Girls Aspiration) नामक विशेष इकाई का गठन किया गया है। इस 13-सदस्यीय इकाई के माध्यम से बालिकाओं के समग्र विकास के लिए सतत अभियान चलाया जाएगा, जिससे ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों की बेटियों को एक समान अवसर प्राप्त हो सकें।
इस पहल का मुख्य उद्देश्य बेटियों के सपनों को उड़ान देना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराना है। ‘दुर्गा’ इकाई ने अपने कार्ययोजना के तहत विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों को शामिल किया है, जिनमें बालिका शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। इसी क्रम में, ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान के अंतर्गत महासमुंद जिले के ग्राम मचेवा से स्कूली बालिकाओं के लिए कोचिंग व्यवस्था प्रारंभ की गई है, जिससे उनकी शिक्षा को और अधिक सुदृढ़ किया जा सके।
ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी कई बच्चियाँ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित रह जाती हैं। इस चुनौती से निपटने के लिए ‘दुर्गा’ इकाई द्वारा विद्यालयों में शैक्षणिक सत्रों का आयोजन, कोचिंग सुविधाओं की व्यवस्था, शिक्षा में डिजिटल संसाधनों का समावेश और शिक्षकों द्वारा विशेष मार्गदर्शन जैसी पहल की जा रही हैं। इसके अलावा, जिन परिवारों में आर्थिक तंगी के कारण बेटियों की शिक्षा बाधित हो रही है, उन्हें विशेष सहायता प्रदान की जाएगी।
बालिकाओं के अच्छे स्वास्थ्य के बिना उनका समुचित विकास संभव नहीं है। इसी को ध्यान में रखते हुए, ‘दुर्गा’ इकाई द्वारा स्वास्थ्य जागरूकता अभियान शुरू किया गया है। इसमें किशोरियों के लिए मासिक धर्म स्वच्छता, कुपोषण रोकथाम, टीकाकरण और संतुलित आहार के प्रति जागरूकता कार्यक्रम शामिल किए गए हैं। स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन कर विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा बालिकाओं के स्वास्थ्य परीक्षण किए जाएंगे और उन्हें उचित परामर्श दिया जाएगा।
समाज में बेटियों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए ‘दुर्गा’ इकाई विशेष रूप से कौशल उन्नयन कार्यक्रम चला रही है। इसमें सिलाई-कढ़ाई, कंप्यूटर शिक्षा, ब्यूटी पार्लर प्रशिक्षण, स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहन तथा सरकारी योजनाओं से जोड़ने की व्यवस्था की जा रही है। इससे बालिकाओं को न केवल रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे, बल्कि वे आत्मनिर्भर होकर अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को भी सुदृढ़ कर सकेंगी।
खेलों में बेटियों की भागीदारी बढ़ाने और उन्हें राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुँचाने के लिए ‘दुर्गा’ इकाई द्वारा खेल प्रशिक्षण कार्यक्रम भी प्रारंभ किया गया है। विद्यालयों एवं पंचायत स्तर पर खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा, जिसमें प्रतिभावान बालिकाओं को आगे बढ़ने का अवसर दिया जाएगा। विशेष रूप से, कबड्डी, वॉलीबॉल, दौड़ और अन्य खेलों में रुचि रखने वाली बालिकाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा।
लैंगिक समानता को बढ़ावा देने और बालिकाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए ‘दुर्गा’ इकाई सामाजिक संवाद कार्यक्रमों का आयोजन करेगी। इसमें बाल विवाह, दहेज प्रथा, घरेलू हिंसा और बालिकाओं के प्रति भेदभाव जैसी सामाजिक कुरीतियों पर चर्चा होगी और इनसे निपटने के उपाय सुझाए जाएंगे। इसके साथ ही, जिले में बेटियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महिला हेल्पलाइन नंबर और संबंधित सरकारी योजनाओं की जानकारी भी दी जाएगी।
इस अभियान को सफल बनाने के लिए समाज के प्रत्येक वर्ग की भागीदारी आवश्यक है। इसलिए ‘दुर्गा’ इकाई ने स्थानीय प्रशासन, शिक्षण संस्थानों, स्वास्थ्य विभाग, स्वयंसेवी संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर सामूहिक प्रयास शुरू किया है। विभिन्न गाँवों में बैठकें आयोजित कर ग्रामवासियों को इस अभियान से जोड़ा जा रहा है, जिससे बेटियों के विकास की दिशा में व्यापक सामाजिक समर्थन मिल सके।
आने वाले समय में ‘दुर्गा’ इकाई महासमुंद जिले के अन्य ग्रामों में भी अपने अभियान को विस्तारित करेगी। बालिका शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल विकास और सामाजिक समानता के लिए और अधिक केंद्र खोले जाएंगे, ताकि अधिक से अधिक बालिकाएँ इसका लाभ उठा सकें।
निदान सेवा परिषद की यह पहल महासमुंद जिले की बालिकाओं के उज्ज्वल भविष्य के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी। ‘दुर्गा’ इकाई के माध्यम से बेटियों को न केवल शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएँ मिलेंगी, बल्कि उन्हें अपने अधिकारों के प्रति जागरूक कर एक आत्मनिर्भर और सशक्त समाज की स्थापना की जाएगी।
"बेटियों का सशक्तिकरण, समाज की प्रगति की पहचान!"