महासमुंद : छत्तीसगढ़ राज्य में बढ़ते श्रमिक पलायन को नियंत्रित करने और स्थानीय संसाधनों के प्रभावी उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में यूरोपीय संघ (European Union) के डिप्टी हेड लारेंट ले डनोइस और WHH संस्था से विजय राय की उपस्थिति में विस्तृत चर्चा की गई। बैठक का उद्देश्य छत्तीसगढ़ में श्रमिकों के बढ़ते पलायन को रोकने के लिए एक प्रभावी नीति तैयार करना था, जिसे भारत सरकार को सौंपा जाएगा।
बैठक में महासमुंद जिले के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. सुरेश शुक्ला ने महासमुंद एवं बलौदाबाजार जिलों में हो रहे पलायन पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि रोजगार के सीमित अवसर, कृषि संसाधनों की अपर्याप्तता और औद्योगिक विकास की धीमी गति के कारण स्थानीय श्रमिक मजबूरी में अन्य राज्यों की ओर पलायन कर रहे हैं। उन्होंने जोर दिया कि यदि मनरेगा, केंद्र और राज्य सरकारों की कौशल उन्नयन योजनाओं को प्रभावी रूप से लागू किया जाए और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर सृजित किए जाएं, तो पलायन की दर को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
बैठक में वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता भरत भूषण ठाकुर, सुमन साहू, पूरब धुरंधर, पत्रकार एवं छत्तीसगढ़ के अन्य प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता भी उपस्थित थे। सभी प्रतिभागियों ने स्थानीय संसाधनों के प्रभावी दोहन, लघु उद्योगों को बढ़ावा देने और स्वरोजगार के अवसरों को मजबूत करने पर चर्चा की। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि यदि सरकार मौजूदा योजनाओं की निगरानी सुनिश्चित करे और जरूरतमंद लोगों तक इनका लाभ सही ढंग से पहुंचे, तो पलायन को रोकने में सफलता मिल सकती है।
बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया कि पलायन नियंत्रण के लिए स्थानीय प्रशासन, गैर-सरकारी संगठनों और समाजसेवियों का सहयोग लिया जाएगा। बैठक में हुई चर्चाओं के आधार पर तैयार की गई नीति को जल्द ही भारत सरकार को प्रस्तुत किया जाएगा, ताकि इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया जा सके और छत्तीसगढ़ के श्रमिकों को अपने गृह राज्य में ही स्थायी और सुरक्षित आजीविका मिल सके।