रायपुर : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण को लेकर शुरू की गई लखपति दीदी पहल ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का एक उल्लेखनीय माध्यम बन रही है। यह पहल राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत महिलाओं को आजीविका गतिविधियों से जोड़कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने और उनकी वार्षिक आय को एक लाख रुपये से अधिक तक पहुंचाने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। इस पहल ने देशभर में हजारों महिलाओं की जिंदगी बदली है उन्ही में से एक हैं कोंडागांव जिले के विश्रामपुरी की इश्वरी मरकाम।
समूह से जुड़कर सफर की शुरुआत
कोण्डागांव जिले के विश्रामपुरी की इश्वरी मरकाम आज बिहान से जुड़कर अन्य ग्रामीण महिलाओं के लिए एक मिसाल बनी है। इश्वरी 2017 में समूह से जुड़ी हैं और आजीविका के छोटे-छोटे गतिविधियां कर आज अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ की है। इश्वरी अपने पति और दो बच्चों के साथ छोटा परिवार में रहती हैं। उनके पति कृषि कार्य करते हैं, लेकिन परिवार की जरूरतों और बच्चों की पढ़ाई के खर्च पूरे करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। इस कठिन परिस्थिति से उबरने के लिए इश्वरी ने महिला स्व-सहायता समूह का सहारा लिया और अपने जीवन को बदलने की ठानी। इश्वरी उन दिनों को याद करते हुए बताई की उस समय बड़ी मुश्किल से हमारा घर चलता था। परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए हम महीनों से पैसे इक्कठे करते थे तब जाकर हमारी छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा कर पाते थे। इश्वरी ने बताया की बिहान से जुड़ने के बाद मेरे अन्दर एक आत्मविश्वास जगा है, आज मैं अपनी बात सबके बीच रख पाती हूँ।
समूह से जुड़ने के बाद इश्वरी ने सीआईएफ की राशि का उपयोग कर विभिन्न आजीविका गतिविधियों की शुरुआत की। उन्होंने कृषि कार्य, फैंसी दुकान संचालन और स्कूलों में मध्यान्ह भोजन बनाने का कार्य कर रही हैं। इसके अलावा वे बीसी सखी के रूप में भी सेवाएं प्रदान कर रही हैं।
आर्थिक स्थिति में हुआ सुधार
इश्वरी आज अपनी मेहनत और लगन से अलग-अलग स्रोतों से एक लाख रुपये से अधिक वार्षिक आय अर्जित कर रही है। इश्वरी को कृषि कार्य से 35 हजार रुपए, फैंसी दुकान से 60 हजार और मध्यान्ह भोजन योजना से 24 हजार रुपए तक की आमदनी हो रही है। साथ ही उन्हें छत्तीसगढ़ शासन के महतारी वंदन योजना से भी हर महीने एक हजार रूपये प्राप्त हो रहा है। आज इन सभी आय स्रोतों से उनकी आर्थिक स्थिति पहले से कहीं बेहतर हो गई है। अब उनके बच्चों की पढ़ाई में आर्थिक तंगी नहीं आती और परिवार का जीवन स्तर पहले से अधिक बेहतर हो गया है।