रायपुर : जनजातीय समाज प्रकृति के संरक्षण का कार्य सदियों से कर रहे हैं। जनजातीय समाज को अपनी प्रकृति से अथाह प्रेम है और उसे बचाने के लिए वह किसी भी प्रकार का संघर्ष कर सकते हैं यह वक्तव्य श्रीमती कौशल्या देवी साय ने राजधानी रायपुर स्थित राधाबाई कन्या महाविद्यालय में आयोजित जनजातीय समाज का गौरवशाली अतीत कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि कही।
उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि शासन की कल्याणकारी योजनाओं के फलस्वरूप जनजातियों के जीवन स्तर में सुधार आया है।जनजातीय संस्कृति में गहरी आध्यात्मिकता छिपी है। प्रकृति को सहेजकर, प्रकृति के अनुकूल जीवन जीना। बड़े-छोटे, स्त्री-पुरुष में किसी तरह का भेदभाव नहीं। सब बराबर हैं और प्रकृति का उपहार सबके लिए है। ये बातें हमें इस समाज से सीखने की आवश्यकता है। जनजातीय समाज में दहेज जैसी सामाजिक बुराई का अस्तित्व नहीं है।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता रामनाथ कश्यप ने कहा कि अंग्रेजों ने भारतीय और जनजाति संस्कृति को कुचलने का काम किया। जनजातियों की प्राचीन समृद्ध वैदिक संस्कृति रही है। वर्तमान भारत के निर्माण में भारतीय जनजातीय समाज ने अपना अभूतपूर्व योगदान दिया है। अतीत से लेकर वर्तमान तक इन जनजातीय समाजों का गौरवशाली इतिहास है। इस समाज ने अपनी कर्मठता, सहजता,सरलता और सत्य निष्ठा के लिए विश्व में ख्याति अर्जित की है। प्रकृति के साथ जीवन जीते इस समाज में औषधीय पहचान की अद्भुत क्षमता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ प्रीति मिश्रा ने की। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि जनजातीय समाज में मातृ सत्तात्मक व्यवस्था है,जहां महिलाओं को विशेष महत्व दिया जाता है।आदिवासी समाज की महिलाओं ने विभिन्न क्षेत्रों में प्रमुख स्थान प्राप्त किए हैं।