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महासमुंद जिले में यह कैसी शिक्षण व्यवस्था ? तालाबंदी के बाद हरकत में आए शिक्षाधिकारी, एक शिक्षिका पूरे प्रशासनिक व्यवस्था पर भारी

देवराज साहू/आनंदराम पत्रकारश्री. 

पटेवा/ महासमुंद । महासमुंद जिले में शिक्षण व्यवस्था का बुरा हाल है। धनबल और राजनीतिक हस्तक्षेप से प्रभावशाली लोग ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में न जाकर शहर के स्कूलों में वर्षों से जमे हुए हैं। स्थिति यह है कि महासमुंद जिले में जिला शिक्षाधिकारी के आदेश का भी पालन नहीं हो रहा है। बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित ग्रामीण जब स्कूल में तालाबंदी करते हैं, तब कहीं जाकर शिक्षाधिकारियों की कुम्भकर्णी निद्रा टूटती है। ताजा घटनाक्रम में भी सिनोधा ग्रामवासी एक दिन कामकाज बंद करके जब स्कूल में तालाबंदी किए तब कहीं जाकर दो शिक्षकों की व्यवस्था की गई। कलेक्टर जनदर्शन में ध्यानाकर्षण, शिक्षाधिकारी से मिलकर मांग करने, जनप्रतिनिधियों को अवगत कराने के बाद भी सभी स्तर से समस्या समाधान नहीं होना और नियमित शिक्षक की मांग को लेकर एक दिन कामकाज बंद कर अपना नुकसान उठाकर गांव के गरीब मजदूर और किसान, पूरे गांववासियों का स्कूल में तालाबंदी किया जाना कोई साधारण घटना नहीं है। गांव और शहर के स्कूलों के बीच आखिर कब तक ऐसा भेदभाव किया जाता रहेगा ? गांव के बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ और शहर के बच्चों के साथ ज्यादा लाड-प्यार के पीछे की कहानी को समझना होगा।

स्कूल में तालाबंदी कर सामने खड़े पालक और जनप्रतिनिधि

पदस्थापना में विसंगति को ऐसे समझिए

जिस गांव सिनोधा (पटेवा) के पूर्व माध्यमिक शाला में शिक्षकों की व्यवस्था की मांग को लेकर तालाबंद आंदोलन हुआ, वहाँ तीन कक्षाओं छठवीं से आठवीं के लिए एक प्रधानपाठक मुरारी ध्रुव, और एक शिक्षक जागेश्वर पटेल मात्र ही हैं। यहाँ दर्ज संख्या 71 है। प्रधान पाठक को ज्यादातर समय प्रशासनिक कामकाज के लिए देना पड़ता है। इस लिहाज से तीन कक्षा और एक शिक्षक, बच्चों साथ सरासर नाइंसाफी है? वहीं दूसरी ओर अंग्रेजी माध्यम स्कूल बृजराज पाठशाला महासमुंद में 150 दर्ज संख्या है। वर्ष 2018 से इसे अंग्रेजी माध्यम का सीबीएसई कोर्स वाला मॉडल स्कूल और गत वर्ष पीएमश्री स्कूल में तब्दील किया गया है। यहाँ तीन कक्षा और 150 बच्चों के लिए अंग्रेजी माध्यम की विज्ञान संकाय की शिक्षिका स्वाति चंद्राकर को सिनोधा स्कूल से महासमुन्द संलग्न किया गया है। सोनल साहू को बोरियाझर से महासमुन्द संलग्न किया गया है। हिन्दी माध्यम वाले शिक्षकों में पुष्पांजलि उईके, नरेश साहू और जमुना साहू तीन शिक्षकों की यहाँ पहले से ही पदस्थापना है। इसके अलावा प्रधानपाठक विजयलक्ष्मी चंद्राकर भी पदस्थ हैं। अब विसंगति देखिए तीन कक्षाओं के लिए 5 शिक्षक और प्रधानाध्यापक मिलाकर कुल 6 लोग पदस्थ हैं। ऐसे में हर समय दो से तीन शिक्षक क्लास खाली नहीं होने के बहाने गप्पे लड़ाते यहाँ बैठे रहते होंगे। जबकि गांव के स्कूल में एक से दो कक्षा हमेशा खाली रहता है। नियमतः तीन शिक्षक और एक प्रधानपाठक की पदस्थापना होनी चाहिए।

स्कूल के सामने धरना देती गाँव की महिलाएँ

एक शिक्षक सब पर भारी, क्यों लाचार हैं अधिकारी !

बताया जाता है कि जिस शिक्षिका की मूल शाला सिनोधा में वापसी के लिए ग्रामीण आंदोलन कर रहे हैं, उन्हें राजनीतिक प्रश्रय मिला हुआ है। एक पूर्व विधायक के वरदहस्त से संलग्नीकरण हुआ और वर्तमान के जनप्रतिनिधियों ने अप्रत्यक्ष रूप से संरक्षण दे रखा है। अन्यथा किसी शिक्षक में इतना दम नहीं कि जिला शिक्षा अधिकारी के आदेश की अवहेलना कर सकें। उल्लेखनीय है कि जिला शिक्षा अधिकारी ने स्वाति चंद्राकर को मूल शाला में उपस्थिति देने के लिए 27 अगस्त 2024 की आदेश जारी किया है। कलेक्टर जनदर्शन में दर्ज शिकायत पर यह कार्यवाही की गई है। तत्काल मूल शाला में उपस्थिति देकर अवगत कराने का आदेश है। बावजूद, पखवाड़े भर बाद भी संबंधित शिक्षिका द्वारा इसका पालन नहीं कर उच्चाधिकारी के आदेश की खुलेआम अवमानना की गई है। बावजूद, अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के बजाय अधिकारी उक्त शिक्षिका को क्यों प्रश्रय दे रहे हैं ? यह अनुत्तरित प्रश्न है?

स्कूल के बाहर पंडाल लगाकर धरना देते हुए सिनोधा स्कूल के बच्चे

दो दिन परेशान रहा प्रशासनिक अमला

सिनोधा के ग्रामीणों ने शिक्षक की स्थायी व्यवस्था नहीं होने तक स्कूल में तालाबंदी करने की चेतावनी दी थी। इससे हरकत में आए शिक्षा विभाग के निचले स्तर के अधिकारी दो दिन से मनाने में जुटे रहे। 

सिनोधा स्कूल में तालाबंदी


13 सितम्बर को सुबह 10 बजे तालाबंद कर ग्रामीण जब धरने पर बैठ गए, तब आनन फानन में दोपहर करीब तीन बजे खण्ड शिक्षाधिकारी लीलाधर सिन्हा और बीआरसी जागेश्वर सिन्हा दो अतिशेष शिक्षकों हेमलाल साहू बावनकेरा, निरंजन दीवान पत्थरी स्कूल से सिनोधा में व्यवस्था के तहत पदस्थापना का आदेश लेकर और शिक्षकों को साथ में लेकर गांव पहुंचे और तालाबंद आंदोलन को समाप्त कराया। व्यवस्था पर व्यवस्था से अब भी समस्या जस की तस बनी हुई है। जिस दिन ये दोनों शिक्षक अपनी परेशानी बताकर, जुगाड़ लागकर अपने मूल पदस्थापना वाले स्कूल में लौट जाएंगे तब सिनोधा में फिर वही हालात निर्मित हो जाएगी।

जिला शिक्षाधिकारी का वह आदेश, जिसका पालन नहीं हो रहा

इन ग्रामीणों ने किया आंदोलन का संयोजन

सिनोधा में हुए स्कूल में तालाबंद आंदोलन का नेतृत्व पूर्व जनपद सदस्य रूपकुमारी ध्रुव, शहनाज खान, शाहीरा निशा, हबीब खान, खिलवान सिंह ध्रुव, मनहरण साहू, धनीराम महिपाल, टीकाराम साहू, खिलेश्वर ध्रुव, मोहम्मद अजहर खान, मोहम्मद अब्दुल्ला, होरीलाल साहू, विकास साहू, राजू साहू, भोजराम साहू, मोहन विश्वकर्मा, मनीराम साहू, रूखमणी ध्रुव, धनेश्वरी हिरवानी, भानमती साहू आदि ने किया। ग्रामीणों ने जमकर नारेबाजी की। 

स्कूल के सामने धरना देते हुए विद्यार्थी

"हम किसी से नहीं भीख मांगते, हम तो अपना अधिकार मांगते" की नारा बुलंद करते हुए स्कूली विद्यार्थी भी पूरे समय आंदोलन में डटे रहे। ग्रामीणों का कहना है कि स्कूल के लिए नियुक्त विधायक प्रतिनिधि अजय साहू, खूबीराम सेन को दबाव डालकर आंदोलन में शामिल नहीं होने की चेतावनी दी गई थी। जिसके चलते ये दोनों युवक आंदोलन में शामिल नहीं हुए, इससे सत्तारूढ़ दल का संबंधित हठधर्मी शिक्षिका को संरक्षण होने का अनुमान ग्रामीण लगा रहे हैं।

स्थायी शिक्षक की व्यवस्था होने तक नेताओं का बहिष्कार !

तालाबंदी आंदोलन करने वाले सिनोधा गांव के ग्रामीणों ने कहा है कि अपने गांव की शाला की शिक्षिका, जो कि अन्यत्र स्कूल में 6-7 सालों से व्यवस्था के नाम पर सेवा दे रही हैं, मूल शाला वापसी को लेकर समस्त पालकगण एवं ग्रामीणों द्वारा तालाबंदी किया गया। मगर किसी भी राजनीतिक पार्टी द्वारा गांव वालों को सहयोग नहीं दिया गया। इससे क्षुब्ध होकर गांव वालों द्वारा निर्णय लिया गया है कि सभी राजनीतिक लोगों का बहिष्कार किया जाएगा। कोई भी सांस्कृतिक या सामाजिक कार्यक्रमों में किसी भी राजनीतिक पार्टी के लोगों को बुलाया नहीं जायेगा। समस्या समाधान तक 'बहिष्कार आंदोलन' जारी रहेगा।

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