महासमुंद। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा चिकित्सा पाठ्यक्रम (एमबीबीएस) की पढ़ाई अब हिन्दी में भी कराने के फैसले का स्वागत करते हुए छात्र नेता लिलेश कुमार साहू ने कहा है कि मातृभाषा में मेडिकल की शिक्षा से हिंदी माध्यम के छात्रों को उज्ज्वल भविष्य की दिशा मिलेगी। हिंदी में एमबीबीएस की पढ़ाई का निर्णय,प्रदेश के ग्रामीण और हिंदी माध्यम की पृष्ठभूमि से आने वाले छात्रों के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। इससे हिन्दी माध्यम से पढ़ाई करने वाले छात्रों को भी अपनी प्रतिभा के अनुरूप चिकित्सा के क्षेत्र में आगे बढ़ने का पर्याप्त अवसर मिलेगा।
साहू ने कहा कि हिन्दी दिवस के अवसर पर प्रदेश सरकार का यह निर्णय क्रांतिकारी और मील का पत्थर साबित होगा। आज तक मेडिकल फील्ड में हिंदी की किताबें नहीं बनीं क्योंकि कभी इस बात पर बल ही नहीं दिया गया कि हिंदी में किताबें हो सकती हैं। इसलिए यह एक नया अवसर है, जिससे हिंदी भाषी विद्यार्थियों के लिए ऐसी पुस्तकें तैयार हो सकें। जिनसे उनका अध्ययन आसान हो सके और जिससे हमारी मातृभाषा समृद्ध हो पाए।
साहू ने कहा जो व्यक्ति मातृभाषा में प्रवीण हो जाता है,उसके लिए दूसरी भाषा को अपनाना कठिन नहीं होता। हम चाहते हैं कि छात्र अपनी भाषा में ज्ञान को अच्छे से आत्मसात कर लें। हिंदी में चिकित्सा शिक्षा उपलब्ध कराने का सबसे अधिक लाभ हमारे ग्रामीण पृष्ठभूमि के छात्रों को होगा जो अधिकतर हिंदी माध्यम से होते हैं और प्रतिभाशाली होने के बावजूद अंग्रेजी की वजह से उन्हें चिकित्सा पाठ्यक्रम में दिक्कत आती है। अब यह दिक्कत दूर हो जाएगी। इससे चिकित्सा की पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं का आधार भी मजबूत होगा। इसके लिए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय साधुवाद के पात्र हैं।