Mann Ki Baat: पीएम मोदी ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम में अपनी बात रखी। इस दौरान उन्होंने इस कार्यक्रम के दस साल की यात्रा पर बात की। पीएम मोदी ने कहाकि 10 साल के मन की बात के यात्रा में कई पड़ाव जिन्हें भूल नहीं सकता हूं। मन की बात के श्रोता ही इस कार्यक्रम के सूत्रधार हैं। इनके योगदान को भूल नहीं सकता। पीएम मोदी ने कहा कि एक ऐसी धारणा बन गई है कि जब तक चटपटी बात न हो, नकारात्मक बात न हो, स्वीकृति नहीं मिलती। लेकिन मन की बात ने इस धारणा को बदल दिया है।
पीएम मोदी ने कहाकि 'मन की बात' की हमारी इस यात्रा को 10 साल पूरे हो रहे हैं। 10 साल पहले 'मन की बात' का प्रारंभ 3 अक्टूबर को विजयादशमी के दिन हुआ था और ये कितना पवित्र संयोग है, कि इस साल 3 अक्टूबर को जब 'मन की बात' के 10 वर्ष पूरे होंगे, तब नवरात्रि का पहला दिन होगा। 'मन की बात' की ये पूरी प्रक्रिया मेरे लिए ऐसी है, जैसे मंदिर जा करके ईश्वर के दर्शन करना। 'मन की बात' की हर बात को, हर घटना को, हर चिट्ठी को मैं याद करता हूं, तो ऐसे लगता है जैसे मैं ईश्वर रूपी जनता जनार्दन के दर्शन कर रहा हूं।
पीएम मोदी ने इस दौरान चकोर पक्षी का उदाहरण दिया, जो सिर्फ वर्षा की बूंद ही पीता है। इसी तरह देश के लोग चकोर पक्षी की तरह देश की प्रगति की बातें ही सुनते हैं। दस साल की यह यात्रा शानदार रही है। उन्होंने कहाकि मन की बात के लिए आई चिट्ठियों को पढ़कर दिल प्रसन्न हो जाता है। सकारात्मक काम कर रहे लोगों की बातें सुनकर प्रेरणा से भर जाता हूं।
प्रधानमंत्री ने मन की बात में यूपी के झांसी में पानी बचाने का खास प्रयास की तारीफ की। उन्होंने कहाकि यहां कुछ महिला दुलारी नदी को नया जीवन दिया। जल सहेली बनकर इस अभियान को चलाया। मृतप्राय नदी को बचाया है। बारिश का पानी बर्बाद होने से रोका। इन महिलाओं ने सैकड़ों जलाशयों को तैयार किया।