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बच्चों का सर्वांगीण विकास नैतिक शिक्षा से ही संभव- भगवान भाई

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 महासमुंद ( 21 सितम्बर)। शिक्षा का मूल उद्देश्य है चरित्र का निर्माण करना। असत्य से सत्य की ओर ले जाना। बंधन से मुक्ति की ओर जाना। लेकिन आज की शिक्षा भौतिकता की ओर ले जा रही है। भौतिकता की शिक्षा से भोग विलास की ओर अग्रसर होते हैं और नैतिक शिक्षा से चरित्र निर्माण होता है। वर्तमान समय की शिक्षा प्रणाली भौतिक शिक्षा के साथ-साथ बच्चों को नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता है। नैतिक शिक्षा ही मानव को सही मायने में ‘मानव’ बनाती है। क्योंकि नैतिक गुणों के बल पर ही मनुष्य वंदनीय बनता है। सारी दुनिया में नैतिकता अर्थात सच्चरित्रता के बल पर ही धन-दौलत, सुख और वैभव की नींव खड़ी है।


उक्त उदगार माउंट आबू (राजस्थान) से प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के ब्रह्माकुमार भगवान भाई के हैं। वे महासमुन्द के चंद्रोदय पब्लिक स्कूल में छात्र -छात्राएं और शिक्षकों को जीवन में नैतिक शिक्षा का महत्व विषय पर व्याख्यान दे रहे थे।


भगवान भाई ने कहा कि विद्यार्थियों के मूल्यांकन, आचरण, अनुकरण, लेखन, व्यवहारिक ज्ञान इत्यादि पर जोर देना होगा। वर्तमान समाज में मूल्यों की कमी हर समस्या का मूल कारण है। परीक्षा के समय अपनी सकारात्मक सोच रखें। परीक्षा का डर मन से निकालिए।समय का सदुपयोग करें। अपना हैण्ड रायटिंग अच्छा करें और स्पष्ट लिखें। किसी का कापी राइट ना करें। आत्मविश्वास से लिखें। उन्होंने बताया कि परोपकार, सेवाभाव, त्याग, उदारता, पवित्रता, सहनशीलता, नम्रता, धैर्यता, सत्यता, ईमानदारी आदि सद्गुण नहीं आएगी तब तक हमारी शिक्षा अधूरी है। शिक्षा एक बीज है और जीवन एक वृक्ष है। जब तक हमारे जीवन रूपी वृक्ष में गुण रूपी फल नहीं लगते हैं, तब तक हमारी शिक्षा अधूरी है। समाज अमूर्त होता है और प्रेम, सद्भावना, भातृत्व, नैतिकता एवं मानवीय सद्गुणों से संचालित होता है।


उन्होंने कहा कि भौतिक शिक्षा से भौतिकता का विकास होगा और नैतिक शिक्षा से सर्वांगीण विकास होगा। नैतिक शिक्षा से ही हम अपने व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं। जो आगे चलकर कठिन परिस्थितियों का सामना करने का आत्मविवेक व आत्मबल प्रदान करता है। उन्होंने कहा की नैतिकता के अंग हैं – सच बोलना, चोरी न करना, अहिंसा, दूसरों के प्रति उदारता, शिष्टता, विनम्रता, सुशीलता आदि। नैतिक शिक्षा के अभाव के कारण ही आज जगत में अनुशासनहीनता, अपराध , नशा-व्यसन, क्रोध, झगड़े आपसी मन मुटाव बढ़ता जा रहा है।

प्रिन्सिपल नवीन कुमार ने भी उपस्थित जनों को संबोधित करते हुए कहा कि नैतिक शिक्षा से ही छात्र-छात्राओं का सशक्तिकरण हो सकता है। उन्होंने आगे बताया कि नैतिकता के बिना जीवन अंधकारमय है। नैतिक मूल्यों की कमी के कारण अज्ञानता, सामाजिक कुरीतियां, व्यसन, नशा, व्यभिचार आदि के कारण समाज पतन की ओर जाता है।
स्थानीय ब्रह्माकुमारी राजयोग सेवाकेंद्र की राजयोग शिक्षिका बी.के सुषमा बहन ने कहा कि जब तक जीवन में आध्यात्मिकता नहीं है, तब तक जीवन में नैतिकता नही आती है। आध्यात्मिकता की परिभाषा बताते हुए उन्होंने कहा कि स्वयं को जानना, पिता परमात्मा को जानना और उनको याद करना ही आध्यात्मिकता है। जिसको राजयोग कहते हैं। उन्होंने राजयोग को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाने की अपील की।

आरंग ब्रह्माकुमारी केंद्र प्रभारी बी के लता बहन ने भगवान भाई का परिचय देते हुए कहा कि भगवान भाई अब तक 8000 से अधिक स्कूल कालेज और 1000 से अधिक जेलों (कारागृह) में नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ा चुके हैं। जिस कारण उनका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज हो चुका है।

मंच संचालन संगीता साहू ने किया। उन्होंने ब्रह्माकुमारी संस्था का परिचय भी दिया। कार्यक्रम की शुरुवात स्वागत से की गयी और अंत में बी के भगवान भाई ने मन की एकाग्रता बढ़ाने के लिए राजयोग मेंडिटेशन भी कराया। कार्यक्रम में बी के गरिमा बहन, बी के मोहन भाई , बी के शेवटी बहन , टीकाराम साहू , दीपक सभी शिक्षक स्टाफ भी उपस्थित थे ।

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