बीते 10 वर्षों में कृषि परिदृश्य तेजी से बदला है। ग्लोबल वार्मिंग तथा पर्यावरण असंतुलन जैसी समस्याओं के बीच उत्पादकता बढ़ाने की चुनौती खड़ी हो गई है। इस चुनौती से निपटने के लिए अगले पांच वर्षों में हमारा लक्ष्य जलवायु अनुकूल फसलों की 1500 नई किस्में तैयार करने का है। वर्तमान में विज्ञान से ही किसानों का कल्याण संभव है। मुझे अपने कृषि विज्ञानियों पर गर्व है जो जलवायु अनुकूल किस्में तैयार कर रहे हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि कृषि में किए जा रहे नवाचारों से कृषि एवं किसान कल्याण सुनिश्चित होगा।
हमारा संकल्प है कि किसान के परिश्रम का उचित मूल्यांकन हो और उन्हें फसलों का उचित दाम मिले, इसके लिए हम न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद कर रहे हैं। किसानों की आय बढ़ाना हमारी प्राथमिकता में है और उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ भारत की चिंता भी रही है कि मानव शरीर और मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित उत्पादन हो। आज भारत नई हरित क्रांति का साक्षी बन रहा है। हमारे अन्नदाता ऊर्जादाता तथा ईंधनदाता भी बन रहे हैं। मोदी जी के प्रयासों से खेती के साथ ही पशुपालन, मधुमक्खी पालन, औषधीय खेती, फूलों-फलों की खेती सहित अन्य संबंधित क्षेत्रों को सशक्त बनाया जा रहा है।
पूर्ववर्ती सरकारों की प्राथमिकता में कृषि और किसान रहे ही नहीं। जबकि मोदी जी के नेतृत्व में कृषि क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। वर्ष 2013-14 में कृषि मंत्रालय का बजट 27 हजार 663 करोड़ रुपये था जो 2024-25 में बढ़कर 1 लाख 32 हजार 470 करोड़ रुपये हो गया है। यह बजट सिर्फ कृषि विभाग का है। कृषि से संबद्ध क्षेत्रों और फर्टिलाइजर सब्सिडी के लिए अलग बजट है। मोदी सरकार किसानों को यूरिया और डीएपी सस्ती दरों पर उपलब्ध करा रही है। यूरिया पर सरकार किसानों को करीब 2,100 रुपये सब्सिडी जबकि डीएपी के एक बैग पर 1083 रुपये की सब्सिडी दी जा रही है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से किसान स्वावलंबी और सशक्त हुआ है। फसलों के नुकसान पर भी फसल बीमा योजना किसानों के लिए एक सुरक्षा कवच है।
मोदी सरकार में किसान को सशक्त बनाने के लिए बीज से लेकर बाजार तक हर वह फैसला लिया, जो किसानों के लिए खेती को और आसान बनाए। उनकी मुश्किलें कम करे और मुनाफा बढ़ाए। इसी कड़ी में एक लाख करोड़ रुपये की एग्री इन्फ्रा फंड के जरिये कृषि से जुड़ा बुनियादी ढांचा विकसित किया जा रहा है। पूरे देश में 700 से अधिक कृषि विज्ञान केंद्र किसान और विज्ञान को जोड़ रहे हैं। नमो ड्रोन दीदी योजना के जरिये टेक्नोलाजी से दूरदराज की हमारी माताओं-बहनों को भी जोड़ा जा रहा है। कृषि सखियों को प्रशिक्षण देने के पहले चरण में अब तक 35 हजार कृषि सखियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।
यजुर्वेद में उल्लिखित है 'अन्नानां पतये नमः क्षेत्राणां पतये नमः' अर्थात अन्न के स्वामी और खेतों के स्वामी अन्नदाताओं को नमन। कृषि पराशर में भी उल्लेख है - अन्न ही प्राण है, अन्न ही बल है एवं अन्न ही समस्त प्रयोजनों का साधन है। किसानों के बिना इस देश का अस्तित्व ही अधूरा है। इसलिए हमारे प्राचीन शास्त्रों में भी किसानों को प्रणाम किया गया है। कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान उसका आत्मा। हमारे लिए किसान की सेवा भगवान की पूजा है। आज प्रधानमंत्री मोदी जी के दीर्घकालिक विजन तथा सर्वांगीण, सर्वस्पर्शी, समावेशी और समग्र विकास वाले सोच के साथ भारत एवं भारतीय कृषि निरंतर आगे बढ़ रही है और मुझे पूरा विश्वास है कि हमारे किसान भाई-बहन आजादी के अमृतकाल में आत्मनिर्भर भी बनेंगे और समृद्ध संपन्न होने के साथ-साथ देश के अन्न भंडार भरते रहेंगे ।
(लेखक भारत सरकार में कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री है)