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अद्भुत वास्तुकला से निर्मित है नगर के बाबा बागेश्वरनाथ मंदिर, 64 योगनी वास्तुकला से निर्मित है बाबा बागेश्वर नाथ मंदिर

आरंग। धार्मिक और शिवालयों की नगरी आरंग का इतिहास प्राचीन काल से ही काफी समृद्ध रहा है।इस नगर में वनवास काल के दौरान भगवान श्रीराम का आगमन माना जाता है। इतिहासकारों व विद्वानों के अनुसार नगर के सिद्ध शक्तिपीठ बाबा बागेश्वरनाथ के दर्शन पश्चात ही भगवान श्री राम वनवास के लिए आगे बढ़े थे।


पूर्वमुखी बाबा बागेश्वरनाथ महादेव का मंदिर काफी प्राचीन है।जिसका अभिषेक भगवान सूर्य की किरण से होती है।श्रीराम गमन सांस्कृतिक स्त्रोत संस्थान न्यास नई दिल्ली के अनुसार वनवास काल में भगवान श्रीराम 249 स्थानों पर रूके थे। जिसमें बाबा बागेश्वरनाथ भी शामिल है।


इससे मंदिर की प्राचीन काल से मान्यता, पौराणिकता व भक्तों की आस्था का पता चलता है। मंदिर का पूर्वमुखी होने के साथ-साथ विशाल आकार, सुंदर बनावट व भव्यता श्रद्धालुओं को बरबस ही आकर्षित करती है। इस मंदिर में 108 पत्थर के स्तंभ है। जिसमें 84 स्तंभ बाहर व 24 स्तंभ मंदिर के गर्भगृह में स्थित हैं। जिससे इस मंदिर की भव्यता और मजबूती का पता चलता है।

सूर्य की किरणों से होता है बाबा बागेश्वरनाथ महादेव का अभिषेक

नगर के सिद्ध शक्तिपीठ के नाम से प्रख्यात बाबा बागेश्वरनाथ महादेव के मंदिर की वास्तुकला अद्भुत है, जहां सूर्य देव अपनी दिव्य किरणों से बाबा बागेश्वरनाथ और माता पार्वती का अभिषेक करते हैं।

वैसे तो वर्ष भर सूर्यदेव की किरणें मंदिर के शिखर पर पड़ती है लेकिन फरवरी और मार्च के महीने में सूर्य की किरणें सीधे गर्भगृह में प्रवेश कर बाबा बागेश्वर नाथ और माता पार्वती जी का अभिषेक करती हैं। करीब आधे घंटे गर्भगृह में अभिषेक के बाद धीरे-धीरे किरणें बाहर निकलती है साथ ही मंदिर के मंडप में स्थित भगवान श्रीगणेश और भगवान श्रीराम के चरण पादुका का अभिषेक कर चरण स्पर्श करते हुए दिखाई देती है। इस दृश्य को देख मानो ऐसा प्रतीत होता है जैसे सूर्यदेव स्वयं ही भगवान शिव और प्रभु श्रीराम जी का चरण वंदन करने के लिए आतुर रहता हो।


वहीं जानकार बताते है कि यह मंदिर 64 योगिनी वास्तुकला के तर्ज पर निर्मित है। भारत में गिने चुने मंदिर ही 64 योगिनी वास्तु कला के तर्ज पर बना हुआ है साथ ही गर्भगृह सहित द्वार मंडप तथा 84 स्तंभों के बीच यंत्र नुमा संरचना बनी हुई है। बताया जाता है कि पहले इस मंदिर में शिवभक्त, तांत्रिक और अघोरी बाबा लोग तंत्र साधना करते थे। आज भी गोदड़ बाबा का मठ मंदिर के बिल्कुल सीध में बना हुआ देखा जा सकता है।

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