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पैरोल पर कुछ घंटों के लिए सेंट्रल जेल से बाहर आए सूर्या, पहुंचे अग्नि चंद्राकर की अंत्येष्टि में

जननायक अग्नि चंद्राकर की अंतिम यात्रा, उमड़ पड़े नेता और चाहने वाले

अग्नि चंद्राकर के पार्थिव देह के सामने बिलखते हुए सूर्यकान्त तिवारी

@आनंदराम पत्रकारश्री 

जन नायक अग्नि चंद्राकर। देह त्याग कर अनंत यात्रा पर चल पड़े। "हमारे शास्त्र कहते हैं 'आत्मा' अजर, अमर, अविनाशी है। आत्मा देह बदलती है। जैसे हम कपड़े बदलते हैं। अच्छे और नए कपड़े के लिए पुराने कपड़े का मोह त्यागना ही पड़ता है। आत्मा भी नए शरीर धारण करने पुरानी काया को छोड़कर अनंत यात्रा पर परमात्मा से मिलन के लिए निकल पड़ती है। सांसारिक जीवन में हम इसे ही मृत्यु कहते हैं। वास्तव में यह मृत्यु नहीं मोक्ष है। कर्मों से बंधा हर प्राणि अपने अच्छे-बुरे कर्मों के अनुसार संस्कारवान होता है। जिनके कर्म अच्छे हुए सत्कर्मी और बुरे हुए तो दुष्कर्मी। ये संस्कार ही तो हैं, जो जन्म जन्मांतर आत्मा के साथी हैं। बाकी धन, वैभव, रूप-रंग, रिश्ते-नाते यहाँ तक शरीर भी एक जीवनयात्रा के बाद बदल जाते हैं।" इस आध्यात्मिक चिंतन के बीच आज मैं महासमुन्द के एक इतिहास पुरूष, जन नायक अग्नि चंद्राकर के देहावसान पर अंतिम यात्रा में शरीक हूँ। आपको अंतिम यात्रा की आँखों देखी वृत्तांत सुनाता हूँ-

आज 24 जून 2024 सोमवार का दिन है। सुबह से ही आसमान में बादल छाए थे। अलसुबह बारिश की रिमझिम बूंदे टपक रही थी, मानों आसमान भी शोक में आँसू बहा रहा हो। सुबह के साढ़े 9 बज चुके हैं। जन नायक की पार्थिव देह के महासमुंद आगमन की प्रतीक्षा हो रही है। वैसे ही जैसे जनता, अपने नेता के आगमन की प्रतीक्षा करते हैं। 23 जून को रायपुर के एक निजी अस्पताल में देह त्यागने के साथ ही अगले दिन के कार्यक्रम की घोषणा हो चुकी है, जैसा कि किसी विशिष्ट पद प्राप्ति पर प्रथम नगर आगमन पर स्वागत की तैयारी होती है। मुक्ति रथ को फूलमालाओं से सजाया गया है। जननायक के अंतिम दर्शन के लिए लोग उनके निज निवास में प्रतीक्षा कर रहे हैं। स्टेशन रोड स्थित भवन, जो 15 वर्षों तक 'विधायक निवास' के रूप में ख्याति प्राप्त रहा। नव निर्माण और नए स्वरुप में अपने स्वामी के चल बसने के गम में डूबा हुआ है। जहाँ कभी जनता की फरियाद सुनी जाती थी, वहाँ आज गजब का सन्नाटा छाया है। कोने में सिसकियां हैं। परिजनों और चाहने वालों की आँखें नम हैं। लोग अग्नि के व्यक्तित्व और कृतित्व की चर्चा कर रहे हैं। आज राजनीतिक विरोधियों के जुबां पर भी अग्नि के लिए केवल तारीफ है। सभी उनकी अच्छाईयों की ही चर्चा कर रहे हैं। कुछ लोग अंतिम यात्रा की तैयारियों में जुटे हैं।

गूंजा 'अग्नि भैया अमर रहें' का नारा

पार्थिव शरीर महासमुन्द आते ही बड़ी संख्या में लोग अंतिम दर्शन के लिए उमड़ पड़े। महिला, पुरूष, युवा, समाजसेवी, विभिन्न संगठनों के लोग अंतिम दर्शन कर पुष्पमाला से अपने नेता को श्रद्धासुमन अर्पित कर रहे हैं। यह सिलसिला करीब घंटाभर चला। बाद शव यात्रा "अग्नि भैया -अमर रहें" के नारे के साथ कांग्रेस भवन के लिए रवाना हुई। कांग्रेस भवन में बड़ी संख्या में नेता, कार्यकर्ता और ग्रामीण क्षेत्र से आए अग्नि चंद्राकर के चहेते नम आंखों से अपने नेता को श्रद्धांजलि देने कतारबद्ध थे। कांग्रेस भवन से अंतिम यात्रा गृहग्राम के लिए रवाना हुई। पूर्व निर्धारित समय के अनुसार मुक्ति रथ में पार्थिव शरीर को रखकर बाजे-गाजे के साथ बरोडा चौक होते हुए गृहग्राम लभराकला के लिए रवाना किया गया।

फार्म हाउस से निकली अर्थी

पिता की चिता को मुखाग्नि देते हुए दिव्येश चंद्राकर


शहर से करीब 16 किमी दूर गांव लभराकला गांव होते हुए अंतिम यात्रा फार्म हाउस पहुंची। माटी पुत्र अग्नि चंद्राकर को जीवन भर खेती से खास लगाव रहा। यही वजह है कि उनकी अंतिम क्रियाकर्म, पिण्डदान, पार्थिव शरीर का स्नान, पूजा आरती आदि फार्म हाउस स्थित उनके निज विश्राम गृह में संपन्न किया गया। जहाँ पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पूर्व गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू, विधायकगण योगेश्वर राजू सिन्हा महासमुन्द, द्वारिकाधीश यादव खल्लारी, चातुरी नंद सरायपाली सहित कांग्रेस-भाजपा के नेता कार्यकर्ता और परिजन बड़ी संख्या में पहुँचकर श्रद्धासुमन अर्पित किए। मुक्तिधाम में उनके सुपुत्र दिव्येश चंद्राकर (चुन्नू) ने मुखाग्नि दी।

पिता की चिता को मुखाग्नि देते हुए दिव्येश चंद्राकर


अर्थी उठते ही शुरू हुई बारिश

उमस भरी गर्मी से लोग बेचैन थे। दोपहर के करीब एक बजे थे। फार्म हाउस से मुक्तिधाम के लिए अर्थी निकालने की तैयारियां पूरी हो गई थी। पार्थिव देह की आरती के लिए जैसे ही अर्थी को कंधे पर उठाया, बारिश शुरू हो गई। जैसे 'अग्नि' के वियोग में आसमान भी नीर बहा रहा हो। परिवार की महिलाओं ने अग्नि चंद्राकर की धर्मपत्नी पदमा और पुत्री दिव्या को जैसे ही आरती कराने अर्थी के समीप लायीं। रो-रोकर बुरा हाल हो गई पदमा चंद्राकर मूर्छित होकर गिर पड़ीं। बड़ी मुश्किल से परिजनों ने उन्हें संभाला और पानी पिलाकर, चेहरे पर पानी के छींटें देकर होश में लाए। तब जाकर शव यात्रा मुक्तिधाम के लिए रवाना हुई।

मुक्तिधाम में दामाद का लंबा इंतजार

बघनई नदी किनारे लभराकला का मुक्तिधाम स्थित है। जहाँ शव यात्रा दोपहर करीब दो बजे पहुंच चुकी थी। कंडे की चिता सजाकर शव को रखा जा चुका था। जहाँ पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित सभी विशिष्टजनों ने पुष्पांजलि अर्पित की। ढाई बजे तक करीब आधा घंटा मुखाग्नि देने की भूपेश बघेल सहित सभी ने प्रतीक्षा की। बाद ज्यादातर बड़े नेता वहाँ से रवाना हो गए। इस बीच पता चला कि सेंट्रल जेल रायपुर में कैद सूर्यकांत तिवारी (रिश्ते में अग्नि चंद्राकर के दामाद) पैरोल पर जमानत लेकर चंद घंटों के लिए महासमुन्द आ रहे हैं। अंतिम संस्कार में शरीक होने उनकी अर्जी पर न्यायालय ने अनुमति दी है। घंटेभर के बाद दोपहर करीब 3 बजे सूर्यकांत मुक्तिधाम पहुंचे।

जब बिलख कर रो पड़े सूर्या

मुक्तिधाम में अग्नि चंद्राकर के शव के समीप विलाप करते हुए सूर्यकान्त तिवारी


कोयला घोटाले मामले में ईडी की कार्यवाही की वजह से लंबे अर्से से सेंट्रल जेल रायपुर में कैद सूर्यकांत तिवारी पैरोल पर छूटकर आज महासमुन्द आए। रिश्ते में अपने ससुर अग्नि चंद्राकर के पार्थिव देह में पैरों को पकड़कर फूट-फूटकर रोने लगे। बाद नेताओं के बीच बैठकर ज्यादातर समय सिर झुकाए रहे। महासमुन्द में शून्य से शिखर तक आर्थिक साम्राज्य स्थापित करने वाले सूर्या की झुकी हुई नजरें बहुत कुछ बयां कर रही थी। पुलिस की टीम जेल से अपनी गाड़ी में लेकर सूर्यकांत को सीधा मुक्तिधाम लायी थी। अंतिम संस्कार के बाद परिजनों से मिलने फार्म हाउस भी गए थे। जहाँ से वापस रायपुर सेंट्रल जेल के रवाना हुए।
जनप्रतिनिधियों के बीच ज्यादातर समय सिर झुकाए बैठे रहे सूर्या, नजरें चुराकर करते रहे वार्तालाप


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