Ram Lala Surya Tilak : चैत्र नवरात्रि शुरू हो चुके हैं और इसी के साथ रामलला के भव्य जन्मोत्सव की तैयारी के लिए विविध अनुष्ठान भी शुरू हो गए हैं। नवरात्र में राम जन्मभूमि मंदिर में 9 दिन शक्ति की उपासना की जाएगी।
नवमी तिथि को बालक राम को 56 प्रकार के व्यंजन का भोग लगाया जाएगा। इस बार राम नवमी पर रामलला का सूर्याभिषेक किया जाए। राम नवमी पर 12 बजे अभिजीत मुहूर्त में सूर्य की किरणें रामलला के मस्तक पर पड़ेंगी, जिससे बालक राम का सूर्य तिलक भी होगा।
नवरात्र के पहले दिन से रामनवमी तक बालक राम विशेष प्रकार के वस्त्र धारण करेंगे। प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली बार प्रभु के वस्त्रों की शैली को बदला गया है। मयूर व अन्य वैष्णव चिन्हों को रंग-बिरंगे रेशम के साथ-साथ असली तारों से काढ़ा गया है। भगवान राम के वस्त्र खादी कॉटन से निर्मित हैं और वस्त्रों पर असली चांदी एवं सोने की हस्त-छपाई की गई है। छपाई में प्रयोग किए हुए सभी चिन्ह वैष्णव पद्धति के हैं।
ऐसे होगा सूर्य अभिषेक
मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष ने बताया कि तैयारी पूरी चल रही है। रामनवमी पर चार मिनट तक रामलला का सूर्य तिलक होगा। इसके लिए राममंदिर में उपकरण लगाए जा रहे हैं। बताया कि दिन में 12 बजे ऑप्टोमैकेनिकल सिस्टम से सूर्य की किरणें प्रभु रामलला के ललाट पर डाली जाएगीं। मंदिर के भूतल पर दो दर्पण और एक लेंस लगाया जा चुका है। सूर्य की रोशनी दूसरे तल पर लगे तीन लेंस और 2 दर्पणों से होते हुए भूतल पर लगाए गए आखिरी दर्पण पर पड़ेगी। इससे परावर्तित होने वाली किरणों से मस्तक पर तिलक बनेगा। यह सूर्य अभिषेक 75 मिमी. का होगा। रविवार रात रामलला के शयन के बाद वैज्ञानिकों ने इसका ट्रायल भी किया।
सूर्याभिषेक का महत्व
भगवान राम का जन्म सूर्य वंश में हुआ था और उनके कुल देवता सू्र्यदेव हैं। साथ ही भगवान राम का जन्म मध्य काल में अभिजीत मुहूर्त में हुआ था, तब सूर्य अपने पूर्ण प्रभाव में थे। भारतीय धर्म दर्शन में बताया गया है कि उगते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य देने, दर्शन व पूजा करने से बल, तेज व आरोग्य की प्राप्ति होती है और कुंडली में सूर्य की स्थिति भी मजबूत रहती है। विशेष दिनों में जब सूर्यदेव की पूजा की जाती है, तब दोपहर के समय में ही होती है क्योंकि तब सूर्यदेव अपने पूर्ण प्रभाव में होते हैं। अयोध्या के मंदिर में रामलला के मस्तक पर भेजने के लिए सूर्य तिलक तंत्र का प्रयोग किया जाएगा। इस तंत्र का प्रयोग हर साल राम नवमी के दिन ही किया जाएगा।