पटेवा। जब मन में दृढ़ विश्वास और अपने उद्देश्य के प्रति सच्ची लगन हो तो परिस्थितियां कैसी भी हो लक्ष्य के लिए रास्ते खुद-ब-खुद बनने लगते हैं। इस वाक्य को चरितार्थ कर लड़कियों के लिए प्रेरणा बनी है, सलिहाभांठा गांव की रोशनी ध्रुव। विपरीत परिस्थितियों में भी रोशनी ने अपने स्कूली पढ़ाई के दौरान कराटे सीखने का निश्चय किया।
इस निर्णय का स्वाभाविक रूप से जैसा होता आया है शुरू में इस निर्णय पर कुछ लोगों के ताने और लड़की होने की दुहाई देकर रोशनी के माता-पिता के खूब कान भरे। फिर भी इन विपरीत परिस्थितियों में भी रोशनी अपने निर्णय पर दृढ़ थीं।
इस निर्णय में उनके पिता जागेश्वर ध्रुव भी थोड़े संशय में तो थे परंतु अपनी बेटी के दृढ़ता और साफगोई को देखकर वे भी साथ हो चले। कराटे सीखने के लिए उसके भाई देवराज ध्रुव का प्रोत्साहन और साथ मिला। जो हर समय प्रोत्साहित करते रहे और प्रत्येक परिस्थितियों में सभी प्रकार से सहयोग किया। इनके ही प्रयास से एक अच्छे कराटे कोच से रोशनी ने कराटे के गुर सीखे। इस प्रयास में गाँव के युवा साथी हितेश दीवान का प्रोत्साहन ने रोशनी का हौसला बढ़ाया। वह राज्य स्तरीय कराटे प्रतियोगिता में भी हिस्सा ले चुकी है।
पारिवारिक आर्थिक पृष्ठभूमि के चलते भले ही पढ़ाई में आगे नहीं बढ़ सकी लेकिन आज रोशनी कराटे सीखकर अन्य बालिकाओं को आत्मरक्षा के गुर सीखा रही है। रोशनी विभिन्न शालाओं में रानीलक्ष्मी बाई आत्मरक्षा के अंतर्गत स्कूली छात्राओं को कराटे सीखा ही रही है साथ ही स्वयं आमदनी भी प्राप्त कर रही है। आज रोशनी की छोटी बहन लाजेश्वरी भी येलो बेल्ट प्राप्त कर चुकी है। और दोनों बहनें आगे बेल्ट प्राप्त करने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रही है।
रोशनी इन स्कूलों में छात्राओं को कराटे सिखाने के अलावा गाँव में पढ़ने वाले छोटे बच्चों को भी प्रोत्साहित करते रहती है और समय निकाल कर प्राथमिक शाला के बच्चों को भी समय-समय पर आत्मरक्षा के निहितार्थ कराटे से परिचित कराती है।
उसके इस प्रयास और लगन की लोग खूब प्रशंसा करते हैं। उसके इस कार्य के लिए प्राथमिक शाला सलिहाभांठा के प्रबंधन समिति अध्यक्ष पिरीत राम साहू, प्रधानपाठक योगेश निर्मलकर, शिक्षक धर्मेंद्र ध्रुव, युवा समूह से गोरेलाल साहू, पंचराम ध्रुव, हितेश दीवान, अभिषेक दीवान, तिलक साहू सराहनीय बताते हुए उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं देते हैं।