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छः वर्षों से लाफिनकला में कंडे से होलिका दहन, पर्यावरण संरक्षण के लिए लकड़ी की होली पर प्रतिबंध

 महासमुंद । जिला मुख्यालय से महज आठ किलोमीटर दूरी पर है ग्राम लाफिनकला। जहां विगत छः वर्षों से गोबर के कंडे से ही होलिका दहन किया जाता है। वही रविवार को लाफिनकला निवासी शिक्षक महेन्द्र कुमार पटेल और गोवर्धन प्रसाद साहू ने ग्रामीणों के साथ मिलकर ग्राम में घर-घर गोबर के कंडे एकत्रित कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिए।इनका कहना है कि होलिका दहन में देश भर में लाखो टन लकड़ियां जल जाती है।




 जिससे पर्यावरण प्रदूषित होने के साथ-साथ लाखों पेड़ पौधे भी नष्ट हो जाते है। हम एक पेड़ लगा नहीं सकते तो कम से कम  गोबर के कंडे से होलिका दहन कर
और अधिक से अधिक लोगों को प्रेरित कर कुछ पेड़ों को जरूर बचा सकते हैं।

वैसे भी शास्त्रों में गोबर को बहुत ही पवित्र माना गया है। विवाह, पूजा, गौरी गणेश बनाने जैसे मांगलिक और धार्मिक अनुष्ठानो मे भी गोबर का उपयोग किया जाता है।आज भी लोग मरणोपरांत गोबर से लिपाई कर ही शव को जमीन पर रखते है और कंडे से  ही शव को जलाते है।इस प्रकार हर दृष्टि से गोबर के कंडे फायदेमंद है। वहीं ग्रामीण मुहुर्त अनुसार रात्रि में एकत्रित होकर होलिका दहन कर एक दूसरे को होली की बधाई दिए।

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