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काव्यांश में सूत्र के सम्मान में काव्य गोष्ठी आयोजित, 18 को आयोजित होगा सम्मान समारोह

 महासमुन्द । समकालीन सूत्र जगदलपुर और काव्यांश साहित्य एवं कला पथक संस्थान महासमुन्द के संयुक्त तत्वावधान में आगामी 18 फरवरी 2024 रविवार को वन प्रशिक्षण सभागार महासमुन्द में सम्मान समारोह का आयोजन होगा। प्रख्यात साहित्यकार एवं संभागीय आयुक्त संजय अलंग के मुख्यातिथ्य, डां.भूपेन्द्र कुलदीप कुलसचिव हेमचन्द यादव विश्वविद्यालय दुर्ग की अध्यक्षता और त्रिलोक महावर, रवि श्रीवास्तव के विशेष आतिथ्य में डां.जमुना बीनी को प्रतिष्ठित सूत्र सम्मान प्रदान किया जायेगा।


इस कार्यक्रम के पूर्व अवलोकनार्थ सूत्र जगदलपुर के अध्यक्ष-विजय सिंह और सचिव नंदन विशेष रुप से उपस्थित थे। अतिथियों के सम्मान में काव्यांश के द्वारा सरस काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ सुरेन्द्र मानिकपुरी के मधुर मातृवंदना से हुआ। काव्य पाठ से पूर्व काव्यांश के वरिष्ठ सदस्य और श्रीपुर एक्सप्रेस के प्रधान सम्पादक आनंदराम पत्रकारश्री ने काव्यांश के उत्तरोत्तर प्रगति पर प्रकाश डालते हुए काव्यांश के बीजारोपण से वटवृक्ष बनने पर चर्चा करते हुए सूत्र के साहित्यकारों का स्वागत किया। कार्यक्रम में प्रथम काव्य पुष्प के रुप डां.वृन्दावन पटेल ने विजय विश्व हो इस तिरंगा का प्रस्तुत कर देशभक्ति की भावना को सम्बल दिया ।
संस्थान के वरिष्ठ साहित्यकार सिराज बख्श 'साकिब' ने

"तहु जाबे महू जाहू
खुटेरी के मेला।
रेंगत रेंगत जाबो संगी
खुटेरी के मेला।"

डां.साधना कसार ने- 
" चंचल झरने सा ,जगमग जलते दीपक सा ,पत्तों की चरमर सा, बहती सरसर पवन सा
गुड़ की मीठी ढेली सा,खट्टी मीठी कैरी सा
मेरा प्यारा बचपन लौटा दो" प्रस्तुत कर सबका ध्यान बचपन की ओर आकृष्ट किया।

सूत्र के अध्यक्ष विजय सिंह ने अपनी नई कविता -
"जंगल के सन्नाटों में पत्तियां गुपचुप बतियाती है। पत्तियों को सुनना है तो आपको वृक्ष होना होगा ।"
इसी कड़ी में सूत्र के सचिव ने अपनी कविता -"इस समय ,समय की स्याह स्लेट पर मां की कहानियां लिख रहा हूं" पढ़ी।
काव्य गोष्ठी को ऊंचाई देते हुए वरिष्ठ साहित्यकार अशोक शर्मा ने अपनी नई कविता प्रस्तुत किया-
"अलग-थलग हूँ मैं,
अनुशासन के इस शासन में,
इतना सा खोकर यदि,
इतना कुछ पाना था,
तो बहुत पहले ही,
'क्वॉरंटीन' हो जाना था।"

कार्यक्रम का संचालन करते हुए काव्यांश के संस्थापक अध्यक्ष भागवत जगत 'भूमिल' ने अपनी चीर परिचित अंदाज में रचना प्रस्तुत किया -"ढोल ताशे बजने लगेंगे।
रण बांकुरे सजने लगेंगे ।।
मातृभूमि के मन:पटल पर,
जन संभाषण आम होगा ।
इंतजार मुझे उस दिन का,
जब मौत से संग्राम होगा।"
काव्य गोष्ठी में अपनी प्रस्तुति देते हुए सुरेन्द्र मानिकपुरी ने कहा-
"इक पाती तेरे नाम लिखा हूँ
अपना तुझे सलाम लिखा हूँ
गौरव गर्व मुझे कितना है
तुम पर ये पैगाम लिखा हूँ।

कार्यक्रम का संचालन भागवत जगत भूमिल ने किया । आभार प्रदर्शन अशोक शर्मा ने किया। इस अवसर पर सूत्र के साहित्यकारों के द्वारा काव्यांश को सूत्र पत्रिका भेंट किया गया। उक्त जानकारी काव्यांश के कोषाध्यक्ष डी बसन्त साव साहिल ने दिया।

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