महासमुंद। नाबालिग से अनाचार के मामले में न्यायालय में दोषसिद्ध होने पर युवक को बीस साल की सजा सुनाई गई है। लैगिंक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 4 (2) के तहत विशेष न्यायाधीश योगिता विनय वासनिक ने अभियुक्त ग्राम ओनकी थाना झारबंद (ओडिशा) निवासी 24 वर्षीय ठंडाराम सिदार पिता बंशीलाल सिदार को 20 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा व 10 हजार रुपए अर्थदंड से दंडित किया है। अर्थदंड की राशि नही पटाने पर 6 माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
इसी तरह भादसं की धारा 363 के तहत पांच वर्ष, धारा 366 के तहत 7 वर्ष व धारा 506 भाग 2 के तहत 1 वर्ष के सश्रम कारावास से दंडित किया है। इसके अलावा क्रमश: 1 हजार, 2 हजार व 1 हजार रुपए अर्थदण्ड भी अभियुक्त को इन अलग अलग धाराओं के लिए भरना होगा। अर्थदण्ड की राशि नही पटाने पर 1,2 व एक माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। सभी सजाएं साथ-साथ चलेगी।
अभियोजन के अनुसार 29 नवंबर 2022 को सांकरा थाना में रिपोर्ट दर्ज कराया कि ठंडाराम सिदार जो दूर का रिश्तेदार है, 17 नवम्बर की रात उसकी नाबालिग पुत्री को बहला-फुसलाकर अपनी मोटर साइकिल से ले गया। जानकारी होने पर उसके घर गए और अपनी पुत्री को समझाकर वापस घर ले आए। कुछ दिनों बाद 28 नवम्बर को ठंडाराम पुन: उसकी पुत्री को भगाकर ले जा रहा था , जिसे उसकी पत्नी एवं कुछ लोगों ने लारीपुर टुकड़ा के कोलियाडीपा के पास रोका। तब आरोपी ने जान से मारने की धमकी देते हुए भगाकर ले जाने की बात कही।
जिस पर सांकरा थाना में शिकायत दर्ज कराई गई। विवेचना के दौरान अभियोक्त्री ने बताया कि 24 अक्टूबर 2022 को घर पर अपने छोटे भाई बहन के साथ थी तभी ठंडाराम सिदार आया और उसके भाई बहन के बाहर जाने पर धमकी देेकर उसके जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाया और किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी दी। बयान के आधार पर पुलिस ने मामला दर्ज कर विवेचना उपरांत मामला कोर्ट को सौपा था। अभियोजन की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक सलीम कुरैशी ने पैरवी की।