Electoral Bond : सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक करार दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल प्रभाव से चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला केंद्र सरकार के लिए एक बड़ा झटका है.
सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने अपने फैसले में कहा कि काले धन पर अंकुश लगाने के मकसद से सूचना के अधिकार का उल्लंघन उचित नहीं ठहराया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनावी बॉन्ड स्कीम सूचना के अधिकार और अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन है.
आज फैसला सुनाते हुए CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, "हम सर्वसम्मत निर्णय पर पहुंचे हैं. मेरे फैसले का समर्थन जस्टिस गवई, जस्टिस पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा ने किया है. इसमें दो राय हैं, एक मेरी खुद की और दूसरी जस्टिस संजीव खन्ना की. दोनों एक ही निष्कर्ष पर पहुंचते हैं, हालांकि, तर्कों में थोड़ा अंतर है.
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि राजनीतिक दल चुनावी प्रक्रिया में प्रासंगिक इकाइयां हैं और चुनावी विकल्पों के लिए राजनीतिक दलों की फंडिंग के बारे में जानकारी आवश्यक है. अदालत ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि गुमनाम चुनावी बांड योजना अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत सूचना के अधिकार का उल्लंघन है. काले धन पर अंकुश लगाने के लिए सूचना के अधिकार का उल्लंघन उचित नहीं है.
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि चुनावी बांड के माध्यम से कॉर्पोरेट योगदानकर्ताओं के बारे में जानकारी का खुलासा किया जाना चाहिए क्योंकि कंपनियों द्वारा दान पूरी तरह से बदले के उद्देश्य से है.